पत्रकार डॉ. राकेश पाठक कहते हैं कि पुलिस के बर्ताव को देखकर उन्हें गोरखपुर के मनीष गुप्ता की याद आ गई.
कर्मवीर न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक डॉ. राकेश पाठक को अहमदाबाद पुलिस ने शनिवार को हिरासत में ले लिया. इस दौरान वह होटल के एक कमरे में आराम कर रहे थे. बता दें कि नवभारत और नई दुनिया के संपादक रहे वरिष्ठ पत्रकार राकेश पाठक दो अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती पर साबरमती के 'सत्याग्रह आश्रम' में प्रार्थना सभा में शामिल होने के लिए अहमदाबाद पहुंचे थे. इसकी जानकारी उन्होंने अपने फेसबुक पर भी दी थी.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया के सदस्य पत्रकार डॉ. राकेश पाठक कहते हैं, "उन्हें दो अक्टूबर को सुबह 8.30 बजे साबरमती आश्रम में प्रार्थना सभा में शामिल होना था. लेकिन इससे पहले ही करीब छह बजे सादे कपड़ों में आई पुलिस उन्हें उठाकर राणीप पुलिस स्टेशन ले गई. इस दौरान उनके मोबाइल भी जब्त कर लिए गए." उनका आरोप है कि पुलिस ने उन्हें खादी कपड़े तक नहीं पहनने दिए.
वह कहते हैं, "पुलिस के इस बर्ताव को देखकर उन्हें गोरखपुर के मनीष गुप्ता की याद आ गई."
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Contributeन्यूज़लॉन्ड्री को किए एक मेल में वह लिखते हैं, थाने में उनसे एक सब इंस्पेक्टर एसएस चौधरी, एएस महेंद्र सिंह एएसआई और एक कांस्टेबल संतोष ने पूछताछ की. इस दौरान पुलिस ने उनसे कहा कि उन्हें जानकरी मिली है कि आप आश्रम में सत्याग्रह करने आए हैं. जबकि वह कहते रहे कि वह सिर्फ यहां आश्रम देखने और प्रार्थना सभा में शामिल होने आए हैं.
लंबी पूछताछ के बाद करीब 12 बजे पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया. हालांकि इसके बाद जब वह सत्याग्रह आश्रम पहुंचे तब उन्हें पुलिस ने दोबारा हिरासत में ले लिया और थाने ले गए. इसके बाद एक बार फिर लंबी पूछताछ के बाद उन्हें छोड़ा गया.
पत्रकार पाठक को लगता है कि उन्होंने साबरमती आश्रम को बचाने के लिए एक फेसबुक पोस्ट लिखी थी. और पीएम मोदी को भी एक चिट्ठी लिखी थी. इसके बाद से उनपर नजर रखी जा रही थी. जिस कारण उनके साथ ऐसा हुआ.
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