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Contributeएनएल चर्चा के 119वें अंक में महाराष्ट्र और गुजरात में आए निसर्ग तूफान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पत्रकारों पर किया गया हमला, भारत-चीन के बीच जारी तनाव, अमेरिकी अश्वेत नागरिक जार्ज फ्लायड की हत्या के बाद अमेरिका में भड़ी हिंसा आदि विषयों पर बातचीत की गई.
इस बार चर्चा में प्रभात ख़बर के दिल्ली ब्यूरो प्रमुख प्रकाश के रे और न्यूज़लॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाथ एस शामिल हुए. चर्चा का संलाचन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
अतुल ने लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी तनाव पर चर्चा की शुरूआत करते हुए प्रकाश से सवाल किया कि, चीन का इस मामले में रवैया काफी आक्रामक है मिलिट्री लेवल पर कई दौर की बातचीत के बाद भी यह अब तक बेनतीजा है. चीन जब अमेरिका के साथ टकराव की स्थिति में है, कोरोना वायरस को लेकर घिरा हुआ है, हॉन्ग कॉन्ग को लेकर उस पर सवाल खड़े हो रहे हैं, ऐसे में चीन, भारत के लद्दाख में मोर्चा खोल कर दुनिया का ध्यान भटकाना चाहता है. इस प्रक्रिया में वह नेपाल का भी इस्तेमाल कर रहा है जो कि अपने आधिकारिक नक्शे को बदलकर उसमें भारत के कुछ हिस्सों को जोड़ने की बात कर रहा है.
इस पर जवाब देते हुए प्रकाश कहते हैं, “हमारे तमाम पूर्व सैनिक लेख लिख रहे हैं कि दोनों देशों के बीच लाइन ऑफ ऐक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर कोई सीमा निर्धारण नहीं है. इसलिए दोनों देश अपना-अपना क्षेत्र होने का दावा करते है. यह घटनाएं पहले भी होते थी, लेकिन यह मामला पिछले कुछ मामलों से अलग है. राजनयिक स्तर पर भी दोनों देश के बीच बातचीत हो रही है. भारत के एनएसए और चीन के विदेश मंत्री के बीच भी इस मसले पर जल्द ही मीटिंग हो सकती है. मुझे लगता हैं, कि जल्द ही दोनों मुलाकात कर के इस मामले को सुलझा लेंगे.”
प्रकाश के मुताबिक फिलहाल किसी भी तरह का बड़ा टकराव होने की आशंका मैं नहीं देखता हूं क्योंकि यह दोनों ही देशों के हित में नहीं है, विशेषकर दोनों देशों के बीच होने वाले भारी-भरकम व्यापार को देखते हुए.
अतुल ने मेघनाथ को इस बातचीत में शामिल करते हुए कहा कि पिछले साल ही दोनों राष्ट्रप्रमुखों की महाबलिपुरम में मुलाकात हुई थी. उस समय दोनों के बीच अच्छी-अच्छी बातें हुई थी, समझौते और उम्मीदें जताई गई थीं. एक साल बीतते-बीतते रिश्तों की सारी खुशगवारियां गायब हो गईं, तनाव दिखने लगा है. चीन की बात करें तो डब्ल्यूएचओ को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन पर लगातार हमलावर हैं. इन सब अवसरों पर भारत अमेरिका के साथ दिखा. ऐसे माहौल में हो सकता है चीन इस तरह की मामलों के जरिए सभी का ध्यान हटाने की कोशिश कर रहा है. क्योंकि जिस तरह से नेपाल में चीन का दखल बढ़ा है और उसके कारण नेपाल की संसद ने नया नक्शा संसद में पास कर दिया. तो कहीं इन सब तरीकों से वह ध्यान भटकाना चाहता हैं क्योंकि कोरोना के मामले में उसे बहुत सारे जवाब देने हैं.
इस पर प्रकाश कहते है, यह सारी बातें हो सकती हैं, लेकिन मेरा मानना हैं कि यह मुख्य कारण नहीं हो सकता.क्योंकि अगर ऐसा होता तो उत्तराखंड या चीन से लगने वाली बाकी सीमाओं पर भी इसका प्रभाव दिखाता, लेकिन ऐसा नहीं है. क्योंकि सीमा पर यह तनाव भारत और चीन के बीच हर गर्मियों में होता रहता है.
यहां पर मेघनाथ हस्तक्षेप कहते हैं, “लद्दाख के मुद्दे से थोड़ा अलग बात करते है. अगर हम बात करें भारत और तिब्बत सीमा यानी कि डोकलाम का वह क्षेत्र जहां दोनों देशों के बीच पिछले साल विवाद हुआ था. चीन इस पूरे इलाके में अपनी रेल सर्विस को मजबूत कर रहा है. उसने इस इलाके में 120 में से 119 टनल का निर्माण कर लिया है. यह पूरी रेल सर्विस 2021 में चालू हो जाएगी. इसलिए लद्दाख के मुद्दे पर हमें कम ध्यान देकर तिब्बत बार्डर पर देना चाहिए, क्योंकि लद्दाख इलाके में दोनों देशों के बीच कोई निर्धारित सीमा नहीं हैं, इसलिए यहां पर तनाव होते रहते हैं. लेकिन तिब्बत के क्षेत्र में चीन ने इन्फ्रास्टक्चर मजबूत कर लिया है.”
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