जमीन से जुड़े नायकों को पुरस्कृत कर, पद्मश्री सम्मान ने एक सराहनीय वापसी की है

सरकार के सबसे बड़े निंदक और संदेह करने वालों को भी राजनीति एक तरफ रख हमारे नए प्रेरणास्त्रोतों का स्वागत करना चाहिए.

WrittenBy:राजन लाड
Date:
Article image
  • Share this article on whatsapp

पद्मश्री से सम्मानित राहीबाई सोमा पोपेरे, महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले से आने वाली आदिवासी समुदाय महादेव कोली की एक आदिवासी किसान हैं. वह देसी और जैविक बीजों के पक्ष में उनके प्रयासों, और अपने इलाके में हाइब्रिड बीजों, रासायनिक बीज नाशकों व खाद की वजह से बच्चों के बीमार पड़ने के बाद उनके खिलाफ आंदोलन के लिए, "सीड मदर" अर्थात बीज मां के नाम से भी जानी जाती हैं.

"एलीफेंट मैन ऑफ इंडिया" या "एलीफेंट सर्जन" के नाम से मशहूर इस वर्ष पद्मश्री से सम्मानित डॉ. कुशल कुंवर शर्मा एक पशु चिकित्सक हैं और असम के कॉलेज ऑफ वेटरनरी साइंस में शल्य चिकित्सा और रेडियोलॉजी के प्रोफेसर हैं. उन्होंने 600 से ज्यादा हाथियों का इलाज किया है और 140 नर हाथियों को बचाया है.

कुछ राजनेताओं और नौकरशाहों को भी सम्मान दिया गया. असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई और पूर्व केंद्रीय मंत्रियों अरुण जेटली, सुषमा स्वराज और रामविलास पासवान, सभी को मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.

लोकसभा की पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन और शेष के नौकरशाह रह चुके नृपेंद्र मिश्रा को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. दो बार की ओलंपिक पदक विजेता पीवी सिंधु को भी पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.

कंगना रानौत को पद्मश्री दिए जाने पर कई लोगों ने अपनी भौंहें चढ़ा ली हैं, लेकिन उनके सबसे बड़े आलोचक भी इस बात से इंकार नहीं कर सकते कि वह बहुत योग्य अदाकारा हैं जिन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में अपना रास्ता खुद बनाया है. वो भले ही सरकार के समर्थक और भड़काऊ बातें करती हों, लेकिन इससे एक कलाकार के तौर पर उनकी उपलब्धियों में कमी नहीं आती.

करण जौहर को पद्मश्री दिए जाने पर कई लोगों को अच्छा नहीं लगा. उनका काम भले ही सबकी पसंद का न हो, लेकिन वह निर्विवाद रूप से एक सफल पटकथा लेखक, निर्देशक, टॉक शो के मेजबान, गेम शो के जज और लेखक हैं. वह भारत की सबसे बड़ी फिल्म निर्माता कंपनियों में से एक को चलाते हैं.

नई प्रक्रिया क्यों सफल है

प्रक्रिया पर वापस आते हैं.

अगस्त 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रियों के द्वारा पद्म सम्मानों के लिए नाम सुझाने की प्रक्रिया खत्म कर दी. पद्म सम्मानों के लिए नाम सुझाने को आम जनता के लिए ऑनलाइन खोल दिया गया. कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री ने नामांकनों को न्योता देते हुए इस बारे में ट्वीट भी किया था.

सरकारी मुलाजिम जिनमें पीएसयू में काम करने वाले भी शामिल हैं, इन सम्मानों के योग्य नहीं हैं हालांकि अपवाद स्वरूप वैज्ञानिक और डॉक्टर इन्हें पा सकते हैं.

पद्म सम्मान कमेटी के द्वारा विजेताओं को शॉर्टलिस्ट किया जाता है और फिर उनके नाम प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेज दिए जाते हैं. इस कमेटी की अध्यक्षता केंद्रीय कैबिनेट सचिव करते हैं और इसमें गृह सचिव राष्ट्रपति के सचिव और 4 से 6 गणमान्य व्यक्ति होते हैं.

नतीजे बताते हैं कि इस नई प्रक्रिया ने अच्छा काम किया है.

यह बात ठीक है कि सम्मान कई क्षेत्रों में सरकार से सहमति रखने वालों को दिए गए. यह भी सही है कि कुछ पूर्व और दिवंगत मंत्रियों को भी सम्मान दिया गया, जो या तो भाजपा के सदस्य या फिर साथी थे. लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अपने-अपने क्षेत्रों में वह सफल लोग थे.

लेकिन जमीन पर अथक मेहनत करने वाले आम लोगों को सम्मानित किया जाना ही इसे पृथक और दिल को छू लेने वाला बनाता है. यह लोग न तो अमीर हैं, न मशहूर और न ही ताकतवर; कुछ तो बहुत पिछड़े हुए वर्गो से आते हैं. आमतौर पर ऐसे लोग अपने पूरे जीवन और उसके बाद भी अनजाने, अनसुने और सम्मान से वंचित रहते हैं. अगर उनकी किस्मत अच्छी हो तो ही उनकी उपलब्धियों को उनके आसपास के कुछ लोग जानते हैं.

पहले ऐसे लोगों को एक स्थानीय सम्मान तक के लिए भी कोई नहीं पूछता क्योंकि उनका कोई बड़ी जगहों पर उनके आवास उठाने और समर्थन करने वाला नहीं होता था. आज वे देश के सर्वोच्च सम्मान पाने वाले लोग हैं और उनका देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने गर्मजोशी से अभिवादन किया.

हम ध्रुवीकरण और वैमनस्य के चरण के युग में रह रहे हैं. सरकार का कोई भी कदम, हमेशा ही एक अनुमानित प्रतिक्रिया पैदा करता है. शायद ही ऐसा कुछ होता है जो निर्विवाद रूप से महान हो, जो बड़े से बड़े निंदक को भी साथ ला सके.

उम्मीद है कि यह नए प्रेरणा स्त्रोत, राज्य के द्वारा दिए गए सम्मानों और सरकार के द्वारा कुछ भी किए जाने के प्रति एक आम संदेह की भावना को कम करने में मदद कर पाएं.

आशा है कि पूरा देश इन नए नायकों और प्रेरणा स्रोतों का स्वागत करने के लिए एकजुट होगा और उन्हें राजनीति के चश्मे से नहीं देखेगा.

कमल का फूल, जिसके नाम पर इन सम्मानों का नाम पड़ा, मानवी प्रकृति की एक सर्वोत्कृष्ट उपमा है. कीचड़ में जड़ें होते हुए भी खेलने वाला फूल सबसे सुंदर होता है. हाल ही में सम्मानित हुए लोगों के जीवन और योगदानों पर यह उपमा बिल्कुल सही बैठती है, जिनकी जड़ें पूरी तरह मिट्टी से जुड़ी हुई हैं.

आशा है यह कमल ऐसे ही खिला रहेगा.

इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

Also see
article imageउत्तर प्रदेश की एनकाउंटर संस्कृति और न्यायेतर हत्याएं
article image'सांप्रदायिक हिंसा ज्वालामुखी से निकलने वाले लावे की तरह है': जाकिया जाफरी मामले में कपिल सिब्बल
subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

You may also like