स्टैंड डॉट अर्थ द्वारा प्रकाशित स्कोरकार्ड से पता चलता है कि ये दिग्गज कंपनियां जलवायु परिवर्तन के खिलाफ काम करने में खरा नहीं उतरीं.
इस बारे में स्टैंड डॉट अर्थ के मुहन्नद मालास ने बताया कि कंपनियों को अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए जल्द से जल्द कदम उठाने होंगे. अगर फैशन कंपनियां वास्तव में जलवायु संकट को हल करना चाहती हैं तो उन्हें अपने जीवाश्म ईंधन के उपयोग को बंद करने और पॉलिएस्टर जैसी सामग्री को अलविदा कहने की जरूरत है.
इनमें से काफी उद्योग वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों में स्थापित है जो काफी हद तक थर्मल पॉवर पर निर्भर हैं ऐसे में वो बड़े पैमाने पर उत्सर्जन कर रहे हैं जो जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण का कारण बन रहा है जिसमें बदलाव की जरूरत है. हालांकि कुछ कंपनियां अक्षय ऊर्जा के उपयोग पर बल दे रही हैं. वहीं कई कंपनियों ने हाल ही में पॉलिएस्टर और नायलॉन जैसी सामग्री के स्थान पर चरणबद्ध तरीके से बेहतर सामग्री के उपयोग की घोषणा की है. लेकिन अभी भी बड़े पैमाने पर इनसे होने वाला कचरा लैंडफिल में जा रहा है जो पर्यावरण के लिए एक बड़ी समस्या है, जिसे खत्म करना जरूरी है.
देखा जाए तो फैशन उद्योग बड़े पैमाने पर समुद्र और वायु मार्ग से शिपिंग पर निर्भर है, जो बड़े पैमाने पर दुनियाभर में वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है. अनुमान है कि आने वाले कुछ दशकों में शिपिंग की यह जरूरत नाटकीय रूप से काफी बढ़ जाएगी. स्कोरकार्ड के मुताबिक एडिडास, मैमट, नाइक और प्यूमा जैसे कुछ ब्रांड ने अपनी आपूर्ति श्रृंखला के दौरान होने वाले उत्सर्जन में कमी लाने के लक्ष्य में शिपिंग को शामिल किया है.
हाल ही में इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) द्वारा जारी रिपोर्ट में भी जलवायु परिवर्तन को दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा बताया है. रिपोर्ट के मुताबिक यदि हम जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता को कम करने में विफल रहते हैं तो आने वाले समय में जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणाम सामने आएंगे. ऐसे में यह जरूरी है कि फैशन कंपनियां जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए ठोस कदम उठाएं. साथ ही अक्षय ऊर्जा और पर्यावरण अनुकूल सामग्री पर जोर दिया जाना चाहिए, जिससे हम अपने आने वाले कल को बेहतर बना सकें.
(साभार- डाउन टू अर्थ)