याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार को इस तरह के विषय की जांच के लिए आयोग के गठन का अधिकार ही नहीं है.
पेगासस मामले की जांच को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा बनाए गए जांच आयोग के गठन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. कोर्ट ने आयोग की कार्रवाई पर कोई रोक ना लगाते हुए बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया है.
याचिका में कहा गया है कि जब सुप्रीम कोर्ट खुद इस मामले की सुनवाई कर रहा है तो ममता सरकार द्वारा आयोग का गठन क्यों किया गया? साथ ही जांच आयोग के गठन को अवैध बताते हुए उसे निरस्त करने की मांग की.
याचिका में कहा गया, राज्य सरकार को इस तरह के विषय की जांच के लिए आयोग के गठन का अधिकार ही नहीं है. राज्य सरकार सिर्फ राज्य सूची और समवर्ती सूची के ऐसे विषयों की जांच कर सकती है, जो उसके भौगोलिक दायरे में आते हैं. इसलिए आयोग का गठन ही अवैध है. यह कमीशन ऑफ इंक्वायरी एक्ट के प्रावधानों पर भी खरा नहीं उतरता.
इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि याचिकाकर्ता की बातों में विरोधाभास है. उसने जांच की मांग की है, लेकिन जांच आयोग को अवैध बताया है. जिसके बाद कोर्ट ने आयोग के कामकाज पर रोक लगाने से मना कर दिया है.
तीन जजों की बेंच ने कहा, आयोग अभी सिर्फ प्राथमिक काम कर रहा है. अभी जांच शुरू नहीं हुई है. इस मामले की अब अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी.
बता दें कि, पेगासस मामले की जांच के लिए ममता सरकार ने 27 जुलाई को नोटिफिकेशन जारी कर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया था. राज्य सरकार की इस जांच कमेटी में हाईकोर्ट के दो रिटायर्ड जज भी शामिल हैं. ये कमेटी प. बंगाल में फोन हैकिंग, ट्रैकिंग और फोन रिकॉर्डिंग के आरोपों की जांच करेगी.
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