पत्रकार आशीष सागर दीक्षित कई सालों से बुंदेलखंड में खनन माफियाओं के खिलाफ रिपोर्टिंग कर रहे हैं. उनकी मां को धमकाया गया कि आशीष को ऐसा करने से रोक लें वरना नतीजा अच्छा नहीं होगा.
झूठे मुकदमे में फ़ंसाने की दी जा रही है धमकी
न्यूज़लॉन्ड्री ने 27 वर्षीय उषा निषाद से भी बात की. उन्होंने बताया, "हमें गलत मुक़दमे में फंसाने और जान से मारने की धमकी दी जा रही है. हमने कई बार एसडीएम और डीएम से मुलाक़ात की लेकिन हर बार आश्वासन देकर भेज देते हैं. हमने सूचना दे दी है कि हमें रोज़ धमकाया जा रहा है बावजूद इसके कोई पुलिस सुरक्षा मुहैया नहीं कराई गई है."
जयराम सिंह ने जवाब में 16 जून को एक वीडियो जारी किया. इस वीडियो में उन्होंने आशीष और उनके साथियों पर घूस लेने का आरोप लगाया. जयराम कहते हैं, "ये लोग (आशीष और उषा) लक्ज़री पसंद लोग हैं. ये अपने खर्चे पूरे करने के लिए खदानों पर हमला करते हैं और खदानों से अवैध वसूली और रंगदारी मांगते हैं. जो रंगदारी देने से मना करता है उसके ऊपर अवैध आरोप लगाते हैं. साथ ही झूठी खबरें लिखते हैं."
मां को धमकाने वाली बात पर वह कहते हैं, "आशीष का घर हमारे पड़ोस में है. हम वहां से गुज़र रहे थे. वहां आशीष की मां खड़ी हुई दिखीं तो हमने उनको समझाया कि हम कुछ अवैध नहीं करते."
वहीं मामले में यूपी कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा, "बालू खनन और पर्यावरण से जुड़े मुद्दे उठाने पर पत्रकार आशीष सागर दीक्षित और उषा निषाद को माफियाओं द्वारा लगातार धमकियां मिल रही हैं. प्रशासन उनकी जल्द से जल्द सुरक्षा सुनिश्चित करे."
न्यूज़लॉन्ड्री ने पैलानी के एसडीएम से भी बात की. उन्होंने बताया, "हम कई बार जांच कर चुके हैं और रिपोर्ट डीएम साहब को दे दी है. वहां कुछ अवैध नहीं हो रहा. अगर इन लोगों (आशीष और उषा) को धमकी दी जा रही है तो पुलिस में जाकर शिकायत दर्ज करा सकते हैं."
तीन सरकारी नौकरियां छोड़ने वाले आशीष सागर दीक्षित वॉइस ऑफ़ बुंदेलखंड के डिजिटल एडिटर हैं. वह सितम्बर 2009 से पत्रकारिता से जुड़े हैं. तभी से वह बुंदेलखंड में रिपोर्टिंग कर रहे हैं.
बता दें कि बीते रविवार को प्रतापगढ़ के कटरा मेदनीगंज में एबीपी गंगा न्यूज चैनल के 45 वर्षीय पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव रात को संदिग्ध हाल में मृत पड़े मिले थे. एक दिन पहले ही उन्होंने आला पुलिस अधिकारियों को पत्र भेज कर अपनी जान को खतरा बताया था. आशीष सागर को डर है कहीं उनके साथ भी ऐसा न हो जाए.
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