पत्रकार सिद्दीकी कप्पन व तीन अन्य शांति भंग मामले में आरोप मुक्त

पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर आरोप लगाए थे कि उनके पीएफआई के साथ संबंध थे और हाथरस में अशांति फैलाने का इरादा था.

Article image

मथुरा की एक अदालत ने मंगलवार को केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन और तीन अन्य के खिलाफ शांति भंग की आशंका से संबंधित आरोपों पर कार्यवाही रद्द कर दी. बचाव पक्ष के वकील का कहना है कि पुलिस छह महीने की निर्धारित अवधि के भीतर उनके खिलाफ जांच पूरी करने में विफल रही.

कप्पन और उसके कथित सहयोगियों, जिन पर कट्टरपंथी समूह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जुड़े होने का संदेह था, को पिछले साल 5 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था. जब वे हाथरस गांव में एक लड़की के सामूहिक बलात्कार और हत्या के बाद की घटनाओं को कवर कर रहे थे. उन्हें शांति भंग करने की आशंका पर गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में उन पर देशद्रोह और आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के उल्लंघन के कड़े आरोप लगाए गए.

बचाव पक्ष के वकील मधुबन दत्त चतुर्वेदी ने कहा, "उप संभागीय मजिस्ट्रेट राम दत्त राम ने मंगलवार को पुलिस द्वारा 5 अक्टूबर, 2020 को धारा 151, 107, 116 सीआरपीसी के तहत गिरफ्तार आरोपियों अतिकुर्रहमान, आलम, पत्रकार सिद्दीकी कप्पन और मसूद को आरोपमुक्त कर दिया.

मालूम हो कि आरोपी पिछले साल 7 अक्टूबर से एक अन्य मामले में धारा 153ए (समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 124ए (देशद्रोह), 120बी (साजिश) आईपीसी, 17/18 यूएपीए के तहत जेल में बंद हैं.

पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर आरोप लगाए कि उनके पीएफआई के साथ संबंध थे और हाथरस में अशांति फैलाने का इरादा था.

Also see
article image'पक्ष'कारिता: कोरोना माई और उसके गरीब भक्‍तों से हिंदी अखबारों की क्‍या दुश्‍मनी है?
article imageअलीगढ़ शराब कांड: “मेरे लिए अब हमेशा रात है”
subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like