सुरेश को निजी अस्पताल ने भर्ती नहीं किया. इसके बाद उनका परिवार उन्हें मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचा जहां ऑक्सीजन नहीं होने से उनकी मौत हो गई.
शुक्रवार को मेरठ के लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में दो युवक एक बेहोश आदमी को उठाने की कोशिश कर रहे थे.
बेहोश आदमी मेरठ के नगला भट्टू इलाके में फल बेचने वाले 60 वर्षीय सुरेश थे. बेजान हो चुके सुरेश को उनका बेटा शिवम और उसका एक दोस्त इलाज के लिए लेकर भाग रहे थे. साथ में उनके बड़े भाई रमेश और पत्नी बबीता असहाय होकर देख रही थी.
इसी दौरान लगातार रो रही बबिता बेजान पड़े सुरेश से पूछती है, ‘‘क्या हुआ तुम्हें, कल तक तो तुम ठीक थे. बोलो ना?’’
सुरेश की तबीयत एक रात पहले से ही खराब थी. रमेश न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, ‘‘उसे अचानक सांस लेने में दिक्क्त आने लगी. हम पहले उसे अपनी छत पर खुली हवा में ले गए, लेकिन जब वह काम नहीं किया, तो हम डॉक्टर के पास गए. डॉक्टर ने कुछ दवाएं दी और कोविड जांच कराने के लिए बोला. आज हम टेस्ट कराने के लिए लेकर आए तो कुछ ही देर में मौत हो गई.’’
घर से टेस्ट कराने के लिए निकले सुरेश की तबीयत बिगड़ गई जिसके बाद सुरेश को ई-रिक्शा में लेकर इलाज के लिए भागने लगे. रमेश ने हमें बताया, ‘‘हम यहां के एक निजी अस्पताल में गए, लेकिन उन्होंने भर्ती नहीं किया. उनके पास वेंटिलेटर नहीं था. इसका ऑक्सीजन कम हो गया था.’’
निजी अस्पताल ने जब भर्ती नहीं किया तो सुरेश के भाई और बेटे उन्हें लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे. यहां सुरेश बेहोश होकर बेजान से हो गए. शिवम रोते-रोते उन्हें समेट रहे थे. ई-रिक्शा पर बैठी बबिता भी बेहोश होकर एक तरफ लुढ़क गईं.
ई-रिक्शा से लेकर परिजन आपातकालीन वार्ड की तलाश कर रहे थे. आपातकाल वार्ड के करीब 300 मीटर दूर ई-रिक्शा टूट गया. आ-जा रहे लोगों से शिवम ने मदद मांगी. जब किसी ने मदद नहीं की तो शिवम अपने दोस्त की स्कूटी पर लेकर भागा. आपातकालीन वार्ड में वैसे भी बहुत कम ऑक्सीजन बची थी. वहां लोगों की मौत ऑक्सीजन के बगैर हो रही थी ऐसे में सुरेश को सुविधा नहीं मिली और थोड़ी देर बाद ही उनकी मौत हो गई.
रमेश ने कहा, ‘‘हम इधर-उधर भाग रहे थे, लेकिन कुछ भी नहीं हो पाया. अब सब कुछ बर्बाद हो गया है. क्या बचा है?’’
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