क्राइम ब्रांच ने यह केस 2018 में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) की शिकायत पर पत्रकार के खिलाफ दर्ज किया था.
दिल्ली पुलिस ने द ट्रिब्यून की पत्रकार रचना खेड़ा के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने की बात कही है. पुलिस ने अदालत में कहा, 2018 में दर्ज केस में कोई सबूत नहीं होने के कारण बंद किया जाता है.
क्राइम ब्रांच ने यह केस 2018 में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) की शिकायत पर पत्रकार के खिलाफ दर्ज किया था. 3 जनवरी, 2018 को खेड़ा ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि कैसे उन्होंने एक एजेंट के माध्यम से 500 रुपए में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण में दर्ज लोगों के व्यक्तिगत डाटा पाने में सक्षम थीं.
इस व्यक्तिगत विवरण में नाम, पता, डाक कोड, फोटो, फोन नंबर और ईमेल पता शामिल था. इस रिपोर्ट के दो दिन बाद, यूआईडीएआई ने दिल्ली पुलिस में पत्रकार समेत तीन लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया था. शिकायत में कहा गया कि ट्रिब्यून ने "व्हाट्सएप पर गुमनाम विक्रेताओं द्वारा दी जा रही एक सेवा खरीदी थी जो कि प्रतिबंधित सूचना प्रदान करती है.
प्राधिकरण ने अपनी शिकायत में तीन लोगों का नाम लिया था. इन लोगों से खेड़ा ने अपनी रिपोर्ट के लिए संपर्क किया था. शिकायत में कहा गया कि इन लोगों ने आपराधिक साजिश के तहत आधार का अनधिकृत रूप से उपयोग किया है.
तीन साल जांच के बाद दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि, आधार के डाटा को अनधिकृत रूप से एक्सेस नहीं किया गया था, इसलिए रिपोर्ट से रद्द करने के लिए कोर्ट में आवेदन दिया.
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