योगी के ‘चूतिया’ वाले बयान पर पत्रकारों और दक्षिणपंथी मीडिया संस्थानों का फैक्ट गड़बड़ाया

योगी आदित्यनाथ का वीडियो वायरल होने के बाद कई पत्रकार गलत तथ्य के आधार पर उनके बचाव में उतरे, एएनआई ने वीडियो ही वापस ले लिया.

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उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ का एक वायरल वीडियो सोमवार को पूरे दिन सोशल मीडिया पर छाया रहा. दरअसल इस वीडियो में सीएम कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद पीएम और स्वास्थ्य मंत्रालय का आभार जता रहे थे, लेकिन वीडियो रिकॉर्ड होने के दौरान ही पत्रकार की ओर से कुछ परेशानी आ गई. इस पर सीएम ने बाइट ले रहे व्यक्ति को कथित तौर पर “क्या चूतियापना कर रहे हो” बोल दिया.

यह वीडियो बाइट योगी आदित्यनाथ एएनआई को दे रहे थे. कई मीडिया संस्थान इस वीडियो फीड को लाइव दिखा रहे थे. लिहाजा यह वीडियो तमाम चैनलों पर ऑनएयर चला गया. इसके बाद लोगों ने सीएम के पद पर बैठे व्यक्ति की भाषा को लेकर सवाल करना शुरू किया तो बीजेपी आईटी सेल ने उस वीडियो को दो हिस्सों में दिखाया और कहा की सीएम ने कोई आपत्तिजनक भाषा का उपयोग नहीं किया है.

बीजेपी और सीएम योगी से जुड़े लोगों द्वारा किया जा रहा बचाव तो समझ में आता हैं क्योंकि वायरल वीडियो से उनके नेता की बदनामी हो रही थी लेकिन यह समझ से परे है कि पत्रकार दीपक चौरसिया, भूपेंद्र चौबे और कुछ दक्षिणपंथी न्यूज पोर्टलों ने भी अपना फैक्ट चेक किए बिना ही उस वीडियो को एडिटेड बताना शुरू कर दिया.

क्या है वीडियो की सच्चाई

योगी आदित्यनाथ का वायरल हो रहा वीडियो सही है इसकी पुष्टि खुद एएनआई के वीडियो ने ही की है. दरअसल जब सीएम वैक्सीन लगवाने के बाद बयान दे रहे थे तब एएनआई ने इस लाइव फीड को न्यूज 18 उत्तरप्रदेश उत्तराखंड और एबीपी गंगा ने लाइव चलाया था. हालांकि दोनों ही चैनलों ने दक्षिणपंथियों द्वारा फैलाए जा रहे झूठ को सच करने में कोई कमी नहीं छोड़ी. दोनों चैनलों ने लाइव फीड के उस हिस्से को अपने यूट्यूब चैनल से एडिट कर दिया जिसमें सीएम आपत्तिजनक भाषा का उपयोग कर रहे हैं.

न्यूज़लॉन्ड्री ने एबीपी गंगा के उस वीडियो को जब यूट्यूब पर देखा तो वहां आपत्तिजनक शब्द को हटा कर नया वीडियो पोस्ट कर दिया गया. चैनल की इस चालाकी को जनता ने समझ लिया और चैनल के कमेंट सेक्शन में वीडियो को हटाने को लेकर चैनल से ही सवाल पूछ लिए.

न्यूज 18 यूपी उत्तराखंड ने तो योगी आदित्यनाथ के बाइट वाला वीडियो ही यूट्यूब से हटा दिया. सोमवार को अपलोड किए गए वीडियो में योगी आदित्यनाथ का वैक्सीन को लेकर सिर्फ एक वीडियो है जिसमें चैनल जानकारी दे रहा है कि सीएम वैक्सीन लगवाने जा रहे हैं. उसके बाद जो वीडियो अपलोड किया गया उसके थंबनेल में सीएम योगी का बाइट देते हुए फोटो दिख रहा है लेकिन वीडियो चलाने पर वह हिस्सा गायब था.

चैनलों द्वारा हटाए गए इस वीडियो को यूपी के पूर्व आईएएस सूर्यप्रताप सिंह शाही और पत्रकार रोहिणी सिंह ने रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर शेयर किया है. सूर्यप्रताप सिंह ने न्यूज 18 का लाइव फीड वाला वीडियो रिकॉर्ड कर शेयर किया है जिसमें सीएम आपत्तिजनक भाषा का उपयोग करते हुए दिख रहे हैं.

वहीं रोहिणी सिंह ने एबीपी गंगा के लाइव फीड का वीडियो अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया है. जिसमें साफ-साफ सीएम आपत्तिजनक भाषा का उपयोग कर रहे हैं.

एएनआई का पक्ष

बता दें कि, समाचार एजेंसी एएनआई का सत्ता के साथ कथित तौर पर नजदीकी की बाते कही जाती रही हैं. न्यूज़लॉन्ड्री के पॉडकास्ट एनएल चर्चा में इस सप्ताह शामिल वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने एएनआई पर लेकर कहा था कि, “एएनआई का कामकाज हमेशा से केंद्र में रही सरकार के साथ मिलकर रहा है, इसलिए उसे बहुत स्वतंत्र मीडिया एजेंसी के तौर पर नहीं देख सकते हैं.”

सत्ता से साथ गठजोड़ इस मामले में भी देखने को मिला. एजेंसी के लाइव फीड को अन्य चैनलों ने लाइव दिखाया लेकिन एजेंसी ने उस वीडियो को झूठ बोल रहे सत्ता के शीर्ष में बैठे अधिकारियों से कोई विरोध नहीं दर्ज करवाया. एजेंसी ने अपने वीडियो को ना ही गलत और ना ही एडिटेड बताया. लेकिन एक काम एएनआई ने जरूर किया. उसने पुराना वीडियो वापस लेकर एक नया वीडियो जारी कर दिया. जाहिरन ऐसा करने से यह बात फिर से पुष्ट हो गई कि योगी के पिछले बयान में कुछ तो ऐसा था जिसके लिए एएनआई को अपना वीडियो वापस लेकर दूसरा वीडियो जारी करना पड़ा. एएनआई यूपी के हैंडल से ट्वीट करके जानकारी दी गई कि “योगी आदित्यनाथ का कोविड वैक्सीन को लेकर बयान. इसके नीचे एडिटर नोट करके लिखा हुआ था कि- पहले जारी किए गए लाइव साउंड बाइट को वापस ले लिया गया है.”

अपने नए जारी वीडियो में एजेंसी ने साफ किया कि हम पुराने वीडियो को वापस ले रहे हैं, इसका मतलब यह है कि ना तो वीडियो गलत है और ना ही इसमें कोई एडिटिंग की गई है जैसा कि दक्षिणपंथी न्यूज वेबसाइटें और दीपक या भूपेंद्र जैसे पत्रकार दावा कर रही हैं. समाचार एजेंसी की मुख्य संपादक स्मिता प्रकाश ने न्यूज़लॉन्ड्री से इस मुद्दे पर बात करने से इंकार कर दिया. लेकिन बूम लाइव को दिए एक जवाब में एजेंसी के एडिटर ईशान प्रकाश ने कहा, “आप यूपी एएनआई के ट्वीट को देख सकते हैं, मुझे इस मामले पर और कुछ नहीं कहना है.”

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