डिजीपब: डिजिटल मीडिया की नियमावली स्वतंत्र मीडिया के मौलिक सिद्धांतों के खिलाफ

डिजीपब ने केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेडकर को पत्र लिखकर अपनी चिताएं जाहिर की है.

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डिजीपब न्यूज़ इंडिया फ़ाउंडेशन ने डिजिटल मीडिया के लिए जारी नई गाइडलाइन्स को लेकर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेडकर को पत्र लिखकर अपनी चिताएं जाहिर की है.

डिजीपब ने इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स 2021 की ‘कुछ बारीकियों’ की व्याख्या करते हुए कहा है कि ये नियम “लोकतंत्र में समाचार के मूल सिद्धांत और उसकी भूमिका के खिलाफ जाते हैं.”

केंद्रीय मंत्रियों को लिखे पत्र में कहा गया हैं कि क्योंकि, सभी समाचार माध्यमों का आत्म-नियमन "अनिवार्यता और समय की आवश्यकता" है, ऐसे में ताजा नियमावली ने सरकार के हाथ में बड़ी शक्तियां प्रदान की हैं, जो भारत के संविधान में निहित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धांत के खिलाफ हैं.

एसोसिएशन ने कहा, “पहले से मौजूद कानून और नियम समाचार मीडिया को जवाबदेह बनाते हैं. ऐसे में नए नियम सरकार को समाचारों और प्रकाशित सामग्री पर अपना नियंत्रण स्थापित करने में सक्षम बनाती हैं.”

न्यूज फाउंडेशन ने कहा, “हमने इस मामले में दिसंबर महीने में सूचना एवं प्रसारण मंत्री को पत्र लिखा था लेकिन मंत्रालय से कोई जवाब नहीं आया.” पत्र में आगे कहा गया है, “अभी भी बहुत देर नहीं हुई है. हम सरकार से आग्रह करते हैं कि इस कानून को वापस लिया जाए या उन्हें स्थगित किया जाए, जब तक कि इस नियमावली से जुड़े तमाम हिस्सेदारों से बातचीत नहीं हो जाती.”

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केंद्रीय मंत्रियों को लिखे पत्र में कहा गया हैं कि क्योंकि, सभी समाचार माध्यमों का आत्म-नियमन "अनिवार्यता और समय की आवश्यकता" है, ऐसे में ताजा नियमावली ने सरकार के हाथ में बड़ी शक्तियां प्रदान की हैं, जो भारत के संविधान में निहित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धांत के खिलाफ हैं.

एसोसिएशन ने कहा, “पहले से मौजूद कानून और नियम समाचार मीडिया को जवाबदेह बनाते हैं. ऐसे में नए नियम सरकार को समाचारों और प्रकाशित सामग्री पर अपना नियंत्रण स्थापित करने में सक्षम बनाती हैं.”

न्यूज फाउंडेशन ने कहा, “हमने इस मामले में दिसंबर महीने में सूचना एवं प्रसारण मंत्री को पत्र लिखा था लेकिन मंत्रालय से कोई जवाब नहीं आया.” पत्र में आगे कहा गया है, “अभी भी बहुत देर नहीं हुई है. हम सरकार से आग्रह करते हैं कि इस कानून को वापस लिया जाए या उन्हें स्थगित किया जाए, जब तक कि इस नियमावली से जुड़े तमाम हिस्सेदारों से बातचीत नहीं हो जाती.”

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