सरकार ने पत्र में कहा, कश्मीर टाइम्स को आवंटित पांच घरों में से सिर्फ दो को खाली कराया गया हैं क्योंकि आवंटन की तारीख समाप्त हो गई थी.
एडिटर गिल्ड द्वारा जम्मू कश्मीर में कश्मीर टाइम्स के ऑफिस और पत्रकार अनुराधा भसीन के खिलाफ हो रही कार्रवाई पर चिंता जताते हुए जारी बयान के बाद अब जम्मू कश्मीर सरकार ने गिल्ड को पत्र लिखा है.
सूचना विभाग के प्रिंसिपल सचिव के द्वारा जारी यह पत्र सीमा मुस्तफ़ा को संबोधित करते हुए लिखा गया है. इस पत्र में कश्मीर टाइम्स की एडिटर अनुराधा भसीन से खाली कराए गए घर को लेकर जानकारी दी गई है. साथ ही बताया गया है कि कुल पांच घर कश्मीर टाइम्स के ऑफिस और उसके पत्रकारों के लिए आंवटित किए गए थे.
इसमें से एक घर अखबार की एडिटर अनुराधा भसीन को साल 2000 में एक साल के लिए आवंटित किया था लेकिन तब से लेकर वह अभी तक इसी घर में रह रही थीं. उनपर कुल बकाया दो लाख 48 हजार रुपए हैं वहीं 50 हजार से ज्यादा का बिजली का बिल भी जमा नहीं कराया गया है.
The media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.
Contributeइसके साथ ही बताया गया है कि, अखबार के तत्कालीन एडिटर वेद भसीन को आंवटित घर जिसकी अवधि 2015 में खत्म हो गई, उसे सरकार ने खाली करवाया है. जबकि अभी भी अखबार और उससे जुड़े पत्रकार तीन अन्य सरकारी घरों का उपयोग कर रहे हैं.
गिल्ड की अध्यक्ष को लिखे इस पत्र के आखिरी में कहा गया है कि इन दोनों घरों को खाली करने के लिए अखबार को पर्याप्त समय दिया गया. विभाग द्वारा कहा गया था कि चार अगस्त तक वह मकान को खाली कर राज्य सरकार को सौंप दें, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया जिसके बाद यह कार्रवाई की गई.
बता दें कि गिल्ड ने सरकार की कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा था कि 55 साल पुराने अखबार को मार्च में श्रीनगर एडिशन बंद करने के लिए दवाब डाला गया. गिल्ड ना सिर्फ कश्मीर टाइम्स बल्कि केंद्र शासित राज्य में परेशान किए जा रहे अन्य पत्रकारों के खिलाफ जारी कार्रवाई की निंदा करता है. हम जम्मू कश्मीर सरकार से मांग करते हैं कि सरकार स्वतंत्र होकर मीडिया को काम करने की इजाज़त दे.
General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.
Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?