दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और विवादों पर संक्षिप्त टिप्पणी.
The media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.
Contributeलंबे समय बाद टिप्पणी फिर से शुरू हो रहा है. अब यह थोड़ा बदले हुए अंदाज में हर हफ्ते आपके सामने होगा. इस बार की टिप्पणी हमारे टीवी चैनलों में छाए हुए कुछ बारामासी पतझड़ों के ऊपर है. नफरत, झूठ, मारधाड़ से भरे टीवी चैनलों के माहौल में दो वाकए हमने इस बार की टिप्पणी के लिए उठाए हैं. पहला दीपक चौरसिया की चीख-चिल्लाहट और दूसरा ज़ी न्यूज़ के एंकर अमन चोपड़ा की सांप्रदायिक गलतबयानी.
हम ऐसे समय में रह रहे हैं जब इस तरह की अपीलें सुनने को मिलती हैं कि टीवी चैनल न देखें. या कम देखें. इन एंकरों की कारस्तानी को सिर्फ टीआरपी की मजबूरी में की जा रही नौटंकी मान कर अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. ये एंकर एक व्यवस्थित तंत्र का हिस्सा बनकर एक समुदाय के खिलाफ, लोकतंत्र के खिलाफ, संविधान के खिलाफ लोगों में ज़हर भरने का काम कर रहे हैं. इसलिए टीवी पर समाचार कम देखिए. न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब कीजिए. यहां आपको ग्राउंड रिपोर्टस मिलेंगी, पॉडकास्ट मिलेगा, वीडियो शो मिलेंगे और हां दंगल, कुश्ती, ताल ठोंक के बिल्कुल नहीं मिलेगा.
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