एनएल चर्चा 114: इरफ़ान खान और ऋषि कपूर का असमय निधन

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एनएल चर्चा के 114वें एपिसोड में बातचीत का दायरा फिल्म अभिनेता इरफ़ान ख़ान और ऋषि कपूर के निधन के इर्द-गिर्द ही सीमित रहा. इस हफ्ते की चर्चा में वरिष्ठ पत्रकार अजय ब्रह्मात्मज, फिल्म समीक्षक मिहिर पंड्या, न्यूज़लॉन्ड्री के स्तंभकार आनंद वर्धन शामिल हुए. चर्चा का संलाचन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.

चर्चा की शुरूआत करते हुए अतुल ने कहा, “इरफ़ान ख़ान और ऋषि कपूर के निधन की घटना से सभी लोग स्तब्ध है, वजह है दोनों का असमय हमारे बीच से चले जाना. इस तरह के मौकों पर अमूमन हर आदमी के पास अपनी यादें साझा करने के लिए एक कहानी होती है. लेकिन आज हमारे साथ अजय ब्रह्मात्मज मौजूद हैं. वो इरफान के निजी मित्र और उनकी अभिनय यात्रा के चश्मदीद रहे हैं. मैं सबसे पहले अजयजी से पूछना चाहूंगा इरफान के निधन को वो किस तरह से देख रहे हैं, एक अच्छे दोस्त या एक अच्छे अभिनेता का निधन.”

अजय ब्रह्मात्मज कहते हैं, “मुंबई में रहने के बावजूद मैं वहां नहीं जा सका यह मेरी जिंदगी में अफसोस रहेगा. लेकिन इरफ़ान एक ऐसे व्यक्ति रहे हैं मेरे लिए जो बाहर से आए कलाकार थे, जिनके प्रति मेरी रूचि हमेशा रही. लोग ऐसा मानते है कि मैं उन लोगों का फेवर करता हूं जो बाहर से आए हैं और मैं इससे इंकार भी नहीं करता. क्योंकि जिस तरह की परिस्थितियां हैं उसमें जो लोग उत्तर भारत से आते हैं अगर उन्हें दिक्कतें हो रहीं है तो यहां रहने वाले का फर्ज है की हम उनकी मदद करें. जब इरफ़ान से मिलता था, तो बहुत सी बातें जो उनके निजी अनुभव से मिले थे, वह अनमोल थे. मेरे लिए इरफ़ान का जाना निजी क्षति है.”

मिहिर ने इरफान की फिल्मों और उनकी कला पर विस्तार से रोशनी डाली. मिहिर कहते हैं, “हम ऐसी स्थिति में बहुत पहले आ चुके थे, क्योंकि जिस तरह की उनकी तबीयत थी, हम सबके मन में ऐसा होने के डर था, लेकिन पता नहीं था कि यह लॉकडाउन के बीच में होगा. मैं इरफ़ान से एक-दो बार मिला था, उस मुलाकात के अनुभव तो अलग हैं. लेकिन एक अभिनेता के तौर पर बात करें और खासकर उनकी कला पर तो वह एक अंतरराष्ट्रीय कलाकार थे और यही उनकी ताकत भी थी लेकिन कई लोग इसे कमजोरी के तौर पर देखते थे.”

वो आगे जोड़ते हैं, “मैं यह बात बार-बार दोहराऊंगा कि हमारी इंडस्ट्री में चीजों को खाचों में बंद करने की प्रकिया है. यह एक भीड़-चाल की प्रकिया है जिसमें हम एक अभिनेता और डायरेक्टर को वही काम करने पर मजबूर करते हैं जिसमें उसे एक बार पंसद किया गया है. इरफ़ान अपने पूरे करियर में इस खांचेबंदी से लड़ते रहे और इसके लिए उन्होंने देश की दीवारें तोड़ी, भाषा की दीवारें तोड़ी, जेंडर की दीवारें तोड़ी. ऐसी कौन सी चीज हैं जिसमें उन्हें बांधा जा सके. अगर आप देखें तो हमारी फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा कोई अभिनेता नहीं है जिसे इतना सम्मान मिला हो विश्वस्तर पर.”

आनंद ने शैली के ऊपर अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मिहिर और अजयजी ने इरफ़ान को लेकर जो बाते कही हैं उन बातों को मैं नहीं दोहराऊंगा, लेकिन हमारी जो फिल्म इंडस्ट्री है उसमें ज्यादातर अभिनेता या अभिनेत्री हैं उनकी त्रासदी है कि उन्हें एक ऐसे व्यवसाय से पैसा और प्रसिद्धि कमाना है जिसके लिए उनके पास प्रतिभा नहीं है. लेकिन इरफ़ान की स्मृति या धरोहर जो हमेशा रहेगी वह ये कि उनमें प्रतिभा की कोई कमी नहीं थी.”

इरफान के व्यक्तित्व के तमाम पहलुओं के साथ ही ऋषि कपूर के बारे में भी विस्तार से चर्चा हुई. पूरी चर्चा के लिए यह पॉडकास्ट सुने. न्यूजलॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.

पत्रकारों की राय, क्या देखा पढ़ा और सुना जाए.

आनंद वर्धन

फिल्म लंचबाक्स

फिल्म जुनून

रस्किन बांड का उपन्यास - ए फ्लाइट ऑफ पिजंस

अजय ब्रह्मात्मज

फिल्म बावरा मन

वन एंड ओनली केदार शर्मा: केदार शर्मा की किताब

मिहिर पाड्या

व्हाट इज़ ऑन देयर प्लेट: न्यूज रिपोर्ट इंडियन एक्सप्रेस

अतुल चौरसिया

दूरदर्शन पर प्रेमचंद की कहानियों की सीरीज़ जिसे गुलजार ने निर्देशित किया है और इरफान ने प्रेमचंद की भूमिका निभाई है.

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