दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और घटनाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी
एक हैं कोई विकास सारस्वत. रहते हैं आगरे में लेकिन आप चाहें तो इनसे समस्त ब्रह्मांड का ज्ञान ले सकते हैं. काशी-बनारस का यह पद भी उन्होंने छीन लिया. पालघर में घटी दुखद मॉब लिंचिंग की घटना पर सारस्वतजी ने एक लेख लिखा देश के करोड़ी प्रसार संख्या वाले अख़बार दैनिक जागरण में. लेख जागरण के संपादकीय पन्ने पर छपा.
लेख का लब्बोलुआब ये कि समस्त भारत, उसकी जांच संस्थाएं, सुरक्षा एजेंसियां और सरकारें निरामूर्ख हैं. उनका लेख पढ़कर मोटी-मोटा जो जानकारी मिली उसके मुताबिक पालघर की घटना के पीछे नक्सलियों, अर्बन नक्सल, टुकड़े-टुकड़े गैंग, वामपंथियों और इसाई मिशनरियों की सम्मिलित साजिश है.
सारस्वतजी त्रिनेत्रधारी हैं. उन्हें साधारण इंसानों की तरह गली कूचों में भटकने की जरूरत नहीं. न तो उन्हें इसके लिए एफआईआर पढ़ने की जरूरत है, न स्थानीय लोगों या पुलिस प्रशासन से बातचीत की जरूरत है. जागरण को इस तरह की तथ्यहीन और अनर्गल कहानियां छापने का लंबा अनुभव है. जानिए 1990 की एक कहानी जब प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने जागरण की इसी नफ़रती पत्रकारिता के लिए उसे सरेआम लताड़ा था. पूरी कहानी और मीडिया के अंडरवर्ल्ड से आई कुछ और जानकारियों के लिए देखें ये पूरी टिप्पणी.