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बारामासा पर हमला: विज्ञापन बंदरबांट स्टोरी का नतीजा, एबीपी न्यूज़ का कॉपीराइट स्ट्राइक और एआई वीडियो से चरित्र हनन
उत्तराखंड के पत्रकार राहुल कोटियाल और उनका न्यूज़ आउटलेट बारामासा इन दिनों एक चौतरफा हमले का सामना कर रहा है. एक ओर तो सरकार के समर्थक उन्हें निशाने पर लिए हैं तो दूसरी तरफ एबीपी न्यूज़ के कॉपीराइट स्ट्राइक की वजह से यूट्यूब से वीडियो डिलीट हो गया है. वहीं, तीसरी तरफ एक एआई जेनरेटिड फेक वीडियो वायरल किया जा रहा है, जिसमें राहुल को लेकर तमाम तरह के झूठे दावे परोसे गए हैं. राहुल अभी इससे जूझ ही रहे थे कि गुरुवार से वह फेसबुक के यूज में भी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं.
दरअसल, ये पूरा मामला राहुल के साप्ताहिक शो ‘एक्स्ट्रा कवर’ के वीडियो से शुरू हुआ. राहुल ने अपने इस शो में बीते दो हफ्तों से उत्तराखंड सरकार द्वारा गुजरे सालों में विज्ञापन पर किए खर्च का ब्यौरा दे रहे हैं. इससे पहले राहुल ने 7 अक्टूबर को भी इसी बारे में वीडियो बनाया था.
उल्लेखनीय है कि न्यूज़लॉन्ड्री 1 अक्टूबर से अब तक तीन कड़ियों में धामी सरकार के विज्ञापन खर्च पर अब तक तीन रिपोर्ट्स प्रकाशित कर चुका है. जिसमें पहले भाग में हमने बताया था कि कैसे सरकार ने टीवी मीडिया में विज्ञापनों पर बेहताशा खर्च किया. दूसरे भाग में हमने अख़बारों और बुकलेट्स के प्रकाशन हुए खर्च का ब्यौरा दिया. वहीं, तीसरे भाग में हमने डिजिटल मीडिया, रेडियो और आउटडोर पर हुए खर्च का ब्यौरा दिया है.
13 अक्टूबर को प्रकाशित दूसरे वीडियो में कोटियाल धामी सरकार द्वारा किए गए इसी विज्ञापन खर्च पर बात कर रहे हैं. यह वीडियो उन्होंने अपने न्यूज़ पोर्टल बारामासा के यूट्यूब चैनल और फेसबुक पेज पर अपलोड किया था.
कोटियाल ने अपने इस वीडियो में एबीपी न्यूज़ के एक वीडियो क्लिप का इस्तेमाल किया. यह क्लिप चैनल की वरिष्ठ पत्रकार मेघा प्रसाद के साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के इंटरव्यू का है. जिसमें वह उनसे यह सवाल पूछती हैं कि जब धराली में आपदा आई तो क्या मुख्यमंत्री हेलिकॉप्टर से कूदने वाले थे.
कोटियाल ने इस वीडियो क्लिप का इस्तेमाल करते हुए ये बताया कि कैसे जब करोड़ों रुपये का विज्ञापन मिलता है तो चैनल के सवाल पूछने के लहजे में नरमाहट आ जाती है.
इसके बाद कोटियाल के चैनल पर इसी क्लिप को लेकर एबीपी न्यूज़ की हवाले से एक कॉपीराइट स्ट्राइक आती है और यूट्यूब इस वीडियो को हटा देता है. एबीपी के हवाले से यह स्ट्राइक मार्कस्कैन नामक कंपनी की ओर से भेजी प्रतीत हो रही है क्योंकि वीडियो का लिंक खोलने पर इसी कंपनी का नाम नजर आ रहा है. बारामासा के फेसबुक पेज से भी कॉपीराइट स्ट्राइक की वजह से वीडियो हट गया है.
दो वीडियो के बाद निशाने पर कोटियाल
13 अक्टूबर की रात को राहुल का यह दूसरा वीडियो पब्लिश होता है और 14 अक्टूबर की रात तक एक एआई जेनरेटेड वीडियो के जरिए उनके चरित्र हनन की प्रक्रिया शुरू होती है. इस वीडियो में राहुल के बारे में तमाम तरह के ऊल-जुलूल दावे तो किए ही जाते हैं. साथ ही न्यूज़लॉन्ड्री के बारे में भी झूठे दावे किए गए हैं. गौरतलब है कि धामी सरकार के विज्ञापन पर करोड़ों रुपये फूंकने की हकीकत सबसे पहले न्यूज़लॉन्ड्री ने ही सामने रखी थी.
राहुल ने फिलहाल इस वीडियो को लेकर देहरादून पुलिस को शिकायत सौंपी है. दरअसल, यह वीडियो राहुल और न्यूज़लॉन्ड्री को बदनाम करने के इरादे से व्हाट्सएप पर तो अंदरखाते शेयर किया ही जा रहा है. साथ ही इसे वसूली ‘अभियान मोर्चा’ नामक फेसबुक पेज से भी शेयर किया गया है. राहुल ने इसी पेज के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज करवाई है.
इस फेक वीडियो को लेकर उत्तराखंड के पत्रकारों में भी गुस्सा है. वरिष्ठ पत्रकार अजीत सिंह राठी इस गुस्से को जगजाहिर करते हुए सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखते हैं, “पत्रकारिता जगत के लिए होने वाली साजिशे पत्रकारों के लिए नहीं समाज के लिए घातक होती है. उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार राहुल कोटियाल को मैंने पहाड़ के मुद्दों पर अनुसंधान करते और सरकारों से लड़ते देखा है. लेकिन अब इस खाँटी पत्रकार के लिए AI से एक वीडियो बनाकर घुमाया जा रहा है, जिसमें उन्हें पाकिस्तान और चीन के संपर्क में बताकर विदेशी फंडिंग लेने जैसे आरोप लगाए हैं. ये केवल षड्यंत्र है, मैं पूरी तरह राहुल कोटियाल के साथ हूं.”
क्या कहते हैं राहुल?
इस पूरे मामले को लेकर हमने राहुल से बात की. उन्होंने इस चौतरफा हमले के पीछे एक योजनाबद्ध साजिश की आशंका जताई ताकि उन्हें जनहित की पत्रकारिता से रोका जा सके. राहुल कहते हैं, “बीते कुछ वक्त से मेरे खिलाफ ऐसे ही फर्जी एआई वीडियो बनाकर प्रसारित किए जा रहे हैं. मैंने उन्हें नजरअंदाज करता आ रहा था. लेकिन अब ज्यादा हो रहा है. तो मैंने पुलिस में शिकायत दी है.”
वहीं, कॉपीराइट स्ट्राइक को लेकर राहुल कहते हैं, “आमतौर पर कोई भी चैनल 7 सेकंड के क्लिप के लिए कॉपीराइट स्ट्राइक नहीं भेजता है. उसके पास कॉपीराइट क्लेम का विकल्प होता है, जिसमें वह रेवेन्यू शेयरिंग (कमाई के हिस्से) की मांग करता है. और जिससे चैनल पर भी असर नहीं पड़ता है. लेकिन यहां जानबूझकर स्ट्राइक भेजी गई है ताकि उन्हें ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाया जा सके.”
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