Video
इंदौर: पुलिस-प्रशासन की शह में पलती मजहबी नफरत और हिंदुत्व के हरकारों का निगरानी नेटवर्क
हिंदू राष्ट्र सेना प्रोजेक्ट के तहत इंदौर पर आधारित हमारी पहली रिपोर्ट में हमने बताया कि कैसे हिंदूवादी संगठन लव जिहाद के नाम पर बेरोकटोक काम करते हैं, खासकर जब पुरुष मुसलमान हो तो पुलिस और अधिकारी भी जोड़ों को कम ही सुरक्षा देते हैं. दूसरी रिपोर्ट में हमने हिंदुत्व के इन हरकारों के निशाने पर आए लोगों की कहानी पेश की. साथ ही बताया कि कैसे ये लोग फर्जी केसों के जरिए इन्हें निशाना बना रहे हैं.
इस कड़ी में इंदौर से हमारी यह तीसरी रिपोर्ट है. जिसमें हमने हिंदुत्व के हरकारों के कामकाज को समझने और साथ ही साथ सरकार की भूमिका की पड़ताल करने की कोशिश की है.
विश्व हिंदू परिषद के ‘सामाजिक समरसता विभाग’ के प्रमुख तन्नू शर्मा बताते हैं कि उनका करीब 5,000 कार्यकर्ताओं का नेटवर्क है. जो रिक्शा चालक, होटल में काम करने वालों से लेकर पार्क और कैफे तक फैला है. साथ ही अनेक ऐसे लोग हैं, जो उन्हें सूचना देते हैं लेकिन सामने नहीं आना चाहते. इसी नेटवर्क के जरिए वो अंतरधार्मिक जोड़ों की पहचान करते हैं.
शर्मा का दावा है कि उनके इस अभियान को पुलिस और मध्य प्रदेश सरकार से पूरा समर्थन प्राप्त है.
न्यूज़लॉन्ड्री ने “लव जिहाद” के मामलों में हिंदुत्व संगठनों को दी जा रही सहायता के बारे में पूछताछ के लिए विभिन्न थानों का दौरा किया. एक अधिकारी ने कहा, “इन संगठनों को ‘लव जिहाद’ के नाम पर 100 प्रतिशत समर्थन मिलता है.” एक अन्य ने कहा, “यह बीजेपी की सरकार है, मामला क्यों न दर्ज हो.”
हमने इस दौरान ये भी जाना कि ये लोग सिर्फ पुलिस, सरकार या नेटवर्क ही नहीं, बल्कि कानूनी रूप से भी सक्षमता का अहसास कराते हैं. वीएचपी की लीगल सेल के प्रमुख अनिल नायडू ऐसे मामलों में कानूनी सहायता उपलब्ध कराते हैं. नायडू के अलावा भी कई वकील इसमें शामिल हैं.
वहीं, हिंदुत्ववादी संगठनों के इस प्रकार के अतिरेकी व्यवहार को मानवाधिकार कार्यकर्ता ज़ैद पठान सही नहीं मानते. वह कहते हैं, “इंदौर एक ‘प्रयोगशाला’ बनता जा रहा है, जहां धार्मिक अलगाव के प्रयोग हो रहे हैं- मुसलमानों के आर्थिक और सामाजिक बहिष्कार के नए-नए तरीके सामने आ रहे हैं. वो इंदौर, जिसे कभी “मोहब्बत का शहर” माना जाता था, अब नफरत के शहर में बदलता जा रहा है.”
देखिए हमारी ये खास रिपोर्ट.
यह रिपोर्ट हमारे सेना प्रोजेक्ट में योगदान देने वालों के चलते ही संभव हो पाई है. अगर आपको यह वीडियो पसंद आया, तो न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करें और हमारे नए एनएल सेना प्रोजेक्ट में योगदान दें ताकि हम सत्ता से सवाल पूछने वाली रिपोर्टिंग जारी रख सकें.
Also Read
-
Amid curbs, TV journalists say unable to record P2Cs or track who’s meeting officials at EC office
-
How hate drove a Muslim flower-seller to death in a Maharashtra village
-
Incredible India? How traveling to Southeast Asia is shattering our delusions of progress
-
Confusion in Belhar: JDU kin contesting for RJD, RJD kin contesting for JDU
-
TV Newsance 320: Bihar elections turn into a meme fest