NL Charcha
एनएल चर्चा 247: भारत जोड़ो यात्रा और क्या नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट को सरकार ने किया गुमराह
एनएल चर्चा के इस अंक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन का निधन, फुटबॉल के दिग्गज पेले के निधन, नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट में सरकार द्वारा दाखिल हलफनामे, महाराष्ट्र विधानसभा के कर्नाटक में आने वाले 865 मराठी बोलने वाले गांवों को महाराष्ट्र में शामिल करने के लिए पारित प्रस्ताव, लखनऊ हाईकोर्ट द्वारा निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण रद्द करने के आदेश, चुनाव आयोग द्वारा असम में चुनावी क्षेत्रों के परिसीमन, स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा की जनवरी के मध्य तक कोरोना वायरस के मामले बढ़ने की आशंका, चमोली के जोशीमठ में जमीन धंसने से करीब 500 घरों की दीवारों में आई दरार, रुड़की में क्रिकेटर ऋषभ पंत का एक्सीडेंट और कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा समेत कई अन्य विषयों का जिक्र हुआ.
चर्चा में इस हफ्ते द क्विंट के एसोसिएट एडिटर ईश्वर, वरिष्ठ पत्रकार हृदयेश जोशी और न्यूज़लॉन्ड्री के सह-संपादक शार्दूल कात्यायन शामिल हुए. संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
अतुल ने चर्चा की शुरुआत राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से की. वह कहते हैं, “अगले साल 8 राज्यों में चुनाव है. जिसके बाद 2024 का लोकसभा चुनाव होगा. अभी कांग्रेस पार्टी जिस स्थिति में है, वहां कई नेता पार्टी छोड़कर जा रहे है, नेतृत्व का अभाव है, अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ लेकिन उसका कोई बहुत बड़ा बदलाव नहीं दिख रहा. ऐसी स्थिति में भारत जोड़ो यात्रा के दिल्ली पहुंचने के मायने क्या है. क्या इससे कोई बदलाव होगा. क्या ऐसा कोई साझा मंच बनता हुआ नजर आ रहा है जो नरेंद्र मोदी को चुनौती देगा?”
हृदयेश कहते हैं, “2019 के चुनाव में भी हमने देखा कि क्षेत्रीय पार्टियां अपना हिस्सा नहीं छोड़तीं. बिहार का उदाहरण है कि आखिरी समय तक गठबंधन नहीं हुआ, जिसका नतीजा हमने देखा की सारी सीटें बीजेपी-जेडीयू को मिलीं. वैसा ही उत्तर प्रदेश में भी हुआ. यह अच्छा है कि राहुल गांधी 2024 के चुनावों को तरजीह नहीं दे रहे हैं. रही बात यात्राओं की तो कई लोगों ने अलग-अलग समय में यात्रा की और उसका असर दिखा. अब देखना है कि भारत जोड़ो यात्रा का कितना असर होता है.”
ईश्वर कहते हैं, “शुरुआती समय में भारत जोड़ो यात्रा को इग्नोर बनाने की कोशिश की गई. लेकिन कांग्रेस ने जिस तरह से एक गति बनाई हुई है उससे यह पांच महीने बाद भी चर्चित है. यात्रा का अगर मूड देखेंगे तो जिस भी क्षेत्र से यह यात्रा गुजरती है, जन आंदोलन वाला मूड बनता हुआ दिखता है. अब देखना होगा कि इस यात्रा का राजनीतिक तौर पर कितना असर होता है. साथ ही यह भी बड़ा सवाल है कि क्या कांग्रेस पार्टी अगले साल चुनाव तक वह गति बरकरार रख पाएगी जो उसे चुनावों में फायदा पहुंचा सके.”
शार्दूल कहते हैं, “राहुल गांधी के लिए व्यक्तिगत तौर पर भारत जोड़ो यात्रा सफल होती दिख रही है. लेकिन इसके साथ-साथ अगर वह राजनीति की बात नहीं करते है तो यह विडंबना की बात है. अगर आप पार्टी के अंदर की चीजों को सही नहीं करेंगे तो उसका असर चुनावों में दिखेगा. आप देखिए जनतंत्र में जनता पावर देती है कि आप सरकार में आएंगे या नहीं, लेकिन आप बतौर राजनीतिक दल राजनीतिक मुद्दों से अलग नहीं हो सकते.”
इस विषय के विभिन्न पहलुओं के अलावा नोटबंदी पर केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे, और हलफनामे को झुठलाती इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट पर भी विस्तृत बातचीत हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए हमारा यह पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
टाइम कोड
00:00:00 - 00:14:02 - इंट्रो, हेडलाइंस और जरूरी सूचना
00:14:02 - 00:43:34 - कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा
00:43:34 - 01:07:28 - चर्चा लेटर
01:07:28 - 01:25:00 - नोटबंदी पर सरकार का हलफनामा
1:25:00 - सलाह और सुझाव
पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए
शार्दूल कात्यायन
लेट्स टॉक अबाउट - आरएसएस पॉडकास्ट
हृदयेश जोशी
आर्सेनिक और सिलिकोसिस पर न्यूज़लॉन्ड्री पर प्रकाशित डॉक्यूमेंट्री
चंद्रकांत लहरिया का कोविड 19 पर इंडियन एक्सप्रेस पर लेख और उनसे बातचीत का मेरा वीडियो
ईश्वर
डाउनफॉल- द केस अगेंस्ट बोइंग- फिल्म
अतुल चौरसिया
नितिन सेठी की सात पार्ट की इलेक्टोरल बांड सीरीज - न्यूज़लॉन्ड्री हिंदी पर
***
***
प्रोड्यूसर- चंचल गुप्ता
एडिटिंग - उमराव सिंह
ट्रांसक्राइब - अश्वनी कुमार सिंह
Also Read
-
The Rs 444 question: Why India banned online money games
-
‘Total foreign policy failure’: SP’s Chandauli MP on Op Sindoor, monsoon session
-
On the ground in Bihar: How a booth-by-booth check revealed what the Election Commission missed
-
A day in the life of an ex-IIT professor crusading for Gaza, against hate in Delhi
-
Crossing rivers, climbing mountains: The story behind the Dharali stories