Report
जहांगीरपुरी में एमसीडी की बुलडोजर कार्रवाई, लोगों की बेबसी और चिंताएं
दिल्ली के जहांगीरपुरी में 16 अप्रैल को दो समुदायों के बीच भड़की हिंसा ने दुनियाभर का ध्यान अपनी ओर खींचा है. रोजाना लोगों की गिरफ्तारियों और नेताओं की बयानबाजियों के बीच आज एक बार फिर बड़ी कार्रवाई देखने को मिली.
उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) ने जहांगीरपुरी इलाके में हुए अवैध अतिक्रमण पर बुलडोजर चलाया. इस दौरान जामा मस्जिद का दरवाजा तोड़ दिया गया. साथ ही वहां स्थित ठेलों और खोखों को भी बुरी तरह कुचल दिया गया.
इस कार्रवाई को अंजाम देने सुबह से ही तीन बुलडोजर जहांगीरपुरी पहुंच गए थे. बुलडोजर से दुकानें गिराने की प्रक्रिया सुबह 10 बजे शुरू हुई. इस दौरान तमाम पुलिसकर्मी और मीडियाकर्मी मौके पर मौजूद थे. बुलडोजर ने सबसे पहले मस्जिद वाले रास्ते को अपना निशाना बनाया और एक के बाद एक दुकानों और घरों को तोड़ना शुरू कर दिया. पुलिस ने ऐसा करने के लिए सुबह ही बैरिकेडिंग कर दी थी. इस कार्रवाई में किसी तरह की कोई बाधा न हो इसके लिए गली में प्रवेश और निकास के द्वार को बाहर से बंद कर दिया था.
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने सुबह करीब 11 बजे ही कार्रवाई पर रोक लगा दी. हालांकि रोक लगाने के बावजूद भी एनडीएमसी की कार्रवाई 12 बजे तक चलती रही. एनडीएमसी के अधिकारियों ने हमें बताया, “नोटिस जब भी आया हो, लेकिन हमें डिप्टी कमिश्नर से जैसे ही 12 बजे सूचना मिली हमने बुलडोजर चलाने से रोक दिया. ये घर और दुकानें नाले के ऊपर बनी थीं इसलिए इन्हें तोड़ा गया है.” इस मामले में अब अगली सुनवाई कल यानी गुरुवार को होगी.
वहीं न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए डीसीपी उषा रंगनानी ने कहा, “पुलिस का काम कानून व्यवस्था की रखवाली करना है. हम वही कर रहे हैं. एनडीएमसी अपना काम कर रही है. हम अपना.”
घटना के समय न्यूज़लॉन्ड्री की टीम मौके पर मौजूद थी. जब हम पहुंचे तब तकरीबन सुबह के 10 बजे थे. इस दौरान बुलडोजर कबाड़ की बोरियां उठा रहा था. चौराहे के एक तरह हिंदू तो दूसरी तरफ मुस्लिमों की बड़ी आबादी रहती है.
सबसे पहले जहां बुलडोजर चलना शुरू हुआ यह वही सड़क है जहां से 16 अप्रैल को हनुमान जयंती पर शोभायात्रा निकाली गई रही थी. इसी सड़क पर स्थित मस्जिद के बाहर दोनों समुदायों के बीच हिंसा हुई थी.
थोड़ी देर बाद बुलडोजर ने दुकानों को तोड़ना शुरू किया. इस दौरान हिंदू और मुसलमानों दोनों की ही दुकानें तोड़ी गईं. कई दुकानदारों ने विरोध दर्ज नहीं कराया वहीं कुछ ने कहा कि हमारे पास दुकान चलाने के लिए कागजात भी थे. हमें कोई नोटिस भी नहीं दिया गया और दुकानें तोड़ दी गईं.
52 वर्षीय रमन झा 1984 से जहांगीरपुरी में ही रह रहे हैं. आज बुलडोजर ने सबसे पहले उनकी पान की दुकान तोड़ दी.
रमन ने हमसे कहा, “हमारी दुकान का लाइसेंस बना हुआ था. मैं सुबह से तीन बार यहां आ चुका हूं लेकिन पुलिस और मीडिया की गाड़ियां दुकान तक पहुंचने के रास्ते को घेरकर खड़ी थीं. मेरे आने से पहले ही पुलिस ने दुकान तोड़ दी.”
उन्होंने आगे बताया, “लॉकडाउन के बाद से ही धंधा ठप पड़ गया था. हर महीने केवल 5000 से 6000 रूपए ही कमा पाते थे. आज हमारा 60 हजार का नुकसान हुआ है. हिंसा के कारण 16 अप्रैल से दुकान बंद थी और आज तोड़ दी गई. हमारे नुकसान की भरपाई कौन करेगा?”
बुलडोजर का दूसरा निशाना रहीमा की दुकान थी. वह पानी की बोतल, चिप्स, बिस्कुट आदि बेचा करती थीं और रोज का 300 से 500 रूपए कमाकर घर का खर्चा चलाती थीं. पैसे बचाने के लिए वह गुल्लक में पैसे जमा किया करती थीं. 16 अप्रैल को हुई हिंसा के बाद से ही इलाके की सभी दुकानें पिछले पांच दिनों से बंद थीं. ऐसे में कल रात को ही घर में रखी एक गुल्लक को तोड़कर वह घर के लिए खाने का समान लाई थीं. रहीमा को नहीं पता था कि अगले दिन उनकी दुकान तोड़ दी जाएगी.
रहीमा कहती हैं, “हमें पता चला था कि गाड़ी आएगी और आसपास जो कूड़ा-कबाड़ा पड़ा है केवल वही लेकर जाएगी. हमने दो बार पुलिस से पूछा भी था. उन्होंने हमें कहा कि केवल कूड़ा-कबाड़ा लेकर जाएंगे.”
रहीमा दुकान का सर्टिफिकेट दिखाते हुए कहती हैं, “हमारे पास सभी कागजात हैं. बजाए इसके हमारी दुकान तोड़ दी गई. साथ ही साथ हमारा बिजली का तार भी टूट गया है.”
22 वर्षीय मंसूरा जहांगीरपुरी में अपने परिवार के साथ रहती हैं. बुलडोजर की कार्रवाई ने उनके घर की सीढ़ियों और दुकान को तोड़ दिया. वह भैंस का चारा बेचा करती हैं. वह कहती हैं, “हम रोज का 200 से 300 रूपए ही कमाते है. मेरे सास ससुर नंदीग्राम में रहते हैं. उन्हें भी खर्च के लिए पैसे मैं ही भेजती हूं. अब तो हमारे ही खाने-पीने का कोई साधन नहीं बचा है.”
मस्जिद का बाहरी हिस्सा तोड़े जाने की खबर फैलते ही करीब एक बजे स्थानीय निवासी दूसरे रास्ते से निकलकर आ गए. मस्जिद के बाहर एक झुंड में शामिल फरीदा कहती हैं, “यह सरकार (भाजपा) हिंदू-मुसलामानों को लड़वाने में लगी है. क्या इस देश में हमें रमजान मनाने की इजाजत नहीं है? हमारे खुदा का घर तोड़ दिया. हमें भी क्यों छोड़ा है? पहले भी बजरंग दल के लोग रामनवमी और हनुमान जयंती मनाते थे. हर त्योहार खुशी से मनाया जाता था. जब से मोदी आया है देश का माहौल खराब कर दिया है.”
गली में बंद लोगों का आरोप है कि पुलिस उन्हें बाहर नहीं जाने दे रही जिसके कारण पिछले पांच दिनों से बस्ती में पानी की किल्लत हो गई है.
यहां के रहने वाले आसिफ ने कहा, “रोजे का समय चल रहा है. न हम पानी लेने के लिए बाहर निकल पा रहे हैं न फल खरीदने के लिए. ये कहां का इंसाफ है? हमने क्या गलत किया है?”
धीरे-धीरे एनडीएमसी का बुलडोजर मस्जिद के दरवाजे को गिराते हुए आगे बढ़ने लगा. लेकिन सड़क के अंत में बने मंदिर पर जा रुका और वहीं से वापस लौट गया. पुलिस ने मंदिर के बाहर बैरिकेडिंग की हुई थी और बस्ती के लोगों को आगे जाने से रोक दिया गया था.
सवाल पूछे जाने पर एनडीएमसी के अधिकारियों ने नाम नहीं बताने की शर्त पर हमें बताया, “मंदिर तक पहुंचते ही हमें रुकने का कॉल आ गया था और लंच का समय भी हो गया था.”
हमने सड़क के दूसरी ओर बनी हिंदू दुकानदारों से भी बात की और पूछा कि क्या एनडीएमसी की यह कार्रवाई सही है या गलत और क्या उन्हें भी डर है? इस पर तरुण कहते हैं, “हमें कोई डर नहीं है. सालों से जिनकी दुकान अवैध रूप से चल रही थी कभी न कभी तो उस पर बुलडोजर चलना ही था.”
एक अन्य दुकानदार कहते हैं, “हम यहां कई साल से देख रहे हैं. इनकी गली में जाना खतरनाक है. इन बांग्लादेशियों के साथ यही होना चाहिए था.”
जहां एक तरफ पुलिस और एनडीएमसी अपनी कार्रवाई कर रही थी. वहीं दूसरी तरफ नेता अपनी प्रतिक्रिया देते हुए दिखे. करीब दोपहर 12 बजे भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (सीपीआईएम) की नेता वृंदा करात सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी लेकर यहां पहुंचीं और एक बुलडोजर को रोकते हुए नजर आईं.
(फुरकान खान के सहयोग से)
Also Read
-
Let Me Explain: How the Sangh mobilised Thiruparankundram unrest
-
TV Newsance 325 | Indigo delays, primetime 'dissent' and Vande Mataram marathon
-
The 2019 rule change that accelerated Indian aviation’s growth journey, helped fuel IndiGo’s supremacy
-
You can rebook an Indigo flight. You can’t rebook your lungs
-
‘Overcrowded, underfed’: Manipur planned to shut relief camps in Dec, but many still ‘trapped’