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क्या है थाने में खड़े पत्रकार की वायरल वीडियो का पूरा मामला?

पंजाब केसरी में बतौर स्ट्रिंगर काम कर रहे 32 वर्षीय पत्रकार गौरव अग्रवाल को जमानत मिल गई है. उन्हें 9 मार्च को आगरा के एत्माददौला थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया.

बता दें की उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है. यह वीडियो आगरा के एत्माददौला पुलिस स्टेशन का है. वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पत्रकार गौरव थाने में खड़े हैं और कांप रहे हैं. इस वीडियो के सामने आते ही सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश पुलिस और योगी आदित्यनाथ की काफी आलोचना हो रही है.

गौरव अग्रवाल आगरा से पंजाब केसरी अखबार के लिए बतौर स्ट्रिंगर काम करते थे. एक खबर के सिलसिले में वह 8 मार्च को आगरा ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में रिपोर्टिंग कर रहे थे. इसके बाद पुलिस ने उन्हें रात 11 बजे उनके घर से हिरासत में ले लिया.

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, “आगरा के पत्रकार गौरव अग्रवाल की सच्ची पत्रकारिता व जनहित में उठाई आवाज को भाजपा सरकार ने शारीरिक प्रताड़ना से दबाना चाहा है. देशभर के पत्रकार इस उत्पीड़न के खिलाफ साथ आएं! तत्काल न्यायिक जांच हो! ये लोकतंत्र के ‘चौथे स्तंभ’ को ‘थोथे स्तंभ’ में बदलने की घोर निंदनीय साजिश है.”

यही नहीं गौरव की गिरफ्तारी के बाद आगरा प्रेस क्लब ने अपना होली मिलन समारोह रद्द कर दिया.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल यह मामला अभी का नहीं है. मामला मतदान के दिनों से चल रहा है. 10 फरवरी को आगरा ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में मतदान के बाद से वहां ईवीएम और मतदान में गड़बड़ी को लेकर बवाल चल रहा था.

इस पर प्राइम न्यूज़ आगरा के ब्यूरो चीफ मानवेन्द्र न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, “मामला 10 फरवरी का है. आगरा ग्रामीण से कांग्रेस प्रत्याशी उपेंद्र सिंह को मतदान में धांधली का शक था. उन्होंने ईवीएम मशीन की सीलिंग पर सवाल उठाए थे. उनका आरोप है कि सीलिंग के दौरान प्रत्याशी और उनके प्रतिनिधि के हस्ताक्षर नहीं लिए गए साथ ही सीसीटीवी भी उतार लिया गया. उनके पास इसके सबूत हैं.”

मानवेन्द्र आगे बताते हैं, “उस समय मामला दब गया लेकिन वाराणसी दक्षिण सीट के काउंटिंग सेंटर के बाहर 8 मार्च को समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने एक गाड़ी रोकी, जिसमें ईवीएम ले जाई जा रही थीं. जिसके बाद सपा के लोगों ने आगरा में भी गाड़ियों की चेकिंग करना शुरू कर दिया.”

मानवेन्द्र ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि उस वक्त गौरव भी सपा के कार्यकर्ताओं के साथ थे. वह कहते हैं, “जब सपा के लोग गाड़ियों की तलाशी ले रहे थे तब गौरव वहीं खड़ा होकर देख रहा था. थोड़ा हंगामा बरपा तो पुलिस ने कार्यकर्ताओं के साथ गौरव को भी पकड़ लिया.”

बता दें कि आगरा पुलिस ने 9 मार्च को गौरव पर धारा 147, 149, 332, 353 और 504 के तहत मामला दर्ज किया है. यह मामला 8 और 9 मार्च का है. पुलिस ने गौरव पर आरोप लगाया है कि उन्होंने एत्माददौला क्षेत्र में पुलिसकर्मियों के साथ अभद्रता करते हुए शांति भंग करने का प्रयास किया.

पहले भी पुलिस के निशाने पर रहे हैं गौरव

मानवेन्द्र ने हमें बताया कि गौरव पर पहले भी प्रशासन द्वारा दो बार मुकदमा लिखा जा चुका है. वह हमेशा से डीएम प्रभु नारायण सिंह के निशाने पर रहे हैं.

मानवेन्द्र बताते हैं, “गौरव ने कोरोना के दौरान ऑक्सीमीटर की कालाबाजारी पर रिपोर्ट की थी, जिसके बाद उस पर ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाकर मामला दर्ज कर लिया गया था. बाजार के बीचों-बीच अवैध निर्माण का विरोध करने के लिए गौरव पर वसूली का दूसरा मामला दर्ज हुआ और यह तीसरा मामला है. तीनों में ही पुलिस कोई सबूत नहीं ढूंढ पाई है.”

मानवेन्द्र आगे कहते हैं, “गौरव कोविड के समय से डीएम प्रभु नारायण सिंह के खिलाफ मुखर होकर बोलता और लिखता था. इसके बाद से कलेक्टरेट में गौरव की एंट्री बंद कर दी थी. कई सरकारी दफ्तरों में तो गौरव के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था.”

इस मामले पर न्यूज़लॉन्ड्री ने आगरा के एक और पत्रकार मदन मोहन सोनी से भी बात की. सोनी आगरा में एबी स्टार न्यूज़ और एफएम न्यूज़ के लिए काम करते हैं.

वह कहते हैं, “प्रशासन की पहले से ही गौरव पर नजर थी. 8 मार्च को हुई घटना के अगले दिन 9 मार्च की रात को पुलिस गौरव को उसके आवास से गिरफ्तार करके ले गई. यह उनके लिए एक मौका था गौरव को गिरफ्तार करने का.”

वह आगे कहते हैं, “थाने में पत्रकार गौरव को रात भर जानवरों की तरह पीटा गया. उसे थर्ड डिग्री दी गई. मां-बहन की भद्दी-भद्दी गालियां लगातार दी जा रही थीं. वह फूट-फूट कर रोते रहे लेकिन पुलिसकर्मियों पर जैसे खून सवार हो चुका था.”

उन्होंने बताया, “17 मार्च को मामले में पहली सुनवाई हुई थी. उस समय मैं कोर्ट में ही मौजूद था. सुनवाई के दौरान मेजिस्ट्रेट के सामने गौरव ने कहा था कि पुलिस ने उसके साथ बर्बरता की और उसे अपमानित करने के लिए महिला पुलिसकर्मियों से उसकी पिटाई करवाई.”

इस मामले में एडिटर्स गिल्ड ने भी बयान जारी किया है. गिल्ड ने कहा, “आगरा के पत्रकार गौरव की गिरफ्तारी से एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया दुखी है. उनके वकील ने आरोप लगाया है कि पुलिस अधिकारियों द्वारा उन्हें थर्ड डिग्री टॉर्चर और अपमानित किया गया. गिल्ड तत्काल रिहाई और एक स्वतंत्र अदालत की निगरानी में जांच की मांग करता है.”

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