Report
दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी से कितने लोगों की मौत हुई इसकी अब तक जानकारी नहीं
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देशभर में ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मौत हुई. कई अस्पतालों में तो इलाज करा रहे मरीज ऑक्सीजन खत्म होने के चलते तड़प-तड़प कर मर गए. इन अस्पतालों के मालिक और डॉक्टर्स ऑक्सीजन की कमी को लेकर लगातार सरकार को आगाह करते नजर आए थे. ऑक्सीजन की तत्काल सप्लाई के लिए कई अस्पतालों को कोर्ट का रुख करना पड़ा था.
राजधानी दिल्ली की भी स्थिति कुछ बेहतर नहीं थी. यहां के जयपुर गोल्डन अस्पताल में एक रात में ही 25 मरीजों की मौत हो गई थी. ऑक्सीजन की कमी की जानकारी जयपुर गोल्डन अस्पताल ने हाईकोर्ट में याचिका देकर बताई थी. इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक अस्पताल ने अपनी याचिका में बताया था, ‘‘हम सचमुच सांस के लिए संघर्ष कर रहे हैं.’’
ऐसे ही बत्रा अस्पताल में 12 मरीजों की मौत ऑक्सीजन की कमी से हो गई थीं. मृतकों में बत्रा अस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रमुख भी थे. अस्पताल के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. सुधांशू बंकाटा ने भी समय रहते दिल्ली सरकार को ऑक्सीजन कमी की जानकारी दी थी. लेकिन डेढ़ घंटे की देरी से ऑक्सीजन टैंकर पहुंचा, नतीजतन मरीजों की मौत हो गई थी.
दिल्ली सरकार भी स्वीकार करती है कि मरीजों की मौत ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई, लेकिन दिल्ली सरकार के पास अब तक मृतकों का कोई आंकड़ा नहीं है. दिल्ली विधानसभा में तीन जनवरी को भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता ने सवाल किया कि ऑक्सीजन की कमी से दिल्ली में कितनी मौतें हुईं, पूर्ण विवरण दें. इसके जवाब में दिल्ली सरकार ने कहा कि इस विषय पर कमेटी बनाई गई है और कमेटी ने अभी अपनी रिपोर्ट नहीं दी है.
कमेटी
ऑक्सीजन की कमी से मृतकों को लेकर सवाल पूछने पर दिल्ली सरकार ने यहीं जवाब कई बार दोहरया है. जिस कमेटी का जिक्र दिल्ली सरकार करती है वो अब तक जांच का प्रारूप यानी फॉर्मेट ही तैयार कर रही है.
कमेटी के सदस्यों ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, ‘‘अभी जांच का प्रारूप तैयार किया जा रहा है. प्रारूप लगभग अंतिम चरण में है. इसके फाइनल होने के बाद हम जांच की प्रक्रिया शुरू करेंगे.’’
दिल्ली सरकार ने बीते साल 27 मई को ऑक्सीजन की कमी से मरने वाले मरीजों के आकलन के लिए छह सदस्यों का गठन किया था. कहा गया था कि कमेटी ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों का आंकलन करेगी जिसके बाद दिल्ली सरकार मृतकों के परिजनों को पांच लाख रुपए तक का मुआवजा देगी.
मीडिया रिपोट्स के मुताबिक इस कमेटी में एलएनजेपी अस्पताल के डॉक्टर नरेश कुमार और वरिष्ठ एनेस्थेटिस्ट डॉ अमित कोहली के अलावा लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल के डॉ संजीव कुमार, डीजीएचएस के सुरेंद्र कुमार, माता चानन देवी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ एसी शुक्ला और तीरथ राम अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक, डॉ जेपी सिंह को शामिल किया गया.
इस कमेटी का गठन तो दिल्ली सरकार ने भले मई 2021 में किया था, लेकिन उपराज्यपाल अनिल बैजल ने इजाजत नहीं दी. जिसपर काफी विवाद भी हुआ था. तब उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था, ‘‘हमने फिर से एलजी साहब के पास फाइल भेजी थी, एलजी साहब ने फिर से जांच समिति बनाने से मना कर दिया है. उनका कहना है कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से दिल्ली में मौत हुई या नहीं हुई इसकी जांच कमेटी बनाने की कोई जरूरत नहीं है.’’
हालांकि उपराज्यपाल ऑफिस ने इन आरोपों को इंकार कर दिया. आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक उपराज्यपाल ऑफिस ने बताया, ‘‘सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक उच्चस्तरीय समिति ऑक्सीजन की कमी के मामलों की जांच कर रही है. नई कमेटी बनाने से हाई लेवल कमेटी के कामकाज पर असर पड़ेगा और उससे असमंजस की स्थिति और ज्यादा बढ़ेगी.’’
हालांकि कुछ महीने चले विवाद के बाद नवंबर महीने में एलजी ने इस कमेटी को जांच की इजाजत दे दी. कमेटी में कुल छह सदस्य हैं जिनमें से चार ने न्यूज़लॉन्ड्री से बात की. सभी ने खबर में अपना नाम नहीं लिखने से मना कर दिया.
कमेटी एक सदस्य बताते हैं, ‘‘कमेटी ने अब तक अपनी रिपोर्ट नहीं दी है. हर सप्ताह इसको लेकर दो-दो मीटिंग हो रही हैं. मीटिंग में हम पैरामीटर (प्रारूप) तय कर रहे हैं. हम पहले पैरामीटर तैयार करेंगे उसी के आधार पर आगे की प्रक्रिया होगी.’’
अलग-अलग अस्पतालों से मृतकों को लेकर जानकारी इकठ्ठा करने के सवाल पर ये सदस्य बताते हैं, ‘‘हम अलग-अलग अस्पतालों से जानकारी लेने के लिए पत्र लिख रहे हैं.’’ क्या किसी अस्पताल ने अब तक जानकारी दी है, हमारे इस सवाल को सुनते हुए डॉक्टर खुद को व्यस्त बता, बात करने में असमर्थता जताते हैं.
एक दूसरे वरिष्ठ डॉक्टर कहते हैं, ‘‘अभी तो हम जांच के तौर-तरीके पर चर्चा कर रहे हैं. यानी कि हमें किस हिसाब से जांच करनी है उसपर बात कर रहे हैं. अब तक चार-पांच मीटिंग हो चुकी हैं.’’
कब तक रिपोर्ट आ सकती है. इस सवाल पर वे कोई स्पष्ट जवाब नहीं देते हैं. बाकी डॉक्टर भी इसी तरह की बात करते नजर आते हैं.
कमेटी के ज्यादातर सदस्य दिल्ली निदेशालय के मेडिकल सुप्रीडेंडेट आरएन दास से बात करने का सुझाव देते हैं. कमेटी के एक सदस्य दास का नंबर साझा करते हुए कहते हैं वे ही इसको लेकर पूरी जानकारी दे सकते हैं.
पूर्व में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी रहे दास से न्यूज़लॉन्ड्री ने संपर्क किया. दास इस कमेटी को लेकर किसी भी तरह की जानकारी होने से इंकार करते हैं. वे बताते हैं, ‘‘मैं उस कमेटी से किसी भी रूप में नहीं जुड़ा हूं. ऐसे में मुझे कोई जानकारी कैसे होगी.’’
ऐसे में सवाल उठता है कि जब कमेटी ने अब तक कोई रिपोर्ट ही नहीं दी है तो क्या किसी पीड़ित परिवार को मुआवजा मिला. स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी मानते हैं कि दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी से मौत हुई हैं. इसको लेकर हमने स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन से बात करने की कोशिश की हालांकि उनसे बात नहीं हो पाई. हमने उन्हें कुछ सवाल मेल किए हैं, अगर जवाब आता है तो उसे खबर में जोड़ दिया जाएगा.
न्यूज़लॉन्ड्री ने जैन के ओएसडी पवन कुमार से भी फोन पर बात की. कुमार ने कहा, ‘‘इसकी जानकारी मेरे पास नहीं है. आप प्रिंसिपल सेक्रेटरी मनीषा सक्सेना से बात कर सकते है.वहीं इसको लेकर जानकारी दे सकती हैं.’’
हमने मनीषा सक्सेना के पीएस से भी बात की. उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन को लेकर हुई मौत की जानकारी स्पेशल सेक्रेटरी उदय प्रकाश राय दे सकते हैं. वहीं इस मामले को देख रहे हैं. राय से इस मामले पर जानकारी के लिए हमने फोन किया, लेकिन बात नहीं हो पाई. हमने इन्हें भी सवाल भेजे हैं. अगर जवाब आता है तो खबर से जोड़ दिया जाएगा.
‘सरकार नहीं देगी जवाब’
जब उपराज्यपाल पर जांच रोकने का आरोप लगाते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा था कि यह सत्य है कि लोगों की ऑक्सीजन की कमी से मौत हुई है. यानी की सरकार यह मानती है लेकिन अब तक मृतकों की जानकारी इकठ्ठा नहीं कर पाई है.
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सीमापुरी के श्मशान घाट पर देर रात तक लोगों का अंतिम संस्कार हो रहा था. यहां लोगों की मदद करने वाले भाजपा नेता जीतेन्द्र सिंह शंटी बताते हैं, ‘‘दूसरी लहर के दौरान हमने एक दिन में 150 तक शव का अंतिम संस्कार किया है. यह सिलसिला कई दिनों तक चला था. हमारे यहां जितने भी शव आए उसमें 95 प्रतिशत ऑक्सीजन की कमी के कारण मरे थे. यह हमें मृतकों के परिजनों द्वारा बताया जाता था.’’
नई सीमापुरी के रहने वाले सैयद युसूफ को भी दूसरी लहर के दौरान कोरोना हुआ था. जिससे उबरने के बाद उन्होंने दो बार प्लाज्मा डोनेट किया था. कुछ ही दिनों बाद उनकी मां सेफाली बेगम कोरोना की चपेट में आई गईं.
सैयद कहते हैं, ‘‘मेरी मां को किसी भी अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया. यमुना स्पॉट्स काम्प्लेक्स में सिर्फ वीआईपी को ले रहे थे. समान्य लोगों को नहीं ले रहे थे. हम दिनभर राजीव गांधी और जीटीबी घूमते रहे लेकिन कहीं भर्ती नहीं किया. उन्होंने घर पर ही 25 अप्रैल को ऑक्सीजन की कमी के कारण दम तोड़ दिया.’’
युसूफ को सरकार की तरफ से 50 हजार का मुआवजा मिला है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह मुआवजा सुप्रीम कोर्ट के आदेश- “कोरोना से मरे लोगों के परिजनों को 50 हजार रुपए दिया जाए” वाला है या दिल्ली सरकार ने दिया है. दरअसल दिल्ली सरकार भी मुख्यमंत्री कोविड-19 परिवार आर्थिक सहायता योजना के तहत कोरोना से मरे हरेक मृतक के परिजनों को 50 हजार रुपए की आर्थिक मदद देती है.
भाजपा विधायक और विधानसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, ‘‘इस सरकार ने खुद ही कहा था कि ऑक्सीजन की कमी से कोरोना के दौरान लोगों की मौत हुई है लेकिन अब आंकड़े नहीं बता रही है. आने वाले समय में भी इसको लेकर मैं सवाल करूंगा. कमेटी के नाम पर आंकड़ों को छुपाया जा रहा है.’’
कई राज्यों ने कहा ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई मौत
एक तरफ जहां दिल्ली सरकार के पास अभी तक ऑक्सीजन से हुई मौतों का आंकड़ा नहीं है. वहीं कई राज्यों ने तो यह तक कह दिया कि प्रदेश में किसी की भी ऑक्सीजन की कमी से मौत नहीं हुई है.
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने फरवरी महीने में राज्यसभा में बताया था कि कुछ राज्यों ने इस संबंध में डाटा उपलब्ध कराया है जिसमें ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत होने से इनकार किया गया है.
ऐसे राज्यों में उत्तर प्रदेश भी एक है. विधान परिषद में एक सवाल के जवाब में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने बताया था, ‘‘यूपी में ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई है.’’ हालांकि न्यूज़लॉन्ड्री ने उत्तर प्रदेश हो या दिल्ली इन जगहों पर ऑक्सीजन से हुई मौतों को लेकर रिपोर्ट की थीं.
भारत में कोरोना के कारण पहली, दूसरी और तीसरी लहर के दौरान 9 मार्च 2022 तक 5 लाख 15 हजार 355 लोगों की मौत हुई है.
Also Read
-
Adani met YS Jagan in 2021, promised bribe of $200 million, says SEC
-
Pixel 9 Pro XL Review: If it ain’t broke, why fix it?
-
What’s Your Ism? Kalpana Sharma on feminism, Dharavi, Himmat magazine
-
महाराष्ट्र और झारखंड के नतीजों का विश्लेषण: LIVE
-
Newsance 275: Maha-mess in Maharashtra, breathing in Delhi is injurious to health