उप-मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा और सम्राट चौधरी की तस्वीर.
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बिहार के दोनों उप- मुख्यमंत्रियों की बड़ी जीत, ओबीसी- सवर्ण जुगलबंदी का फार्मूला चला?

बिहार के दोनो उप-मुख्यमंत्रियों सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने जीत हासिल कर ली है. सम्राट चौधरी मुंगेर जिले की तारापुर सीट से 45843 वोट से जीत गए हैं. सम्राट चौधरी को करीब सवा लाख वोट मिले. दूसरे स्थान पर रहे राजद प्रत्याशी अरुण कुमार को 76 हजार से ज्यादा वोट मिले. जनसुराज के संतोष कुमार सिंह यहां 3898 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे.

मालूम हो कि सम्राट चौधरी बिहार के वरिष्ठ राजनेता शकुनि चौधरी के बेटे हैं. वह राज्य में प्रभावशाली कुशवाहा (कोइरी) जाति के बीच भाजपा का चेहरा हैं. राज्य की जाति जनगणना के अनुसार, यादवों की 14.26 प्रतिशत की आबादी के बीच 4.21 प्रतिशत की संख्या वाले कुशवाहा दूसरी सबसे बड़ी ओबीसी आबादी हैं. उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा कुशवाहा समुदाय को वर्तमान में ओबीसी के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

पार्टी के स्टार प्रचारक के रूप में उन्हें बिहार भर में एनडीए के अन्य उम्मीदवारों के प्रचार के लिए लगाया गया था. जनसुराज के जरिए बिहार चुनावों में ताल ठोंकने वाले प्रशांत किशोर ने सम्राट चौधरी की डिग्री और 1995 के हत्या के मामले में कथित तौर पर उनकी भूमिका को लेकर कई तरह के आरोप लगाए थे. हालांकि, चुनावों में मिली जीत बताती है कि उन्हें इन आरोपों से कोई खास राजनीतिक नुकसान नहीं पहुंचा है. उल्लेखनीय है कि चौधरी विधान परिषद के रास्ते कैबिनेट में पहुंचे थे. जीत के बाद सम्राट चौधरी ने जनता का आभार व्यक्त किया और जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के नेतृत्व को दिया. 

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विजय सिन्हा की बड़ी जीत

बिहार के दूसरे उप-मुख्यमंत्री विजय सिन्हा लखीसराय से 24940 वोट से जीते हैं. उन्हें 1 लाख 22 हजार से ज्यादा वोट मिले. 97 हजार से ज्यादा वोट के साथ कांग्रेस के प्रत्याशी अमरेश कुमार यहां दूसरे स्थान पर रहे. तीसरे स्थान पर रहे जनसुराज के सूरज कुमार को 8 हजार से ज्यादा वोट मिले. 

पार्टी के एक अनुभवी और सवर्ण नेता विजय सिन्हा राज्य में विधानसभा स्पीकर, कैबिनेट मंत्री और साथ ही विपक्ष के नेता सहित कई पदों पर रह चुके हैं. प्रभावशाली भूमिहार समुदाय से नाता रखने वाले सिन्हा का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से भी पुराना रिश्ता रहा है. वह इसकी छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के एक सक्रिय सदस्य थे. 

सम्राट चौधरी के साथ उन्हें उप-मुख्यमंत्री बनाकर, ओबीसी और उच्च-जाति के समीकरण को साधने का भाजपा का फैसला कारगर साबित होता दिख रहा है.

58 वर्षीय सिन्हा, पहले चरण के मतदान के दौरान तब सुर्खियों में आए थे जब लखीसराय जिले के खोरियारी गांव में उनके काफिले का सामना गुस्साई भीड़ से हुआ था. विजय सिन्हा ने दो मतदान केंद्रों पर जाते समय राजद समर्थकों द्वारा उनकी कार पर पत्थर, चप्पल और गोबर फेंकने का आरोप लगाया था. जबकि स्थानीय लोगों का कहना था कि ये विरोध प्रदर्शन उनकी निराशा का नतीजा था, जो कि बुनियादी ढांचे की खराब स्थिति की वजह से थी.

हालांकि, इन विरोध प्रदर्शनों का लखीसराय से उनके दोबारा चुनाव लड़ने की कोशिश पर कोई असर नहीं पड़ा. एग्जिट पोल के बाद सिन्हा आत्मविश्वास से लबरेज थे. समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा था, "यह सिर्फ एग्ज़िट पोल है, अनुमान है.. एग्ज़ैक्ट पोल (परिणाम) आएगा तो एनडीए और भी ऊपर जाएगा...हम 175 से 200 से ज्यादा सीटें जीतेंगे.” 

आज के परिणामों में ठीक यही हुआ है. एनडीए ने 200 का आंकड़ा पार कर लिया है. 

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