Khabar Baazi
गालियां खा-खा कर महान हो गए, हम तेरे इश्क में बदनाम हो गए
17 सितंबर 2025, को पूरे देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 75वां जन्मदिन हर्षोल्लास से मनाया गया. सोशल मीडिया पर नजर डालें तो लगेगा जैसे आज कोई राष्ट्रीय पर्व मनाया जा रहा हो. अभिनेता से लेकर व्यापारी तक पीएम मोदी को जन्मदिन की बधाई दे रहे हैं. इस दौड़ में वो बड़े-बड़े पत्रकार भी शामिल हैं, जिनसे लोग निष्पक्ष विश्लेषण और सत्ता से सवाल पूछने की उम्मीद करते हैं.
इन पत्रकारों की बधाइयां मोदीजी के कट्टर से कट्टर फैन को भी बगले झांकने को मजबूर कर रही हैं. एबीपी न्यूज़ की मेघा प्रसाद शुरुआत करती हैं 2005 के एक फोन कॉल से. तब उन्हें पहली बार ‘खुद मोदी ने’ फोन किया था. अब यह रिश्ता 21 साल पुराना हो चुका है. वो लिखती हैं कि प्रधानमंत्री रिश्तों को “गर्मजोशी और गंभीरता” से निभाते हैं. ये पढ़ते हुए मन में सवाल आ सकता है कि क्या पत्रकारिता में रिश्तों की गर्मजोशी और सवालों की सख्ती साथ-साथ चल सकती है?
एबीपी न्यूज़ की ही चित्रा त्रिपाठी ने भावनाओं को व्यक्त करने के लिए संस्कृत श्लोक का सहारा लिया- “पश्येम शरदः शतम्…” यानी सौ बरस की आयु का आशीर्वाद. यह बधाई से ज्यादा किसी सम्राट की दीर्घायु वंदना जैसी लगती है.
आज तक की अंजना ओम कश्यप 2019 के अपने इंटरव्यू से शुरुआत करती हैं. वो इसे अपने जीवन का “ग्रैंडेस्ट इंटरव्यू” बताती हैं. न्यूज़18 इंडिया के अमीश देवगन बधाई देते हुए ‘आत्मनिर्भर, शक्तिशाली और विश्वगुरु’ जैसे क्लीशेनुमा जुमलों के सहारे अपनी भक्ति को उद्गार देते हैं. एक कदम आगे बढ़कर देवगन ने एक लेख भी लिखा. लेख में वो बताते हैं कि मोदी जी अपनी ‘प्रजा के लिए’ क्या-क्या कर रहे हैं.
टाइम्स नाउ नवभारत के सुशांत सिन्हा ने भी चारण गीत लिखा. “ईश्वर आपको यूं ही हिट और फिट बनाए रखे.” एनडीटीवी के विकास भदौरिया मोदीजी का एक पुराना वाकया बताते हैं, जब उन्होंने पत्रकारों से कहा था- “पानी पीते रहिए.” भदौरिया के ट्वीट पर मोदी का खुद इंटरव्यू में बार-बार पानी पीने और ‘दोस्ती बनी रहे’ वाला अमर संवाद याद आता है. तब भी पत्रकारिता पानी पिलाती थी, अब भी पत्रकारिता पानी ही पिला रही है, बस दोनों की तासीर बदल गई है.
बाकी पत्रकार भी पीछे नहीं रहे. अमन चोपड़ा “देश नहीं झुकने देंगे” के संकल्प का ज़िक्र करते हैं तो रुबिका लियाकत प्रधानमंत्री पर ‘अल्लाह की खास रहमत’ बने रहने की दुआ मांगती हैं.
इंडिया टीवी वाले रजत शर्मा कहते हैं कि ‘दुनिया को मोदी जी के मार्गदर्शन की ज़रूरत है’ तो नविका कुमार के लिए मोदीजी से हर मुलाकात “प्रेरणादायी” बन जाती है.
राजदीप सरदेसाई एक पुरानी तस्वीर साझा करते हैं तो शिव अरूर मज़ाकिया अंदाज़ में “व्हाट्सऐप ग्रुप्स” की तुलना करते हैं और रोमाना इसार खान तो शायरी पर उतारू हो गईं.
रोमाना लिखती हैं, ‘गालियां खा कर तूफानों से टकरा कर वो खड़े हैं, अपने देश और देशवासियों के लिए डटे हैं. सदियों की उलझनों को चुटकियों निपटा दिया, कश्मीर के आंगन से अलगाव का पर्दा हटा दिया, अयोध्या में धर्म संस्कृति का स्वर्णिम अध्याय सजा दिया.
वो ही हैं जिन्होंने नए भारत का नया भरोसा बोया है, वो ही हैं जिन्होंने 2047 विकसित भारत का सपना संजोया है.”
इसके अलावा दीपक चौरसिया, आदित्य राज कौल,शोभना यादव, गौरव सावंत, मौसमी सिंह, राहुल शिवशंकर आदि ने भी पीएम मोदी के जन्मदिन पर बधाई पोस्ट की है.
वहीं, एनडीटीवी के अखिलेश शर्मा ने बधाई का सीधा संदेश तो पोस्ट नहीं किया लेकिन मोदीजी को नाराज भी नहीं किया है, बस चापलूसी का एक शॉर्टकट खोज लिया है. उन्होंने मोदी के 2014 में सत्ता में आने के बाद से अब तक के कार्यकाल के बीच की अर्थव्यस्था के ‘गणितीय दावे’ में उन्होंने बधाई की रस्म पूरी की.
सोशल मीडिया पर दी जा रही बधाइयां मानो स्वामिभक्ति साबित करने और एक दूसरे से आगे निकले की होड़ का नतीजा है. वैसे हम इसे अच्छा या बुरा नहीं मानते, बस ये सवाल पूछना चाहते हैं कि बधाई और प्रशंसा के इतने खुले प्रदर्शन के बाद तटस्थता और आलोचना की गुंजाइश बची है या नहीं?
असल में विज्ञापन की बैसाखियों पर खड़े पत्रकारिता जगत में ये सवाल बेमानी हो जाता है. यही वजह है कि हम आपसे बार-बार विज्ञापन मुक्त पत्रकारिता की अपील करते हैं. आज ही न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब कीजिए और गर्व से कहिए मेरे खर्च पर आज़ाद हैं ख़बरें.
Also Read
-
Two years on, ‘peace’ in Gaza is at the price of dignity and freedom
-
4 ml of poison, four times a day: Inside the Coldrif tragedy that claimed 17 children
-
Delhi shut its thermal plants, but chokes from neighbouring ones
-
Hafta x South Central feat. Josy Joseph: A crossover episode on the future of media
-
Encroachment menace in Bengaluru locality leaves pavements unusable for pedestrians