Video
धराली आपदा की पूरी कहानी, दस दिन बाद भी भटकने को मजबूर हैं लोग
उत्तरकाशी के धराली में आया सैलाब बीते एक दशक में देश के भीतर आई सबसे बड़ी आपदाओं में से एक है. यहां 5 अगस्त को खीरगंगा नदी में आई बाढ़ और मलबे के सैलाब ने तबाही मचा दी है. वैज्ञानिक जहां अभी भी इसके कारणों की पड़ताल में जुटे हैं और करीब 100 लोगों का अभी तक कोई अता पता नहीं है. जिनमें नेपाल और बिहार के प्रवासी भी शामिल हैं.
यह सैलाब तेज बहाव अपने साथ चट्टानें, पेड़ और मिट्टी लेकर आया, जिसने 80 से ज्याद होटल, पूरा बाजार और गंगोत्री हाईवे का बड़ा हिस्सा बहा दिया. कई लोग अब भी लापता हैं. राहत टीमें 25–30 फीट गहराई तक दबे शवों को खोजने के लिए ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार और कैडव डॉग्स का सहारा ले रही हैं.
धराली तक पहुंच बनाना किसी मिशन से कम नहीं था. बह चुकी सड़कों, धंसे हुए पुलों और मलबे से भरे पहाड़ों को पार करते हुए हमारी टीम वहां पहुंची, जहां आपदा ने अपना सबसे भयावह रूप दिखाया था. लोग भी अपनों की तलाश में किसी तरह पहुंच रहे हैं. तमाम रुकावटों के बावजूद, टूटे रास्तों और खतरनाक ढलानों को पार करके घटनास्थल तक पहुंचना जरूरी था, क्योंकि यहीं से असली तस्वीर सामने आती है. जहां मलबे के नीचे दबे घर, टूटा बाजार और लोगों की पीड़ा एक साथ नजर आती है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार की लापरवाही और अतिक्रमण इस आपदा का बड़ा कारण हैं. उनका आरोप है कि मीडिया को मौके पर जाने से रोका जा रहा है ताकि “सरकार का काला चिट्ठा” सामने न आए. इस बीच, राज्य सरकार ने प्रभावित परिवारों को मुआवजा और पुनर्वास का आश्वासन दिया है, लेकिन पुनर्निर्माण कब और कैसा होगा इस पर अनिश्चितता बनी हुई है.
इस तबाही में धराली के लोगों की आजीविका का मुख्य साधन भी प्रभावित हुआ है. सेब की खेती और पर्यटन को गहरी चोट लगी है. बगीचे नष्ट हो गए हैं और दिल्ली, सहारनपुर, देहरादून जैसी मंडियों में सप्लाई रुक गई है.
विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि नदी किनारे निर्माण, पेड़ों की कटाई और गंगोत्री हाईवे चौड़ीकरण जैसे प्रोजेक्ट्स ने इलाके की संवेदनशीलता बढ़ा दी है. अगर नदियों के प्रवाह को समझे बिना विकास योजनाएं जारी रहीं, तो धराली जैसी आपदाएं भविष्य में और भी भयावह रूप ले सकती हैं.
देखिए न्यूज़लॉन्ड्री की ये समग्र और विशेष रिपोर्ट.
Also Read
-
TV Newsance 318: When Delhi choked, Godi Media celebrated
-
Most unemployed graduates, ‘no progress’, Agniveer dilemma: Ladakh’s generation in crisis
-
‘Worked day and night’: Odisha’s exam ‘irregularities’ are breaking the spirit of a generation
-
Kerala hijab row: How a dispute between a teen and her school became a state-wide debate
-
United Nations at 80: How it’s facing the severest identity crisis of its existence