Khabar Baazi
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का बीच सत्र में इस्तीफा, राजनीतिक हलकों में कयासों का दौर
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई की देर शाम अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया. राष्ट्रपति को संबोधित एक औपचारिक पत्र में उन्होंने कहा कि वह स्वास्थ्य कारणों और चिकित्सा सलाह के मद्देनज़र यह निर्णय ले रहे हैं. संविधान के अनुच्छेद 67(क) के तहत उन्होंने तत्काल प्रभाव से पद छोड़ने की घोषणा की.
धनखड़ ने अपने त्यागपत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को उनके ‘अटल सहयोग’ और ‘सौहार्दपूर्ण कार्य संबंधों’ के लिए आभार प्रकट किया. उन्होंने प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद को भी उनके निरंतर सहयोग के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि उनके कार्यकाल में मिले अनुभव और सीख अमूल्य रहे.
धनखड़ ने संसद सदस्यों के साथ मिले स्नेह, विश्वास और सम्मान को ‘हमेशा के लिए स्मृति में संजोए रखने योग्य’ बताया. उन्होंने इसे भारत के लोकतंत्र में एक महान दायित्व और अवसर बताया जिसे उन्होंने गर्व के साथ निभाया.
अपने पत्र में उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि उन्होंने देश के आर्थिक विकास और वैश्विक मंच पर बढ़ते कद को करीब से देखा और उसमें भागीदारी की. उन्होंने लिखा, ‘इस परिवर्तनशील युग में राष्ट्र की सेवा करना मेरे लिए सच्चा सम्मान रहा.’
पत्र के अंत में उन्होंने भारत के उज्ज्वल भविष्य में अपनी अटूट आस्था दोहराई और ‘गौरव तथा कृतज्ञता’ के साथ पद त्यागने की बात कही.
धनखड़ का यह इस्तीफा ऐसे समय आया है जब संसद का मानसून सत्र आज ही शुरू हुआ है. जिससे देश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है. अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा और क्या सरकार इस पद को लेकर कोई बड़ा राजनीतिक संदेश देना चाहती है.
जगदीप धनखड़ ने 11 अगस्त 2022 को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी. अपने कार्यकाल में वे राज्यसभा के सभापति के रूप में भी सक्रिय और प्रभावी भूमिका में रहे.
उनके इस्तीफे से राजनीतिक हलकों में संवेदना और आश्चर्य की मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं.
जगदीप धनखड़ के आरएसएस कार्यकर्ता से राष्ट्रपति बनने तक के सफर पर पढ़िए न्यूज़लॉन्ड्री की यह खास रिपोर्ट.
भ्रामक और गलत सूचनाओं के इस दौर में आपको ऐसी खबरों की ज़रूरत है जो तथ्यपरक और भरोसेमंद हों. न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करें और हमारी भरोसेमंद पत्रकारिता का आनंद लें.
Also Read
-
Encroachment menace in Bengaluru locality leaves pavements unusable for pedestrians
-
Lucknow’s double life: UP’s cleanest city rank, but filthy neighbourhoods
-
Delays, poor crowd control: How the Karur tragedy unfolded
-
‘If service valuable, why pay so low?’: 5,000 MCD workers protest for permanent jobs, equal pay, leaves
-
Tata Harrier EV review: Could it be better than itself?