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सन टीवी को लेकर विवाद, दयानिधि मारन ने बड़े भाई कलानिधि पर लगाया घोटाले का आरोप
चेन्नई सेंट्रल से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री दयानिधि मारन ने अपने बड़े भाई और सन ग्रुप के चेयरमैन कलानिधि मारन को कानूनी नोटिस भेजा है. इस नोटिस में कलानिधि पर सन टीवी नेटवर्क और उससे जुड़ी कंपनियों में शेयरों के आवंटन और हस्तांतरण को लेकर बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है. यह जानकारी बार एंड बेंच की रिपोर्ट में सामने आई है.
नोटिस के अनुसार, 2003 से ही कलानिधि मारन और सात अन्य लोगों ने सन टीवी पर नियंत्रण पाने के लिए फर्जीवाड़े और अनियमितताओं का सहारा लिया. इन आरोपों में अवैध तरीके से शेयर बांटना, कंपनी के रिकॉर्ड में हेरफेर करना, वास्तविक मूल्य से बेहद कम दाम पर सौदे करना और कंपनी के फंड का दुरुपयोग शामिल है.
सबसे गंभीर आरोप यह है कि 15 सितंबर 2003 को, जब उनके पिता एस.एन. मारन को गंभीर हालत में भारत लाया गया था, तभी कलानिधि को 12 लाख इक्विटी शेयर जारी कर दिए गए. यह शेयर न तो किसी स्वतंत्र मूल्यांकन के आधार पर थे, न ही शेयरधारकों की अनुमति ली गई थी और न ही प्रमोटरों की सहमति से थे.
इन शेयरों का अंकित मूल्य 10 रुपये प्रति शेयर था, लेकिन बाजार में इनकी कीमत 3,000 रुपये से अधिक थी. इस तरह उन्हें सीधे 60 प्रतिशत हिस्सेदारी मिल गई.
दयानिधि मारन का यह भी आरोप है कि उनके पिता के शेयर 26 नवंबर 2003 को, उनकी मृत्यु से पहले ही, उनकी मां मल्लिका मारन के नाम ट्रांसफर कर दिए गए. यह ट्रांसफर उस समय किया गया जब न तो मृत्यु प्रमाणपत्र था और न ही कोई कानूनी उत्तराधिकार प्रमाणपत्र. इसके बाद 2005 में ये शेयर और भी कम कीमत पर कलानिधि को ट्रांसफर कर दिए गए.
नोटिस में यह भी दावा किया गया है कि 2005 में घोषित 174 रुपये करोड़ के लाभांश (डिविडेंड) का उपयोग कर कलानिधि ने एम करुणानिधि की पत्नी एम.के. दयालु के पास मौजूद 50 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद ली.
साथ ही, आरोप है कि शेयर आवंटन और लाभांश के ज़रिए कुछ चुनिंदा लोगों को फ़ायदा पहुंचाया गया, जिनमें उनकी पत्नी कावेरी कलानिधि (जो अब सन टीवी की जॉइंट एमडी हैं) और वे लोग शामिल हैं, जिन्हें बाद में स्पाइसजेट और सन डायरेक्ट जैसी कंपनियों में बड़े पद दिए गए.
नोटिस में कहा गया है कि इस पूरे घोटाले में कंपनी के ऑडिटर, वित्तीय सलाहकार और कंपनी सचिव तक शामिल रहे और उन्होंने इस फर्जीवाड़े को छुपाने में मदद की.
दयानिधि मारन ने मांग की है कि कंपनी की शेयरधारिता की संरचना 15 सितंबर 2003 की स्थिति में बहाल की जाए. साथ ही, सभी अवैध ट्रांसफर को रद्द करने और डिविडेंड समेत जो भी वित्तीय लाभ हुआ है, उसे एसएन मारन और एमके दयालु के वैध उत्तराधिकारियों को लौटाने की बात कही गई है.
उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि ऐसा नहीं किया गया, तो भारतीय दंड संहिता, कंपनी अधिनियम, सेबी अधिनियम और मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
अंग्रेजी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह विवाद अब केवल पारिवारिक नहीं रह गया है, बल्कि तमिलनाडु के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक और कारोबारी घरानों में से एक के भीतर लंबी चली आ रही विरासत की लड़ाई अब खुलकर कानूनी लड़ाई में तब्दील हो चुकी है.
करुणानिधि के जीवित रहते हुए मारन परिवार के भीतर ऐसे झगड़े आमतौर पर निजी तौर पर सुलझा लिए जाते थे लेकिन 2018 में करुणानिधि के निधन के बाद परिस्थितियां बदल गई हैं.
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