Video
जेएनयू: ‘पहलगाम’ और ‘जय श्री राम’ के बीच झूलती प्रेसिडेंशियल डिबेट
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में 25 अप्रैल को छात्रसंघ चुनाव होंगे. इस बार यहां मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है. गठबंधन में लड़ने वाले वामपंथी संगठन अबकी बार अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं. माना जा रहा है कि इस बिखराव का फायदा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) को हो सकता है. वो भी इसे एक सुनहरे मौके की तरह देख रहा है.
चुनाव से पहले 23 अप्रैल की रात कैंपस में प्रेसिडेंशियल डिबेट हुई. इस डिबेट को लेकर छात्र शाम से ही उत्साहित दिखे. ढपली और ढोल की थापों के बीच छात्र झंडे लहरा रहे थे तो साथ ही अपने पसंदीदा नेताओं और महापुरुषों की तस्वीरें भी उठाए थे.
सभी प्रत्याशियों ने अपने जोरदार भाषण से छात्रों का ध्यान अपनी ओर खींचा. जहां कई प्रत्याशियों के लिए कैंपस के अंदरुनी मुद्दे फोकस में रहे तो वहीं कई ने कैंपस के मुद्दों के साथ-साथ देश-विदेश के मुद्दों पर भी जोर दिया. इस बीच मणिपुर से लेकर गुजरात तो वहीं गाजा पट्टी और फिलिस्तीन से लेकर इजरायल एवं अमेरिका पर भी बात हुई.
प्रेसिडेंशियल डिबेट के दौरान कैंपस में कई रंग देखने को मिले. जहां एक तरफ छात्र ‘जय श्री राम’ के नारों के साथ भगवा झंडे लहर रहे थे वहीं दूसरी ओर जय भीम के नारों के साथ नीले झंडे लहराए जा रहे थे. बीच में लाल सलाम के नारे भी सुनाई दे रहे थे. डिबेट को देखने के लिए छात्र, कई महापुरुषों की तस्वीरों के साथ-साथ अखिलेश यादव, राहुल गांधी और लालू यादव की तस्वीरें भी लेकर पहुंचे.
पहलगाम में हुए आतंकी हमले की सभी प्रत्याशियों ने निंदा की. डिबेट शुरू होने से पहले एबीवीपी की ओर से बदले की मांग वाले पोस्टर लहराए गए. वहीं, आइसा की तरफ से फिलिस्तीन का झंडा दिखाया गया. इस दौरान छात्रों के बीच हाथापाई भी देखने के मिली. इस कारण डिबेट को बीच में रोकना भी पड़ा. कई बार सिक्योरिटी में लगे जवानों को छात्रों का बीच-बचाव करना पड़ा. ढोल- ढपली और नारों की गूंज से डिबेट की आवाज दब रही थी, जिसे लेकर चुनाव समिति को बार बार हस्तक्षेप करना पड़ा.
देखिए पूरा वीडियो-
Also Read
-
Forget the chaos of 2026. What if we dared to dream of 2036?
-
लैंडफिल से रिसता ज़हरीला कचरा, तबाह होता अरावली का जंगल और सरकार की खामोशी
-
A toxic landfill is growing in the Aravallis. Rs 100 crore fine changed nothing
-
Efficiency vs ethics: The AI dilemmas facing Indian media
-
Dec 24, 2025: Delhi breathes easier, but its green shield is at risk