Khabar Baazi
दिलीप मंडल ने फातिमा शेख के अस्तित्व पर सवाल उठाकर फिर से विवाद खड़ा कर दिया
लेखक और पत्रकार दिलीप मंडल ने गुरुवार को यह दावा करके विवाद खड़ा कर दिया कि भारत की पहली मुस्लिम महिला स्कूल शिक्षिका के रूप में प्रसिद्ध फातिमा शेख कोई असल इंसान नहीं थीं बल्कि एक “मनगढ़ंत चरित्र” थीं, जिसे उन्होंने बनाया था.
गौरतलब है कि 2019 में, मंडल ने द प्रिंट के लिए एक लेख लिखा था, जिसमें सवाल उठाया गया था कि इतिहास ने फातिमा शेख के योगदान को क्यों भुला दिया? इसे गुरुवार को वेबसाइट से हटा लिया गया. इसमें कहा गया, “द प्रिंट ने दिलीप मंडल की एक्स पर पोस्ट पर संज्ञान लिया है, जिसमें दावा किया गया था कि उन्होंने फातिमा शेख नामक एक ‘ऐतिहासिक’ चरित्र को गढ़ा है. इस मामले की जांच करते हुए इस लेख को वापस ले रहे हैं.”
इससे पहले एक्स पर एक पोस्ट में मंडल ने लिखा, “मुझे माफ़ कीजिए. दरअसल फ़ातिमा शेख कोई थी ही नहीं. यह ऐतिहासिक चरित्र नहीं है. ये मेरी निर्मिती है. मेरा कारनामा. ये मेरा अपराध या गलती है कि मैंने एक ख़ास दौर में शून्य से यानी हवा से इस नाम को खड़ा किया था…. मत पूछिए कि मैंने ये क्यों किया था. वक्त वक्त की बात है. एक मूर्ति गढ़नी थी सो मैंने गढ़ डाली. हज़ारों लोग गवाह हैं. ज़्यादातर लोगों में ये नाम पहली बार मुझसे जाना है.”
बीते वर्ष अगस्त में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के मीडिया सलाहकार के रूप में नियुक्त किए गए मंडल ने यह भी दावा किया कि किसी भी लेख या पुस्तक में या फिर गूगल पर फातिमा शेख को लेकर कोई संदर्भ नहीं था.
माना जाता है कि फातिमा शेख सावित्रीबाई फुले और ज्योतिबा फुले की करीबी सहयोगी थीं और उन्होंने लड़कियों के लिए भारत का पहला स्कूल स्थापित करने में उनकी मदद की थी.
हालांकि, अपने पोस्ट में मंडल ने जोर देकर कहा कि फातिमा शेख की "आधुनिक लोककथा या मिथक" "ऐतिहासिक या पाठ्य साक्ष्य के बिना निर्मित" थी.
मंडल के दावों के बावजूद, शोधकर्ताओं ने 'फातिमा' के ऐतिहासिक संदर्भों का हवाला दिया है.
शोधकर्ता एमजी माली द्वारा संपादित, महाराष्ट्र राज्य साहित्य अनी संस्कृति मंडल द्वारा 1988 में प्रकाशित पुस्तक सावित्रीबाई फुले-समग्र वांगमय में सावित्रीबाई फुले द्वारा अपने पति को लिखे गए एक पत्र का उल्लेख है जिसमें फातिमा का उल्लेख है.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा प्रकाशित 1986 की एक पुस्तक, क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले में भी फातिमा शेख का उल्लेख है. 9 जनवरी, 2022 को शेख को उनके 191वें जन्मदिन पर गूगल ने डूडल बनाकर सम्मानित भी किया. हालांकि, मंडल ने दावा किया कि फातिमा की बताई गई तस्वीर "काल्पनिक" है.
Also Read: सनम बेवफ़ा कौन? दिलीप मंडल या सुधीर चौधरी
Also Read
-
‘Should I kill myself?’: How a woman’s birthday party became a free pass for a Hindutva mob
-
Cyber slavery in Myanmar, staged encounters in UP: What it took to uncover these stories this year
-
Hafta x South Central: Highs & lows of media in 2025, influencers in news, Arnab’s ‘turnaround’
-
ऑपरेशन सिंदूर और भारत-पाक संघर्ष की धुंध के बीच सच की तलाश
-
I covered Op Sindoor. This is what it’s like to be on the ground when sirens played on TV