हवा का हक़
सड़ांध से लेकर कालिख तक, वेस्ट टू एनर्जी प्लांट ने पड़ोसियों का जीना मुहाल किया
यह रिपोर्ट वायु प्रदूषण को लेकर हमारी मुहिम ‘हवा का हक़’ का हिस्सा है. आप इससे कैसे जुड़ सकते हैंं, जानने के लिए यहां क्लिक करें और हमें समर्थन देने के लिए यहां क्लिक करें.
दिल्ली की जहरीली हवा अक्सर खबरों में रहती है लेकिन शहर के बीचों-बीच स्थित कचरे से ऊर्जा बनाने वाले प्लांट का भी इसमें ठीकठाक योगदान है.
दरअसल, दक्षिण दिल्ली के ओखला में कचरे से ऊर्जा बनाने वाले (वेस्ट टू एनर्जी) प्लांट की स्थापना के पीछे दो उद्देश्य थे. एक तो बढ़ते कचरे को कम करना और दूसरा राजधानी के लिए बिजली पैदा करना. लेकिन अब इस प्लांट को लेकर स्थानीय निवासी चिंताएं जताने लगे हैं. उन्हेंं इसके विषाक्त उत्सर्जन (टॉक्सिक एमिशन) के चलते स्वास्थ्य पर पैदा होने वाले खतरों के बारे में पता चल रहा है. इसके साथ ही ये विवाद का विषय भी बन गए हैं.
हाल ही में न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट ने इस बहस को फिर से हवा दे दी है. रिपोर्ट में मानदंडों और मिट्टी परीक्षणों के उल्लंघन की ओर इशारा किया गया है. जो कि कैंसर और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन रहे हैं.
न्यूज़लॉन्ड्री ने प्लांट के आस-पास के इलाकों का दौरा किया और इससे प्रभावित होने वाले लोगों से बात की. लोगों ने कई समस्याओं की ओर इशारा किया, जैसे कि “गर्भपात”, “कैंसर का बढ़ता जोखिम”, “गंदगी से उठती सडांध” और उनके घरों में जमा होने वाली कालिख (फ्लाई ऐश).
स्थानीय निवासी वर्ना श्रीरामन ने कहा, "दिल्ली में पहले से ही हवा बहुत खराब है. लेकिन सुखदेव विहार में यह सबसे खराब है क्योंकि यह इलाका प्लांट से बहुत नजदीक है."
देखिए हमारी यह रिपोर्ट.
यह रिपोर्ट वायु प्रदूषण को लेकर हमारी मुहिम ‘हवा का हक़’ का हिस्सा है. आप इससे कैसे जुड़ सकते हैंं, जानने के लिए यहां क्लिक करें और हमें समर्थन देने के लिए यहां क्लिक करें.
Also Read
-
A conversation that never took off: When Nikhil Kamath’s nervous schoolboy energy met Elon Musk
-
Indigo: Why India is held hostage by one airline
-
2 UP towns, 1 script: A ‘land jihad’ conspiracy theory to target Muslims buying homes?
-
‘River will suffer’: Inside Keonjhar’s farm resistance against ESSAR’s iron ore project
-
Who moved my Hiren bhai?