शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान.
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क्या धर्मेंद्र प्रधान ने संसद में पेपर लीक को लेकर गलत और अधूरी जानकारी दी?

सोमवार को लोकसभा में नीट पेपर लीक का मुद्दा चर्चा के केंद्र में रहा. राहुल गांधी समेत अन्य विपक्षी नेताओं ने पेपर लीक पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से सवाल पूछा और उनसे इस्तीफे की मांग की. सदन में इसको लेकर हंगामा शुरू हुआ जिस पर जवाब देते हुए प्रधान ने कहा, ‘‘मैं बेहद जिम्मेदारी के साथ सदन को बताना चाहता हूं कि बीते सात सालों में पेपर लीक का एक भी सबूत नहीं मिला.’’

क्या प्रधान ने सदन में गलत जानकारी दी? दरअसल, सामान्य गूगल सर्च में ही प्रधान का दावा सवालों के घेरे में आ जाता है. आइए जानते हैं बीते सात सालों में कुछ परीक्षाओं के लीक हुए पेपर्स के बारे में.

पेपर लीक और सैनिक भर्ती परीक्षा रद्द

भारतीय सेना ने प्रश्न पत्र लीक होने के बाद सैनिकों (सामान्य ड्यूटी) की भर्ती को 28 फरवरी 2021 को रद्द कर दिया, यह परीक्षा भी इसी दिन होनी थी. सेना की तरफ से कहा गया कि पेपर लीक होने की सूचना मिलने के बाद भर्ती रद्द कर दी गई. 28 फरवरी को पूरे भारत के 6 जोन के 40 सेंटर पर लिखित परीक्षा का आयोजन होना था. जिसमें 30,000 अभ्यर्थी शामिल होने वाले थे.

इस मामले में आर्मी इंटेलिजेंस यूनिट और पुणे पुलिस की क्राइम ब्रांच ने दो पूर्व सैनिकों और एक सिविल डिफेन्स के बावर्ची को प्रश्न पत्र लीक करने के मामले में गिरफ्तार भी किया था. 

तब पुणे पुलिस कमिश्नर अमिताभ गुप्ता ने बताया था कि पकड़े गए आरोपियों में से 2 सेना के पूर्व कर्मचारी भी हैं. शुरुआती जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने 4 से 5 लाख रुपए के बीच यह पेपर बेचा था.

वहीं सेना के एक अन्य अधिकारी ने कहा था कि 'उचित उम्मीदवार के चयन के लिए भर्ती प्रक्रिया में किसी भी तरह के भ्रष्ट आचरण को लेकर सेना जरा भी कमी बर्दाश्त नहीं करती.’’

एसएससी पेपर लीक 2018 

पेपर लीक के कारण एसएससी द्वारा आयोजित संयुक्त स्नातक स्तरीय (टियर-II) परीक्षा, 2017 को रद्द कर दी गई. यह जानकारी खुद ही लोकसभा में तत्कालीन कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय में राज्य मंत्री तथा प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने दी थी.

25 जुलाई 2018 को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद जितेंद्र चौधरी ने लोकसभा में सवाल पूछा था कि क्या कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक होने की घटनाएं पूरे देश में दिन-प्रतिदिन बढ़ रही हैं और यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है?

इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने जानकारी दी थी कि फरवरी-मार्च, 2018 में संयुक्त स्नातक स्तरीय (टियर-II) परीक्षा, 2017 के आयोजन के दौरान, 21 फरवरी 2018 को पेपर-I के कुछ प्रश्नों की उत्तर कुंजी लीक होने और धोखाधड़ी के कुछ आरोप लगे थे. परीक्षा की पवित्रता बनाए रखने के लिए, एसएससी ने परीक्षा रद्द कर दी और 09 मार्च, 2018 को पुनः परीक्षा आयोजित की गई. 

मंत्री ने यह भी जानकारी दी थी कि एसएससी की परीक्षा प्रक्रिया में उम्मीदवारों के विश्वास की पुष्टि करने के उद्देश्य से, सरकार ने एसएससी की सिफारिश पर सीबीआई से आरोपों की जांच करने का अनुरोध किया था. 

लोकसभा में एसएससी पेपर लीक को लेकर पूछा गया सवाल.

रेलवे परीक्षा लीक 2021 

रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) ने तीन जनवरी 2021 को पश्चिम रेलवे की सामान्य विभाग प्रतियोगी परीक्षा (जीडीसीई) का आयोजन किया था. यह परीक्षा छह शहरों के 28 केंद्रों पर आयोजित की गई थी, जिसमें 8600 से अधिक परीक्षार्थियों ने हिस्सा लिया था.

पेपर शुरू होने से पहले ही यह कई कर्मचारियों के पास पहुंच गया था. तब इसको लेकर सीबीआई ने मामला दर्ज किया था और आगे चलकर गुजरात, महाराष्ट्र के अलग-अलग शहरों में छापेमारी कर कई आरोपियों को गिरफ्तार किया था.

दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक सीबीआई ने मुंबई की एप्टेक लिमिटेड और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था. एप्टेक लिमिटेड को परीक्षा संचालन एजेंसी नियुक्त किया गया था. जीडीसीई परीक्षा में उपस्थित उम्मीदवारों को परीक्षा शुरू होने से पहले राशि के भुगतान करने पर उत्तर सहित प्रश्न पत्र दिए गए थे.

12वीं और 10वीं का पेपर लीक 

सिर्फ प्रतियोगी परीक्षाएं ही नहीं बल्कि 10वीं और 12वीं का पेपर भी लीक होने के कारण रद्द हुआ है. जिसकी जानकारी 2019 में लोकसभा में एक सवाल के जवाब में तत्कालीन मानव संसाधन राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह ने भी दी थी.

अन्नाद्रमुक से तत्कालीन सांसद के अशोक कुमार ने लोकसभा में सवाल किया था कि क्या यह भी सच है कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को पिछले साल मार्च में कक्षा 12 की अर्थशास्त्र और कक्षा 10 की गणित प्रश्न पत्रों के लीक होने के बाद शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा? यदि हां तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है?

इसके जवाब में सत्यपाल सिंह ने बताया कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने सूचित किया है कि केवल दो प्रश्न पत्र कक्षा 12वीं के अर्थशास्त्र और कक्षा 10वीं के गणित के पेपर लीक की पुष्टि की जा सकी.  

जवाब में आगे सिंह ने बताया कि जिसके बाद कक्षा 12 के लिए अर्थशास्त्र की पुनः परीक्षा 25 अप्रैल, 2018 को आयोजित की गई थी. हालांकि, छात्रों के मुख्य हित को ध्यान में रखते हुए कक्षा 10 की गणित के लिए पुनः परीक्षा न करने का निर्णय लिया गया क्योंकि कक्षा 10 की परीक्षा मुख्य रूप से कक्षा 11 के लिए एक प्रवेश द्वारा होती है. 

दिल्ली पुलिस ने इस मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित की थी जिसकी जानकारी सिंह ने अपने जवाब में दी थी. वे बताते हैं, ‘‘दिल्ली पुलिस ने बोर्ड को सूचित किया कि हिमाचल प्रदेश के ऊना के एक परीक्षा केंद्र के सेंटर सुपरिटेंडेंट, उसके दो साथी और बैंक के अधिकारी को कक्षा 10 की गणित और कक्षा 12 की अर्थशास्त्र के पेपर लीक करने के लिए गिरफ्तार किया गया. इसी प्रकार दिल्ली में मदर खजानी कॉन्वेंट स्कूल के प्रधानाचार्य और दो शिक्षकों के साथ ही ईजी कोचिंग इंस्टीट्यूट के मालिक को कक्षा 10 की गणित के पेपर लीक करने के लिए दिल्ली में गिरफ्तार किया गया था.’’ 

लोकसभा में पूछे गए सवाल और उसके जवाब

जेईई मेंस 2021

इंजीनियरिंग क्षेत्र में संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) सबसे महत्वपूर्ण पेपर है जो एनटीए द्वारा आयोजित किया जाता है. साल 2021 में जेईई मेंस में गड़बड़ी की जानकारी सामने आई थी. इस परीक्षा में करीब 10 लाख छात्र बैठे थे.

यह गड़बड़ी रूस में बैठे मिखाइल शार्गिन ने की थी. पहले इस मामले की जांच यूपी पुलिस के द्वारा की गई, बाद में सीबीआई को सौंप दी गई. मिखाइल को दिल्ली एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया था.

तब एनडीटीवी ने सीबीआई सूत्रों के हवाले से बताया कि 2021 में रूसी नागरिक मिखाइल शार्गिन ने परीक्षा के लिए सॉफ्टवेयर को हैक कर लिया था, जो विश्व प्रसिद्ध टीसीएस या टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज द्वारा उपलब्ध कराया गया था.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक टीसीएस सॉफ्टवेयर को हैक कर लिया था, जो जेईई मेंस परीक्षा का प्लेटफॉर्म था, ताकि परीक्षा में बैठने वाले अभ्यर्थियों को कंप्यूटर टर्मिनलों को नियंत्रित करने के लिए रिमोट कनेक्टिविटी प्रदान की जा सके. इसके बाद 'शिक्षक' या 'कोच' छात्रों के कंप्यूटरों का नियंत्रण अपने हाथ में ले लेने में सक्षम हो गए और छात्रों के स्थान पर परीक्षा देने लगे. उत्तर प्रदेश के नोएडा में स्थित एफिनिटी एजुकेशन नामक एक निजी कोचिंग संस्थान के कर्मचारियों ने छात्रों के लिए प्रश्न पत्र हल किया था और इसके लिए उन्हें प्रत्येक छात्र को 12-15 लाख रुपए का भुगतान किया था.

पूरे सिस्टम को हैक कर लिया गया था लेकिन इस मामले में 20 छात्रों को चिन्हित कर तीन साल के लिए उनके किसी और परीक्षा में बैठने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. 

सेंट्रल टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीटेट) 2023

28 दिसंबर 2022 को सीबीएसई ने सेंट्रल टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीटेट) की परीक्षा आयोजित की थी, इसका पेपर भी कथित तौर पर लीक हुआ था. 

मामले की जांच यूपी एसटीएफ ने की. एसटीएफ ने 18 जनवरी 2023 को लखनऊ से एक कोचिंग सेंटर के मालिक अमित सिंह को गिरफ्तार किया. अमर उजाला की खबर के मुताबिक सिंह ने कबूल किया था कि सीटेट की परीक्षा में पेपर लीक करके 22 लाख रुपए लेकर परीक्षा से एक घंटा पहले व्हाट्सएप पर भेज दिया था. 12 और 13 जनवरी को होने वाली परीक्षा में भी अभ्यर्थियों को पेपर दिया गया था. 

इस मामले में आगे चलकर और गिरफ्तारी हुईं. टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक यूपी  एसटीएफ ने सीटेट पेपर लीक मामले में मेरठ के कंकरखेड़ा से दो लोगों को गिरफ्तार किया था. एसटीएफ द्वारा जारी बयान में दोनों आरोपियों की पहचान मथुरा के रहने वाले महक सिंह और हरियाणा के रहने वाले सोमवीर सिंह के रूप में हुई थी.

एसटीएफ द्वारा जारी बयान में यह भी कहा गया कि ‘‘महक सिंह मथुरा में प्रॉपर्टी डीलर का काम करता है. महक के मुताबिक वो प्रतियोगी परीक्षाओं का पेपर खरीदता था और अभ्यर्थियों को अपने मोबाइल में पढ़ाता था. इसके लिए वह उनसे अच्छी खासी रकम वसूलता था. महक सिंह, लखनऊ के अमित सिंह से यह सारे पेपर दो लाख रुपए में खरीदता था और ढाई लाख में अभ्यर्थियों को बेचता था.’’

2024 ही नहीं इससे पहले भी हुआ था नीट पेपर लीक 

अभी नीट पेपर लीक पर चर्चा चल रही है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नीट का पेपर 2018, 2021 और 2022 में भी लीक हुआ था. इसको लेकर सीबीआई ने मामला दर्ज किया था. जिसकी जांच अभी भी जारी है. वहीं इसमें कई लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी.

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