पत्रकार हिमांशु अस्थाना और पंकज चतुर्वेदी
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वाराणसी के पत्रकारों ने कवरेज के दौरान पुलिस अधिकारी पर लगाया मारपीट का आरोप 

वाराणसी के कुछ पत्रकारों ने एडिशनल डीसीपी (सुरक्षा) विरेंद्र कुमार पर मारपीट का आरोप लगाया है. इस बाबत पत्रकारों ने मंडलायुक्त को लिखित शिकायत भी दी है. 

इंडिया न्यूज़ संवाददाता पंकज चतुर्वेदी के हवाले से दी गई इस शिकायत में  वाराणसी के कई पत्रकारों ने भी हस्ताक्षर किए हैं. शिकायत के मुताबिक, बुधवार 20 मार्च को रंगभरी एकादशी की कवरेज के दौरान पत्रकारों से बदसलूकी की गई है. पत्रकारों की मांग है कि अधिकारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई हो. 

इंडिया न्यूज़ संवाददाता पंकज चतुर्वेदी ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि बुधवार को काशी विश्वनाथ मंदिर में एकादशी के दिन रंगभरी कार्यक्रम का पर्व मनाया जाता है. इस दिन से होली की शुरुआत होती है. इस पर्व को स्थानीय लोग काफी धूमधाम से मनाते हैं. इसी की कवरेज के लिए पत्रकार वहां पहुंचे थे. 

वह कहते हैं, “इस दौरान मैं ढूंढीराज पर एक चबूतरे पर खड़ा था, तभी वहां पर एडिशनल डीसीपी आते हैं और बदतमीजी शुरू कर देते हैं. सबसे पहले उन्होंने दैनिक भास्कर के संवाददाता हिमांशु के साथ बदसलूकी की. उनका मोबाइल और माइक छीन लिया. वे हिमांशु को कॉलर पकड़कर पुलिसकर्मियों की मदद से वहां से हटवा देते हैं. इसके बाद उन्होंने मेरे साथ भी यही किया. मेरे ऊपर टूट पड़े और मेरा कॉलर पकड़ लिया. मेरे पूछने करने पर उन्होंने कहा कि तुम गुंडई करोगे, अराजकता फैलाओगे, जबकि हम चुपचाप खड़े थे.” 

वे कहते हैं हम लोगों को विश्वनाथ मंदिर प्रबंधक द्वारा बकायदा इसकी कवरेज के लिए बुलाया गया था. 

पंकज ने कहा, “जब मैंने उनके बर्ताव की शिकायत उच्च अधिकारियों से करने की बात कही तो वह और आगबबूला हो गए. मुझे धक्का मारते हुए बाहर ले गए. गालीगलौज करने लगे. मेरा माइक और फोन छीन लिया गया. उन्होंने मुझे वॉकी-टॉकी से भी मारा. मेरे हाथ पर भी चोट आई है. यह सब अचानक हुआ. इससे पहले भी वह कई पत्रकारों के साथ इस तरह का बर्ताव कर चुके हैं.”

वे बताते हैं कि मामले को कमिश्नर, सीपी और एडिशनल सीपी के सामने उठाया है और कार्रवाई का आश्वासन भी मिला है. साथ ही पंकज घटनास्थल की सीसीटीवी फुटेज से सच्चाई बाहर लाने की भी मांग करते हैं. 

पंकज कहते हैं कि सीपी ने जांच के लिए मामला डीआईजी को भेजा है और उन्होंने भी कार्रवाई का आश्वासन दिया है. 

चतुर्वेदी कहते हैं कि वे मेडिकल के बाद इसकी एफआईआर भी करवाएंगे.  

दैनिक भास्कर के संवाददाता हिमांशु अस्थाना भी चतुर्वेदी की तरह ही अचानक से पुलिस द्वारा बदतमीजी और हाथापाई किए जाने के आरोपों को दोहराते हैं.  

वह कहते हैं, “मैं 2015 से रिपोर्टिंग कर रहा हूं. आज तक किसी ने इस तरह की बदतमीजी नहीं की. कभी किसी ने माइक नहीं छीना.”

दैनिक जागरण के पत्रकार प्रद्युमन पांडे भी इस कवरेज के लिए मौके पर थे. वह बताते हैं कि पुलिसकर्मियों ने यूं तो सबको खदेड़ा लेकिन पंकज चतुर्वेदी और हिमांशु के साथ ज्यादा बदतमीजी की है. 

आरोपों पर पुलिस की सफाई

इस पूरे मामले पर हमने एडिशनल डीसीपी (सुरक्षा) विरेंद्र कुमार का पक्ष भी जाना.

वे कहते हैं, “उत्सव के दौरान काफी भीड़ थी. जहां से प्रतिमा आनी थी वह बहुत पतली गली है. हमें कंट्रोल रूम से पता चला कि वहां पर बच्चे, महिलाएं, बुजुर्गों समेत हजारों लोग खड़े थे. इस दौरान कुछ पत्रकार वीडियो बना रहे थे. पत्रकारों को देखकर भीड़ उत्तेजित हो गई क्योंकि उनमें से कुछ लोग कैमरे में आना चाहते थे. उत्तेजित भीड़ बाउंड्री पर चढ़ गई. बाउंड्री पर लोहे की ग्रिल लगी थी. कोई दुर्घटना न घटे इसके लिए हमने इस गली को खाली कराने के लिए कहा था. लेकिन पत्रकार नहीं माने तो हमने तो उनका मोबाइल और कैमरा जब्त करते हुए उन्हें वहां से हटाया. उसके बाद वहां से भीड़ को निकाला गया, ऐसा नहीं करते तो बड़ा हादसा हो सकता था.”

आगे कहते हैं, “इसके बाद दैनिक भास्कर के पत्रकार हिमांशु अस्थाना कार्यालय आए और उन्होंने लिखित में माफी मांगी और अपना फोन और कैमरा लेकर चले गए. वहीं दूसरे पत्रकार का हमने खुद ही पहुंचा दिया.”

हालांकि, वीरेंद्र कुमार ने पत्रकार द्वारा लिखित माफीनामे को हमें साझा करने से इनकार कर दिया.

वहीं, हिमांशु दावा करते हैं कि उन्होंने कोई माफी नहीं मांगी है. उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के कहने पर अपना जब्त सामान लेने के लिए पत्र लिखा था.

पत्रकारों द्वारा मंडलायुक्त वाराणसी को दी गई शिकायत.

पुलिसकर्मियों को आई चोट

डीसीपी वीरेंद्र कुमार कहते हैं कि भीड़ को नियंत्रित करने में तीन पुलिसकर्मियों को चोट लगी है. जिन्हें रात में ही अस्पताल ले जाया गया. वे खुद के भी चोट लगने की बात कहते हैं. 

क्या आपने पत्रकारों के साथ मारपीट की है? इस सवाल पर डीसीपी कहते हैं, “मारपीट का आरोप गलत है. हमने सिर्फ माइक आईडी और मोबाइल जब्त किया था. क्योंकि स्थिति ज्यादा गंभीर हो चली थी. अगर हम पत्रकारों को वहां से नहीं हटाते तो मामला और ज्यादा बिगड़ सकता था.”

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