Report
अडाणी का धारावी: नए सपने या डरावना ख्वाब?
जब से भारत के सबसे बड़े कॉरपोरेट घरानों में से एक अडाणी समूह द्वारा मुंबई की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती का पुनर्विकास करने की खबरें प्रसारित होने लगीं, तब से 56 वर्षीय बुगम्मा अल्लूरी दासू धारावी से अपने होने वाले निष्कासन को लेकर व्यथित हैं.
बुगम्मा के बदबूदार मीठी नाले के किनारे स्थित 10x15 वर्ग फुट के कमरे को पिछले मार्च में नगरपालिका ने अवैध घोषित कर दिया था. उसके पास महाराष्ट्र सरकार की बस्तियों के नियमितीकरण हेतु 1 जनवरी 2000 की कट-ऑफ तारीख से पहले इस कमरे के वजूद को साबित करने वाले मूल कागजात नहीं थे.
2000 में, जब नदी का किनारा चौड़ा हुआ करता था, उन्होंने और उनके पति ने दलदली भूमि पर बांस के खंभे गाड़े फिर उन्हें नीले तिरपाल से ढक दिया. अपने झोंपड़े या झोपड़ी का फर्श, कठोर हो चुके सीमेंट के कट्टों से बनाया.
दासू, जो घरों में चौका बर्तन करती हैं, दो दशक से भी ज़्यादा समय पहले इलाके के परिदृश्य को याद करते हुए कहती हैं, “ये सब खाड़ी का ज़मीन था, कोई घर नहीं था. हम लोगों ने ताड़पत्री अउरी गोनी बनाके घर बनाया, नीचे पूरा कीचड़ और गटर का पानी था”.
यह वो वक्त था जब उनके जैसे आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों से आने वाले बेघर प्रवासी, मैंग्रोव के दलदली इलाके को भरकर टिन-शेड वाले घर बना रहे थे. एक-दूसरे के ऊपर और एक-दूसरे से सटा-सटा कर सैकड़ों संकीर्ण गलियां बनाकर, धारावी के सेक्टर-5 के सबसे नए एक्सटेंशन की नींव रख रहे थे.
54 वर्षीय सलीमा बी शेख को भी बृहन्मुंबई नगर पालिका से एक ऐसा ही पत्र मिला है. इसमें राजीव गांधी नगर चॉल में उनकी तीन मंजिला इमारत को अयोग्य घोषित किया गया है. हालांकि, उनके पास सभी आवश्यक दस्तावेज हैं, लेकिन नामों में वर्तनी की गलती के कारण उसका निवास अपात्र सूची में आ गया है. कुछ आधिकारिक दस्तावेजों में उनका नाम गलती से 'सलीम अभिशेख' के रूप में दिखाई देता है, और उनके पति सरमत शेख का नाम 'सरमत सोनी' के रूप में दिखाई देता है.
धारावी के 60 प्रतिशत से अधिक घरों में ऐसी विसंगतियां हैं या पर्याप्त कागजी कार्रवाई का अभाव है. 2011 तक निर्मित इन 'अवैध मकानों', जिनमें दासू और शेख के घर भी शामिल हैं, को धारावी के बाहर महत्वाकांक्षी पुनर्विकास परियोजना के तहत पुनर्वासित किया जाएगा, लेकिन ऐसा 2.5 लाख रुपये की लागत पर होगा, जिससे वर्तमान झुग्गी से उनका निष्कासन निश्चित हो जाएगा.
शेख कहती हैं, “हमारी रोजी-रोटी यहीं है, धारावी में रहकर ही हमको काम मिलता है. हम कहां से लाएंगे इतना पैसा? अगर हमको इधर से निकलेंगे, तो हम विरोध करेंगे”.
एक सामाजिक चक्रव्यूह, राजनीतिक रूप से ‘विस्फ़ोटक’
18 मार्च को धारावी पुनर्विकास परियोजना प्राइवेट लिमिटेड ने आठ महीने के भीतर सभी स्थायी संरचनाओं का नक्शा बनाने के लिए धारावी के सेक्टर-2 में कमला रमन नगर से एक जमीनी सर्वेक्षण शुरू किया. इससे अलग एक ड्रोन सर्वेक्षण में डीआरपीपीएल प्रत्येक खड़ी संरचना को मैप करने के लिए भौगोलिक परिदृश्य की समीक्षा कर रहा है.
अडाणी के एक प्रवक्ता ने कहा, “पहला बड़ा काम योग्य मकानों की पहचान करना होगा. ड्रोन सर्वेक्षण लिडार (LIDAR) के माध्यम से प्रत्येक लेन को मैप करेगा, जिसके बाद प्रत्येक मकान को एक यूनीक आईडी सौंपी जाएगी. इसके बाद योग्य दस्तावेजों को सत्यापित करने के लिए निवासियों का घर-घर जाकर सर्वेक्षण किया जाएगा.''
पिछली जुलाई में, महाराष्ट्र सरकार ने अडाणी रियल्टी को 240 हेक्टेयर झुग्गी बस्तियों को सामूहिक रूप से आवासीय और वाणिज्यिक टाउनशिप में बदलने के लिए 5,069 करोड़ रुपये का ठेका दिया था. इससे अपात्र निवासियों में खलबली मच गई है, जो पुनर्विकास के लिए सड़कों और अदालत में लड़ने की योजना बना रहे हैं.
परियोजना यह सुनिश्चित करने का वादा करती है कि प्रत्येक मकान, वैध या अवैध, को स्लम इकाई के बदले में एक फ्लैट मिले. बदले में, अडाणी रियल्टी को लाखों वर्ग फुट का फ्लोर स्पेस इंडेक्स मिलेगा, जिसका उपयोग शहर में कहीं भी किया जा सकता है. झुग्गीवासियों को एक खास इलाके में रखा जाएगा और बाहरी लोगों के खरीदने के लिए नष्ट की गई झुग्गियों के स्थान पर आकर्षक ऊंची इमारतें बनाई जाएंगी.
योग्य झुग्गीवासी जो 2000 से पहले निवास का प्रमाण प्रस्तुत कर सकते हैं, उन्हें बिना किसी लागत के धारावी के भीतर बनाए जाने वाले नए फ्लैटों में स्थानांतरित किया जाएगा. 2011 तक बनी संरचनाओं के बदले मालिकों को 350 वर्ग मीटर के लिए 2.5 लाख रुपये की रियायती दर पर कहीं और फ्लैट दिए जाएंगे. अनुमानित रूप से मुलुंड, वडाला और माटुंगा में नवधारावी नामक ऐसे मल्टी-टावरों की योजना बनाई गई है.
इस बीच, राज्य सरकार ने अभी तक उन लोगों के भाग्य पर फैसला नहीं किया है जिन्होंने 2011 के बाद संरचनाएं बनाई हैं. माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में नई सरकार द्वारा इसकी घोषणा किए जाने की संभावना है.
मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में स्कूल ऑफ हैबिटेट स्टडीज में सेंटर फॉर अर्बन प्लानिंग एंड गवर्नेंस की प्रोफेसर अमिता भिड़े ने कहा, "पुनर्विकास परियोजना एक मौत का कुआं है. धारावी का विस्तार किसी भी अन्य स्लम इलाके के विपरीत जटिल है. इस तरह की जटिल व बड़ी संख्या में निवासियों को बाहर ले जाने का प्रयोग करना, सामाजिक और राजनीतिक रूप से विस्फोटक हो सकता है.”
भिडे ने कहा कि धारावी के प्रस्तावित पुनर्विकास से उपजने वाला सबसे बड़ा सवाल "आजीविका के पुनर्वास" का होगा.
उन्होंने कहा, “पुनर्विकास केवल लोगों को मलिन बस्तियों से आसमान छूते फ्लैटों में ले जाने का सवाल नहीं है, इसमें आजीविका से संबंधित महत्वपूर्ण चिंताएं और पहलू शामिल हैं. सच्चे पुनर्वास के लिए संपूर्ण सामाजिक, स्वास्थ्य, आर्थिक, राजनीतिक और स्थानिक विन्यास की आवश्यकता होती है, जबकि जो हम कर रहे हैं वह किसी व्यक्ति को पुनर्वास के लिए मुआवजा देना भर है. आजीविका की परिस्थिति फिर से बनाने के लिए एक योजना बनाने की आवश्यकता है, अन्यथा इससे बड़ी दरारें पड़ जायेंगी.”
करीब एक लाख लोगों को एकदम से सपाट खड़ी ऊंची-ऊंची इमारतों में ले जाने को झुग्गी- बस्तियों के पुनर्वास की योजना बना रहे भारत के कई शहरों और विदेशों द्वारा एक परीक्षण के रूप में देखा जाएगा. भिडे ने कहा, "पूरे स्लम क्षेत्र के पुनर्विकास से पहले पुनर्विकास परियोजना की व्यवहार्यता का कई मापदंडों पर परीक्षण किया जाना चाहिए."
सोने की खान पर झुग्गी
भारत और यहां तक कि एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती के रूप में कलंकित धारावी, मुंबई की अनौपचारिक अर्थव्यवस्था का दिल है और राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जुड़ा एक संपन्न व्यापार केंद्र है.
केवल 2.39 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्रफल में फैली इस जगह में शहर के गरीब- घरेलू कामगार, ड्राइवर, रसोइया, सुरक्षा गार्ड, मछुआरे, अकुशल और प्रशिक्षित मजदूर के अलावा ब्लू-कॉलर श्रमिक- अधिकतम घनत्व वाले ऐसे मोहल्लों में रहते हैं, जहां कोई वेंटिलेशन नहीं है, और साफ सफाई की स्थिति बदहाल है. एक सार्वजनिक ब्लॉक में 1,000 से अधिक लोग एक ही शौचालय का इस्तेमाल करते हैं.
लेकिन इन विषम परिस्थितियों के बावजूद, किसी भी दिन, 3-10 लाख लोगों की आबादी के साथ विशाल झुग्गी-झोपड़ी समूह बढ़ रहे हैं, जहां सालाना 650 मिलियन डॉलर से 1 बिलियन डॉलर के बीच की आय हो रही है.
अडाणी समूह के एक प्रवक्ता ने कहा, “यह देश में अब तक किया गया सबसे बड़ा पुनर्विकास है. किसी भी सरकार ने धारावी को विकसित करने की हिम्मत नहीं की क्योंकि निवासियों के लिए मकानों की संख्या में विसंगति का अनुपात चरम पर है. अधिकांश झुग्गी-झोपड़ी समूह अवैध हैं और हर कोई मुफ्त आवास का पात्र नहीं है.’
अडाणी रियल्टी के मास्टर प्लान का इरादा धारावी को सिंगापुर की तर्ज पर एक आलीशान इलाके में अपग्रेड करने का है. सिंगापुर ने 1960 और 1980 के दशक के बीच बड़े पैमाने पर पुनर्विकास किया. बड़ी संख्या में झुग्गी-झोपड़ियों को सार्वजनिक आवास इकाइयों में परिवर्तित किया और लगभग 80 प्रतिशत आबादी को कम्पोंग में एक-एक कमरों से संरचित तंग फ्लैटों में जाने में मदद की.
डीआरपीपीएल अडाणी समूह और महाराष्ट्र सरकार के बीच एक संयुक्त उद्यम है, जिसने सिंगापुर हाउसिंग अथॉरिटी को भी सलाहकार के रूप में बोर्ड में शामिल किया है.
प्रवक्ता ने कहा, “हम हर स्थायी मकान के लिए आवास उपलब्ध कराना चाहते हैं. हम किसी को उजाड़ने की योजना नहीं बना रहे हैं. हम सिर्फ धारावी के निवासियों को गंदगी से बाहर आने और सम्मान का जीवन जीने में मदद करना चाहते हैं.” साथ में उन्होंने यह भी कहा कि योग्य मकानों की मांगों और जरूरतों को प्राथमिकता दी जाएगी.
डीआरपीपीएल की योजना, जिसे 17 साल की समय सीमा में लागू करने की कल्पना की गई है, को कम ही लोग पसंद करते हैं. कुम्हार समुदाय के देवजीभाई चित्रोदा को पुनर्विकास की व्यवहार्यता पर शक है. खुले आंगन में बैठे, दो भट्टियों के किनारे सूख रहे मटकों और विभिन्न मिट्टी के बर्तनों से घिरे हुए वे आश्चर्य करते हैं कि कुम्हार ऊंची इमारतों से अपना व्यवसाय कैसे जारी रखेंगे.
कुम्हारों की सहकारी समिति, प्रजापति सहकारी उत्पादक मंडल के अध्यक्ष चित्रोदा ने पूछा, “हम पांच पीढ़ियों से यह व्यवसाय चला रहे हैं. हमारा पूरा परिवार मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करता है. पुरुष बर्तन बनाते हैं और महिलाएं आंगन में बैठकर रंग-रोगन और डिजाइन का काम करती हैं. टावरों में बर्तन सुखाने के लिए भट्टियां और आंगन कैसे होंगे?”
कुम्भरवाड़ा में पारंपरिक व्यवसाय स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से जुड़े हुए हैं, और कई परिवार पूरी तरह से उन पर निर्भर हैं. “हम फिनिश-टू-एंड उत्पाद बनाते हैं. हम साल भर काम करते हैं और मौसम के अनुसार मिट्टी के बर्तन बनाते हैं, जनवरी में मकर संक्रांति से लेकर अक्टूबर-नवंबर में दिवाली तक. अगर हम उत्पादन बंद कर देंगे तो हम कमाई नहीं कर पाएंगे.”
कुम्हार धारावी के मूल निवासियों में से हैं. जो 1933 में बीएमसी द्वारा शहर के किनारे पर एक अनौपचारिक झुग्गी बस्ती स्थापित करने के लिए प्रवासी समुदायों को खाली भूमि किरायेदारी अधिकार जारी करने के बाद यहां आए थे. 12.5 एकड़ भूमि में फैले कुंभरवाड़ा में 1,200 पात्र इमारतें और 7,500 निवासी हैं. चित्रोदा का कहना है कि इनमें से केवल 4,000 निवासियों के पास अपने निवास को साबित करने वाले दस्तावेज़ हैं, बाकी किरायेदार हैं.
कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात से कई सूखा प्रभावित समुदायों के शहर में आ जाने के बाद, 1930 के दशक की शुरुआत में धारावी की झुग्गी बस्तियों का विस्तार ऊंचाई व चौड़ाई, दोनों तरह से हुआ है. 2009 में किए गए अंतिम आधिकारिक सर्वेक्षण के अनुसार, झुग्गी में 58,243 पात्र इमारतें सूचीबद्ध थीं: 46,755 आवासीय और 11,158 कारोबारी या औद्योगिक. बीच की इस अवधि में मकानों और निवासियों की संख्या तेजी से बढ़ी, हजारों झुग्गी-झोपड़ियां दूसरी और तीसरी मंजिल तक ऊंचाई में बढ़ गईं.
वाणिज्यिक व्यवसाय
नई योजना में पापड़ बनाने, मोतियों और सेक्विन डिजाइन करने, प्लास्टिक की रीसाइक्लिंग, कागज और चमड़े के टेनरियों जैसे छोटे और मध्यम स्तर के व्यवसायों के लिए एक समर्पित वाणिज्यिक स्थान के विकास की परिकल्पना भी की गई है.
डीआरपीपीएल का इरादा इन व्यवसायों को औपचारिक रूप देने और उन्हें आधुनिक सुविधाओं और बेहतर बुनियादी सुविधाओं के साथ एक वाणिज्यिक क्षेत्र में स्थानांतरित करने का है. डीआरपीपीएल के एक अधिकारी ने कहा, “हम मौजूदा आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखना चाहते हैं, जो कई विक्रेताओं को प्रमुख भारतीय बाजारों से जोड़ती है. हम धारावी को इस तरह विकसित करना चाहते हैं कि लोग व्यापार करने के लिए धारावी आना चाहें.”
सभी योग्य वाणिज्यिक इकाइयों को उनके वर्तमान आकार की परवाह किए बिना 225 वर्ग फुट की संरचना मिलेगी. 500 वर्ग फुट से बड़े गोदामों और संरचनाओं के मालिक सरकार द्वारा निर्धारित दरों के अनुसार अतिरिक्त इकाइयों का लाभ उठा सकते हैं. ऐसे व्यवसाय जो योग्य नहीं पाए जाएंगे, उनको बाहर किया जाएगा.
पात्रता मानदंड और मुआवजे के मापदंडों ने व्यापार और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को नाराज कर दिया है, उन्हें डर है कि ये पुनर्विकास, इन तंग ढांचों में रहने और काम करने वाले लाखों श्रमिकों की आय का समर्थन करती धारावी की वित्तीय और श्रम अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित करेगा.
धारावी बिजनेस वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष अंसार अहमद शेख ने कहा, “धारावी के निवासियों का ज़मीन पर पहला अधिकार है. हम ही हैं जिन्होंने मीठी क्रीक को फिर से भरकर और इसे रहने योग्य बनाकर धारावी का निर्माण किया. दशकों से हम मच्छरों और गटरों से घिरी गंदगी और कीचड़ में रह रहे हैं.”
डीबीडब्ल्यूए में 13 परिसरों में फैली 3,000 से अधिक संरचनाओं में 35 लघु और मध्यम स्तर के उद्योगों के 1,000 सदस्य हैं. ये उद्योग मुंबई की अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं. एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा, “हम देश के राजस्व में योगदान करते हैं. धारावी जो कुछ भी है वह हमारी वजह से है. अगर हमारे गोदाम और उद्योग बाहर चले गए तो यह हमारे और अर्थव्यवस्था के लिए नुकसान है. हम ऐसे किसी भी सौदे को स्वीकार नहीं करेंगे जो हमें धारावी छोड़ने के लिए मजबूर करे.”
डीबीडब्ल्यूए जल्द ही पात्र और अपात्र इकाइयों की संख्या, उनके आकार और उनके मालिकों की गणना करने के लिए एक स्वतंत्र सर्वेक्षण करेगा. अंसारी ने कहा, “हम बातचीत के लिए डीआरपीपीएल के साथ डाटा साझा करेंगे. अगर जरूरत पड़ी तो हम इसे अदालत में भी पेश करेंगे.''
एसोसिएशन चाहता है कि डीआरपीपीएल सभी संरचनाओं को पात्र घोषित करे, और इकाइयों को उतनी ही जगह मिले जो उनके पास आज की तारीख में है. “हमारे पास 500 वर्ग फुट से लेकर 1,000 वर्ग फुट तक की दुकानें और गोदाम हैं. प्रत्येक संरचना में दर्जनों श्रमिक रहते हैं जो एक ही स्थान पर नहाते, खाते, सोते और काम करते हैं. जिसका जितना एरिया है, वही मिलना चाहिए. सभी व्यवसाय, सरकारी दरों का भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं.
प्रस्तावित पुनर्विकास का विरोध करने के लिए डीबीडब्ल्यूए और कुम्हार संघ, धारावी बचाओ आंदोलन में शामिल हो गए हैं. शेख ने कहा, “हम पुनर्विकास के खिलाफ नहीं हैं. लेकिन इसे ईमानदारी से किया जाना चाहिए और यहां रहने वाले लोगों को पारदर्शी मुआवजा दिया जाना चाहिए. अन्यथा, बड़े पैमाने पर विरोध होगा.”
‘अडाणी हटाओ, धारावी बचाओ’
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी "धारावी बचाओ" आंदोलन को अपना समर्थन दिया है. गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा का दूसरा चरण, जो मणिपुर से शुरू हुआ, मुंबई के धारावी में समाप्त हुआ.
17 मार्च को शिवाजी पार्क में सार्वजनिक रैली में तालियों की गड़गड़ाहट के बीच गांधी ने घोषणा की, “धारावी प्रतिभा और कौशल की राजधानी है. धारावी चीन के शेन्ज़ेन शहर को टक्कर दे सकती है...मेड इन धारावी, मेड इन चाइना को टक्कर दे सकती है. लेकिन वे इन लोगों को हटाना चाहते हैं. हम धारावी को नष्ट नहीं होने देंगे.” सत्तारूढ़ भाजपा-सेना शिंदे गुट को छोड़कर सभी राजनीतिक दल और स्थानीय समुदाय जिनकी पात्रता दांव पर है, अडाणी हटाओ, धारावी बचाओ आंदोलन में शामिल हो गए हैं.
अडाणी विरोधी अभियान का नेतृत्व कर रहे पीजेंट एंड वर्कर्स पार्टी के नेता एडवोकेट राजू कोर्डे चाहते हैं कि राज्य सरकार सभी के लिए मुफ्त पुनर्वास की घोषणा करे. उन्होंने कहा, “कट-ऑफ तिथि हटा दी जानी चाहिए, और इस समय वहां रहने वाले सभी लोगों का पुनर्वास किया जाना चाहिए. यही एकमात्र तरीका है जिससे ये योजना काम करेगी.”
कोर्डे का मानना है कि पुनर्विकास, महाराष्ट्र आवास विकास प्राधिकरण जैसी राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा किया जाना चाहिए. “धारावी के पुनर्विकास को एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक परियोजना घोषित किया गया है. यदि क्षेत्र का विकास महत्वपूर्ण है, तो सरकार को मुनाफा न तलाशते हुए अपने दम पर विकास करना चाहिए. विकास लोगों पर केंद्रित होना चाहिए, न कि उन्हें बाहर धकेलकर.”
विपक्ष ने भाजपा-शिवसेना शिंदे सरकार को मुश्किल में डाल दिया है. कई कार्यकर्ता और स्थानीय राजनेता जिन्होंने पहले पुनर्विकास का विरोध किया था, वे भाजपा या शिंदे की सेना में शामिल होने के बाद समर्थक बन गए हैं.
यह परियोजना भाजपा सरकार के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन और आगामी चुनावों के दौरान झटका दे सकती है. यदि पुनर्विकास समय पर शुरू होता है, तो सरकार इसे एक उपलब्धि के रूप में प्रदर्शित कर सकती है और मुंबई को अब तक का सबसे बड़ा बदलाव दे सकती है. धारावी पर राजनीतिक रूप से दो शिवसेना - शिंदे और उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुटों का प्रभुत्व है.
पूर्व कांग्रेस पार्षद टीके भास्कर शेट्टी, जो शिवसेना में चले गए, ने कहा कि वह अडाणी की परियोजना का विरोध करने के लिए वे अपनी पार्टी के रुख का समर्थन नहीं करते हैं. “किसी न किसी बिंदु पर हमें पुनर्विकास के लिए सहमति देनी होगी. हम इतने वर्षों तक गरीबी में रहे हैं. किसी भी इंसान को उन गंदी परिस्थितियों में नहीं रहना चाहिए, जिनमें धारावी के लोग रहते हैं.”
धारावी में ही पले-बढ़े शेट्टी का मानना है कि यहां के बाशिंदों को बड़े फ्लैटों और यथास्थान पुनर्वास की मांग के कारण पुनर्विकास को रोकना बंद कर देना चाहिए. “यह एक अच्छा सौदा है अगर डेवलपर्स योजना को वास्तविकता में ला सकें. मुंबई में अपात्र लोगों को भी मुफ्त में फ्लैट मिल रहा है. उनके पास जो झुग्गी बस्ती है, उसकी कीमत 25 लाख रुपये है और वे 1.25 करोड़ रुपये के घर में रहेंगे. हमें उम्मीद है कि लोग इस योजना को स्वीकार करेंगे और इसका समर्थन करेंगे. कोई विरोध नहीं होना चाहिए.”
23 वर्षीय राजनीतिज्ञ साम्या कोर्डे, जो धारावी में ही पली-बढ़ी हैं, चाहती हैं कि कागज पर तैयार की जा चुकी योजनाएं साकार हों. वह दासू और शेख को उनके मूल कागजात ढूंढने में मदद कर रही हैं ताकि उनके मकानों को वैध बनाया जा सके. “मैं बचपन से पुनर्विकास योजना के बारे में सुनकर बड़ी हुई हूं. हर लोकसभा चुनाव से पहले राजनेता धारावी का दौरा करते हैं और इसके उत्थान का वादा करते हैं. हम ढांचागत विकास चाहते हैं, लेकिन यह पक्षपात और हमारे लोगों की कीमत पर नहीं होना चाहिए.”
उन्होंने कहा, “धारावी का विकास उचित तरीकों से होना चाहिए. लोगों ने विकास के लिए दशकों तक इंतजार किया है और वे सम्मानजनक जीवन जीने के हकदार हैं. यदि योजना आगे नहीं बढ़ती है, तो माफिया द्वारा अवैध झोपड़ियां बनाई जाती रहेंगी और धारावी में अवैध झोपड़ियां बढ़ती रहेंगी.”
कोर्डे ने बताया कि मीठी क्रीक के तट पर रातों-रात सात नए ढांचे खड़े हो गए, जो तीन तरफ टिन शेड और एक लकड़ी के दरवाजे से बने थे. निवासियों ने बताया कि प्रत्येक झोपड़ी लगभग 7 लाख रुपये में बेची जा रही थी. झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले एक व्यक्ति ने कहा, "अगर आप पैसे सही हाथों में दें, तो आपके पास कानूनी दस्तावेज होंगे और पात्र सूची में आपका नाम होगा व आपको फ्लैट मिल सकता है."
अंग्रेजी में प्रकाशित मूल ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
अनुवाद- शार्दूल कात्यायन
आम चुनावों का ऐलान हो चुका है. एक बार फिर न्यूज़लॉन्ड्री और द न्यूज़ मिनट के पास उन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सेना प्रोजेक्ट्स हैं, जो वास्तव में आपके लिए मायने रखते हैं. यहां क्लिक करके हमारे किसी एक सेना प्रोजेक्ट को चुनें, जिसे समर्थन देना चाहते हैं.
Also Read
-
TV Newsance 252: Modi’s emotional interview with Times Now’s Sushant and Navika
-
Hafta 484: Modi’s Adani-Ambani dig, UP and Maharashtra polls, BSP scion’s sacking
-
Sandeshkhali simmers amid a ‘fabricated rape complaint’, and TMC vs NCW
-
Reporters Without Orders Ep 321: Bihar polls, voters’ dilemma in Maharashtra
-
संभल: पुलिस की ज्यादती का शिकार हुए लोगों ने कहा- मुस्लिमों को डराना था मकसद