Political-funding
चुनावी सालों में रिलायंस से जुड़ी कंपनियों ने खरीदे इलेक्टोरल बॉन्ड
मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज से जुड़ी कंपनियों ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे. इसके अलावा 2022 के गुजरात एवं हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले विशेष अवधि के दौरान भी बॉन्ड खरीदे गए.
गौरतलब है कि 2022 में विशेष अवधि के दौरान हुई इस बिक्री के लिए मोदी सरकार एक विधायी संशोधन लाई थी.
चुनाव आयोग द्वारा 14 मार्च को जारी बॉन्ड की जानकारी से पता चलता है कि इस अवधि के दौरान जुटाए गए बॉन्ड्स का एक बड़ा हिस्सा भारतीय जनता पार्टी को मिला.
बॉन्ड का यह डाटा भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2017 में मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई चुनावी बॉन्ड योजना को अवैध और असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद सार्वजनिक किया गया.
भारत की अधिकांश बड़ी कंपनियां चुनावी बॉन्ड के खरीदारों की सूची से गायब हैं. प्रारंभिक जांच में अडाणी और टाटा समूह की कंपनियों द्वारा बॉन्ड की किसी भी खरीद का पता नहीं चला है.
भारत की सबसे मूल्यवान कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कोई चुनावी बॉन्ड नहीं खरीदा. हालांकि, साझा निदेशकों, पतों और सहयोगियों के माध्यम से रिलायंस समूह से जुड़ी कंपनियां सूची में दिखाई पड़ती हैं.
जैसा कि 20 से अधिक पत्रकारों और तीन स्वतंत्र समाचार संगठनों- न्यूज़लॉन्ड्री, स्क्रॉल और द न्यूज़ मिनट के आपसी सहयोग के प्रोजेक्ट द्वारा पहले रिपोर्ट किया गया कि 410 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदने वाली क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों से एक है.
कंपनी के तीन निदेशकों में से एक तापस मित्रा, रिलायंस ऑयल एंड पेट्रोलियम, रिलायंस इरोज़ प्रोडक्शंस, रिलायंस फोटो फिल्म्स, रिलायंस फायर ब्रिगेड और रिलायंस पॉलिएस्टर के निदेशक भी हैं. उनके लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार, वह मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड में अकाउंट्स (एकत्रीकरण) विभाग के प्रमुख हैं.
बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों का एक अन्य समूह मुकेश अंबानी के पुराने व्यापारिक सहयोगी सुरेंद्र लूनिया से जुड़ा है. लूनिया ने ही रिलायंस से जुड़ी कंपनियों की एनडीटीवी में 29.18 प्रतिशत की हिस्सेदारी अडाणी समूह को बेच दी थी. इन कंपनियों में नेक्सजी डिवाइसेज़ प्राइवेट लिमिटेड और इन्फोटेल बिजनेस सॉल्यूशंस लिमिटेड शामिल हैं. लूनिया इन दोनों फर्मों के बोर्ड के सदस्य हैं.
चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली दो अन्य कंपनियां- इन्फोटेल एक्सेस इंटरप्राइजेज़ प्राइवेट लिमिटेड और इन्फोटेल टेक्नोलॉजीज़ प्राइवेट लिमिटेड- अपने निदेशक कमल कुमार शर्मा के माध्यम से लूनिया से जुड़ी हुई हैं. जो लूनिया के इन्फोटेल समूह में कार्यकारी निदेशक और मुख्य वित्तीय अधिकारी हैं.
इन कंपनियों ने 9 मई 2019 को संयुक्त रूप से कम से कम 50 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे. ये वही वक्त था जब नरेंद्र मोदी और भाजपा को सत्ता में वापस लाने वाले लोकसभा चुनाव चल रहे थे.
बिक्री की एक ख़ास अवधि
शुरुआत में, चुनावी बॉन्ड योजना लोकसभा चुनाव के साल को छोड़कर साल भर में बिक्री के लिए केवल चार अवसरों की अनुमति देती थी.
7 नवंबर 2022 को, हिमाचल राज्य के चुनाव से कुछ दिन पहले और गुजरात में विधानसभा चुनाव से एक महीने पहले, मोदी सरकार 15 अतिरिक्त दिनों हेतू बॉन्ड बिक्री की अनुमति देने के लिए एक संशोधन लेकर आई.
सूचना के अधिकार अधिनियम के माध्यम से सेवानिवृत्त नौसेना कमांडर लोकेश बत्रा द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार, संशोधन के ठीक दो दिन बाद 9 नवंबर 2022 को एक सप्ताह के लिए बिक्री खोली गई. इस दौरान 676 करोड़ रुपये के बॉन्ड बेचे गए.
चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि भाजपा को इसमें से 590 करोड़ रुपये मिले यानी सरकार के संशोधन के कुछ दिनों बाद इकठ्ठा किए गए हिस्से का 87 प्रतिशत.
इस चरण में रिलायंस से जुड़ी कंपनियां सबसे बड़ी दानकर्ता थीं. तीन कंपनियों- क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड, नेक्सजी डिवाइसेज़ प्राइवेट लिमिटेड और मैनकाइंड फार्मा लिमिटेड ने इस चरण में 164 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे. यह इस चरण में बेचे गए सभी बॉन्ड्स का लगभग 24 प्रतिशत है.
गौरतलब है कि लूनिया, 2015 से मैनकाइंड फार्मा के नौ निदेशकों में से एक हैं.
लूनिया से जुड़ी एक अन्य कंपनी एमएन मीडिया वेंचर्स ने इस बिक्री अवधि में 5 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे. संदीप जयरथ इस कम्पनी और नेक्सजी डिवाइसेज़ प्राइवेट लिमिटेड में एक साझा निदेशक हैं. लिंक्डइन के अनुसार, एमएन मीडिया वेंचर्स के दूसरे निदेशक कुलविंदर पाल सिंह, सुरेंद्र लूनिया के इन्फोटेल समूह में वित्त और लेखा के वरिष्ठ प्रबंधक हैं. फर्म का पंजीकृत पता इन्फोटेल एक्सेस एंटरप्राइजेज वाला ही है, जो एक और दान देने वाली फर्म है जहां लूनिया के व्यापारिक सहयोगी अंकित लूनिया निदेशक हैं.
चुनावी बॉन्ड के इस चरण के दौरान, रिलायंस समूह के बाद वेदांता समूह (111.75 करोड़ रुपये या सभी बॉन्ड का 16.5 प्रतिशत), यूनाइटेड फॉस्फोरस (50 करोड़ रुपये), श्री सिद्धार्थ इंफ्राटेक एंड सर्विसेज (30 करोड़ रुपये), डीएलएफ (25 करोड़ रुपये) थे. करोड़), सिप्ला (24.2 करोड़ रुपये) और मारुति सुजुकी (20 करोड़ रुपये) का बॉन्ड खरीद में नंबर आता है.
दिसंबर 2022 में गुजरात चुनाव से पहले एक और बार बिक्री हुई. बत्रा द्वारा आरटीआई के माध्यम से प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है कि इस चरण में 232 करोड़ रुपये के बॉन्ड बेचे गए. दिसंबर में बेचे गए इन बॉन्ड्स का सबसे बड़ा हिस्सा फिर से भाजपा को मिला. जो कि 165 करोड़ रुपये या कुल राशि का 71 प्रतिशत है.
इस चरण में, आदित्य बिड़ला समूह से जुड़ी कंपनियों ने 100 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे. जो इस चरण में बेचे गए कुल बॉन्ड्स का 43 प्रतिशत है. इसके बाद मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (56 करोड़ रुपये), रैमको सीमेंट्स (15 करोड़ रुपये) और फ्यूचर गेमिंग (10 करोड़ रुपये) आते हैं.
क्विक सप्लाई
क्विक सप्लाई द्वारा खरीदे गए 410 करोड़ रुपये मूल्य के बॉन्ड्स में से सबसे बड़ी खेप, जनवरी 2022 में खरीदी गई थी.
कम्पनी ने उस साल 5 जनवरी को 225 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे, इसके बाद 10 जनवरी को 10 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे.
14 जनवरी को, रॉयटर्स ने बताया कि रिलायंस समूह ने स्थानीय बैटरी सेल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए, मोदी सरकार के 2.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर के कार्यक्रम के तहत प्रोत्साहन प्राप्त करने के लिए अपनी बोली दाखिल की है. मार्च 2022 में समूह सॉफ्टबैंक ग्रुप समर्थित ओला इलेक्ट्रिक के साथ टेंडर पाने में कामयाब हुई.
रिलायंस से जुड़ी एक और फर्म हनीवेल प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड है. जिसने 8 अप्रैल 2021 को 30 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे. इसके दो निदेशकों में से एक, सत्यनारायणमूर्ति वीरा वेंकट कोरलेप, 2005 से रिलायंस समूह की कई फर्मों के बोर्ड के सदस्य हैं. यह फर्म भी अपना पंजीकृत पता समूह की कई अन्य फर्मों के साथ साझा रखती है.
(आनंद मंगले के सहयोग से)
न्यूज़लॉन्ड्री ने पहले ही केंद्रीय एजेंसी की कार्रवाई और पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान 30 कंपनियों द्वारा भाजपा को 335 करोड़ रुपये के दान के बीच एक स्पष्ट पैटर्न पर रिपोर्ट की थी.
इसके बाद हमें 11 कंपनियां और मिलीं, जिन्होंने 2016-17 से 2022-23 तक भाजपा को 62.27 करोड़ रुपये का चंदा दिया और इसी अवधि के दौरान उन्हें केंद्रीय एजेंसी की कार्रवाई का सामना करना पड़ा.
चंदे की कहानी पढ़ने के लिए इस लिंक पर जाएं.
हमारी उपरोक्त रिपोर्ट एक साझा प्रयास का हिस्सा है. जिसमें तीन समाचार संगठन - न्यूज़लॉन्ड्री, स्क्रॉल, द न्यूज़ मिनट - और कुछ स्वतंत्र पत्रकार शामिल हैं.
आम चुनाव करीब आ चुके हैं, और न्यूज़लॉन्ड्री और द न्यूज़ मिनट के पास उन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सेना प्रोजेक्ट्स हैं, जो वास्तव में आपके लिए मायने रखते हैं. यहां क्लिक करके हमारे किसी एक सेना प्रोजेक्ट को चुनें, जिसे समर्थन देना चाहते हैं.
Also Read
-
South Central Ep 2: Nayanthara vs Dhanush, Sandeep Varier, and Kasthuri’s arrest
-
Newsance 275: Maha-mess in Maharashtra, breathing in Delhi is injurious to health
-
Haaretz points to ‘bid to silence’ as Netanyahu govt votes to sanction Israel’s oldest paper
-
प्रोफेसर लक्ष्मण यादव: 14 साल पढ़ाया, 14 मिनट के एक इंटरव्यू में बाहर कर दिया
-
Reporters Without Orders Ep 347: Jhansi fire tragedy, migration in Bundelkhand