Video
किसान संगठनों का संकल्प: ‘भाजपा की पोल खोलो, विरोध करो और सज़ा दो’
14 मार्च को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने दिल्ली के रामलीला मैदान में किसान-मज़दूर महापंचायत की. इस महापंचायत में देश के अलग-अलग हिस्सों से हज़ारों की संख्या में किसान पहुंचे. इस महापंचायत में प्रमुख रूप से पांच मांगें सरकार से की गईं.
सभी फसलों के लिए गारंटीशुदा खरीद के साथ एमएसपी मिले.
सर्वसमावेशी कर्ज माफ़ी योजना लागू हो.
बिजली का निजीकरण बंद हो और प्रीपेड स्मार्ट मीटर हटाए जाएं.
लखीमपुर खीरी किसान नरसंहार के मुख्य साजिशकर्ता और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को बर्खास्त किया जाए.
हालांकि, एसकेएम की ये मांगे पुरानी हैं. साल 2020 में जब तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में 13 महीने तक किसान आंदोलन हुआ था तब भी इनमें से कई मांगें उसमें शामिल थीं. यहां मौजूद किसानों का कहना था कि ये हमारी मांगें नहीं हैं बल्कि सरकार के वो वादें हैं जो अभी तक अधूरे हैं.
इस महापंचायत में राकेश टिकैत, जोगिंदर सिंह उगराहां, मेधा पाटेकर, गुरनाम चढूनी समेत कई और किसान नेता पहुंचे. यहां कई संकल्प भी लिए गए. जिसमें चुनावों के मद्देनजर मुख्य संकल्प भाजपा के विरोध में देशव्यापी जन प्रतिरोध खड़ा करने का रहा. इसके लिए किसान अभी अपने-अपने गांवों में भाजपा नेताओं के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे.
बता दें कि पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू बॉर्डर पर अभी भी किसानों का धरना जारी है. हालांकि, यहां के धरने का नेतृत्व करने वाले संगठन आज की महापंचायत में शामिल नहीं थे.
महापंचायत में खनौरी बॉर्डर पर मारे गए किसान शुभकरण के मामले में केंद्रीय मंत्री अमित शाह से इस्तीफे की भी मांग की गई.
आगामी 23 मार्च यानी शहीद भगत सिंह के फांसी वाले दिन पर देश के सभी गांवों में ‘लोकतंत्र बचाओ ‘ दिवस मनाने की भी घोषणा की गई.
देखिए ये रिपोर्ट.
आम चुनाव करीब आ चुके हैं, और न्यूज़लॉन्ड्री और द न्यूज़ मिनट के पास उन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सेना प्रोजेक्ट्स हैं, जो वास्तव में आपके लिए मायने रखते हैं. यहां क्लिक करके हमारे किसी एक सेना प्रोजेक्ट को चुनें, जिसे समर्थन देना चाहते हैं.
Also Read
-
From Hauz Khas to SDA: Delhi’s posh colonies have stolen your footpaths
-
TV Newsance 312: Kalli vs NDTV and Navika loves Ranveer
-
As Trump tariffs hit India, Baba Ramdev is here to save the day
-
The Rs 444 question: Why India banned online money games
-
Peter Navarro’s Brahmin remark sets off a meltdown