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48 घंटे बाद भी क्यों नहीं हो पाया किसान शुभकरण का पोस्टमॉर्टम?
21 फरवरी को पंजाब-हरियाणा के खनौरी बॉर्डर पर किसानों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हुई. इस दौरान भटिंडा के बलोह गांव के रहने वाले युवा किसान शुभकरण घायल हो गए. उन्हें पटियाला के राजिंदरा अस्पताल ले जाया गया. हालांकि, उन्होंने रास्ते में ही दम तोड़ दिया.
शुभकरण सिंह की कमाई से ही उसके परिवार का गुजारा चलता था. सिंह की बुआ हरप्रीत कौर ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि शुभकरण के पिता मानसिक रूप से अस्थिर हैं. उनकी मां का निधन हो चुका है. परिवार में दादी और दो बहनें हैं. बड़ी बहन की शादी हो चुकी है. शुभकरण सिंह 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद खेती करने लगा. उसके पास करीब दो-ढाई एकड़ जमीन है.
22 फरवरी को सुबह न्यूज़लॉन्ड्री की टीम राजिंदरा अस्पताल पहुंची. उस वक़्त शवदाह गृह के पास उनके गांव और किसान संगठन के लोग मौजूद थे. उन्होंने बताया कि मुआवजे की घोषणा होने तक पोस्टमॉर्टम नहीं होने दिया जाएगा.
इसी अस्पताल में किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल भी भर्ती थे. कुछ देर बाद सरवन सिंह पंढेर भी आ गए. इसके बाद पंजाब पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारी पहुंचे. जिस कमरे में डल्लेवाल भर्ती थे, वहां बैठकों का दौर शुरू हुआ. किसान संगठनों की मांग थी कि शुभकरण को शहीद का दर्ज, परिजनों को एक करोड़ का मुआवजा और परिवारजनों में किसी एक को सरकारी नौकरी मिले. साथ ही डॉक्टर्स की कमेटी के सामने उसका पोस्टमॉर्टम हो.
हालांकि, पूरे दिन चली बैठक के बाद भी इस पर सहमति नहीं बन पाई. उसके बाद शुक्रवार सुबह पंजाब के मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, ‘‘खनौरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए शुभकरण सिंह के परिवार को पंजाब सरकार की ओर से 1 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता और उनकी छोटी बहन को सरकारी नौकरी दी जाएगी. दोषियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी. फर्ज निभा रहे हैं.’’
मान ने दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया लेकिन किसान संगठनों की मांग है कि हरियाणा पुलिस पर एफआईआर दर्ज हो. इसी के चलते 23 फरवरी को शाम पांच बजे तक पोस्टमॉर्टम पर सहमति नहीं बन पाई है.
देखिए हमारी ये वीडियो रिपोर्ट.
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