Report
कुकी समूहों ने की पुडुचेरी की तरह केंद्र शासित प्रदेश की मांग, 'अमित शाह को भेजी गई' फाइल
न्यूज़लॉन्ड्री को मिली जानकारी के मुताबिक, 2008 में मणिपुर और केंद्र सरकार के साथ संघर्ष विराम समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले समूहों का मानना है कि उनके समुदाय के लिए एक अलग प्रशासन ही मणिपुर में मैती और कुकी के बीच अशांति को हल करने का अकेला तरीका है.
मई में हिंसा शुरू होने के बाद से मणिपुर में अब तक करीब 170 लोगों ने अपनी जान गंवाई है, जबकि इससे हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा.
मणिपुर के आदिवासी समुदायों ने 5 ज़िलों के लिए अलग प्रशासनिक व्यवस्था की मांग की है. ये 5 ज़िले चूड़ाचांदपुर, कांगपोकपी, चंदेल, तेंगनौपाल और फेरज़ोल हैं.
केंद्र सरकार और मणिपुर में संघर्ष कर रहे समुदायों के बीच अब तक चार दौर की बातचीत हुई है. यह बैठकें 16 जुलाई, 17 अगस्त, 31 अगस्त और 1 सितम्बर को दिल्ली में हुई थीं.
बैठक में गृह मंत्रालय के पूर्वोत्तर के सलाहकार एके मिश्रा और कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट के बीच बातचीत हुई.
सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन्स अग्रीमेंट 2008 के मुताबिक, केएनओ और यूपीएफ दो संगठित उग्रवादी समूह हैं, जिनमें कुल 19 संगठन शामिल हैं. इसमें केएनओ में 11 तो यूपीएफ में 8 संगठन हैं.
इस बैठक में शामिल रहे सूत्रों ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि 1 सितंबर को हुई आखिरी बैठक के दौरान दोनों समूहों ने एके मिश्रा के सामने ‘चार्टर ऑफ डिमांड’ पेश किया था.
हालांकि, अगली बैठक को लेकर अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं है. जानकारी के मुताबिक, G20 शिखर सम्मेलन और संसद के विशेष सत्र की वजह से मणिपुर की संगठनों के साथ बैठक आयोजित करने में देरी हो रही है.
सूत्र के मुताबिक, "बैठक के दौरान हुई बातचीत और मांग की फाइल को एके मिश्रा ने गृहमंत्री अमित शाह को भेज दिया है."
एक दूसरे सूत्र ने बताया, "समुदायों ने मांग की है कि मणिपुर के कुछ इलाकों को केंद्र सरकार प्रशासनिक व्यवस्था के जरिए संचालित करे. इस व्यवस्था में संविधान के अनुच्छेद ‘239ए’ के तहत, मंत्रिपरिषद के प्रावधान के साथ एक उपराज्यपाल हो सकता है."
संविधान में अनुच्छेद ‘239ए’ को 14वें संविधान संशोधन के बाद पुडुचेरी के गठन के समय जोड़ा गया था. दिल्ली के अलावा पुडुचेरी एकमात्र ऐसा केंद्र शासित प्रदेश है, जहां विधानसभा और निर्वाचित सरकार है.
कुकी समुदाय की ओर से पुडुचेरी मॉडल के मांग की एक वजह यह है कि जिन 5 ज़िलों के लिए अलग प्रशासनिक व्यवस्था की मांग की जा रही है वो आस-पास एक दूसरे से सटे ज़िले नहीं हैं.
तेंगनौपाल और चंदेल ज़िले राज्य के पूर्व और दक्षिण-पूर्व में है, जबकि कांगपोकपी ज़िला राज्य के बीच में स्थित है. न्यूज़लॉन्ड्री के साथ इंटरव्यू में कुकी समुदाय के एक विधायक पाओलिएनलाल हाओकिप ने इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की थी.
इसी तरह पुडुचेरी में भी जिन चार ज़िलों को लेकर समझौते हुए हैं, वे भौगोलिक रूप से आस-पास नहीं हैं. ये सभी ज़िले तमिलनाडु, केरल और आंध्रप्रदेश से जुड़े राज्य के सीमांत इलाकों में हैं. मसलन, राज्य के पूर्व में स्थित पुडुचेरी ज़िला पश्चिम में स्थित माहे ज़िले से 600 किलोमीटर दूर है.
एक सूत्र ने बातचीत के दौरान कहा कि केंद्र सरकार राज्य में राजनीतिक समाधान निकालने में देरी कर रही है.
सूत्र ने कहा, "इस मामले में न्यायालय स्वतः संज्ञान ले सकती है. केंद्र सरकार को भी इस मामले में ज्यादा सक्रियता दिखाने की दरकार है."
उन्होंने आगे कहा, "मणिपुर में हिंसा शुरू हुए क़रीब पांच महीने बीत चुके हैं, लेकिन केंद्र सरकार अब तक कोई पुख़्ता समाधान नहीं निकाल सकी है. अगर केंद्र सरकार समाधान नहीं निकाल पा रही है तो इस मामले में उसके शामिल होने का कोई अर्थ नहीं है."
उन्होंने आगे बताया कि अलग प्रशासनिक व्यवस्था किसी रियायत का मसला नहीं है बल्कि एक जरूरत है.
सूत्र के अनुसार, सबसे जरूरी बात ये है कि कुकी विद्रोही समूहों ने हमेशा से मांगें रखी थीं, लेकिन मई में हिंसा शुरू होने के बाद ये मांगें बदल गईं.
सूत्र ने कहा कि गृह मंत्रालय ने संविधान की छठवीं अनुसूची के तहत राज्य के पहाड़ी इलाकों में एक स्वायत्त क्षेत्रीय परिषद बनाने की मौखिक सहमति दी थी. इसे लेकर 8 मई को अंतिम मंज़ूरी आने वाली थी लेकिन राज्य में 3 मई से हिंसा भड़क गयी जिसकी वजह से यह फ़िलहाल के लिए स्थगित कर दी गई है.
नागा समुदाय की मांगें
हालांकि, कुकी समुदाय की ओर से जिन इलाकों पर दावा किया जा रहा है, उन्हीं इलाकों पर नागा समुदाय भी अपना दावा करती है.
सूत्र के मुताबिक, 10 पहाड़ी ज़िलों में 5 पर कुकी समुदाय और बाक़ी के 5 ज़िलों पर नागा समुदाय का दबदबा है.
उन्होंने कहा, "अगर नागा समुदाय भी केंद्र शासित प्रदेश का हिस्सा बनना चाहती है तो उनका स्वागत है. वे अपने 5 ज़िलों में एक अलग केंद्र शासित प्रशासन की मांग कर सकते हैं."
कुकी समुदाय का जिन 5 ज़िलों पर वर्चस्व है, नागा समुदाय उसमें से भी तीन ज़िलों पर अपना दावा करती है. ये तीन ज़िले कांगपोकपी, चंदेल और तेंगनौपाल हैं.
पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ नागालिम की सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा है कि चूड़ाचांदपुर और फेरज़ोल को छोड़कर कुकी समुदाय कांगपोकपी, चंदेल और तेंगनौपाल को अलग प्रशासनिक व्यवस्था की मांग वाले ज़िलों में शामिल नहीं कर सकते हैं. ये मूल रूप से नागा समुदाय के लोगों का इलाका है.
पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ नागालिम की सरकार राज्य में एक उग्रवादी समूह नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (इसाक-मुइवा) के द्वारा संचालित एक स्वघोषित समानांतर सरकार है. यह संगठन नागालिम नाम से एक अलग संप्रभु राज्य की मांग कर रहा है.
इस संगठन की मांग के मुताबिक, नागालिम में असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और उनके प्रभुत्व वाले म्यांमार के कुछ हिस्से शामिल होंगे.
2015 में केंद्र सरकार और नागालिम संगठन के सदस्यों के बीच एक रूपरेखा पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद से केंद्र सरकार से शांति समझौते पर बातचीत चल रही है.
नागाओं ने मणिपुर सरकार के द्वारा 2016 में राज्य में 7 नए ज़िलों के गठन आलोचना की थी. नए ज़िलों के गठन के बाद राज्य में ज़िलों की कुल संख्या 16 हो गयी है.
यूनाइटेड नागा काउंसिल के महासचिव अयो सत्संग ने कहा, "हम तेंगनौपाल, कांगपोकपी, नोनी आदि जैसे नए जिलों को मान्यता नहीं देते हैं.
यूनाइटेड नागा काउंसिल की साख मणिपुर में सबसे मजबूत नागा संगठन के तौर पर है. इस संगठन ने दावा किया है कि सेनापति और उखरुल जैसे ज़्यादातर नए ज़िले नागा बहुल ज़िलों से अलग किए गए हैं.
पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ नागालिम की सरकार के प्रवक्ता ने इस सवाल का स्पष्ट जवाब नहीं दिया कि कुकी समुदाय के ‘चार्टर ऑफ डिमांड’ पर उनसे राय मशवरा किया गया था या नहीं.
उन्होंने कहा, "हमने अपना रुख बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है कि हम अलग प्रशासन की कुकी की मांग के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन नागा इलाकों के एक भी इंच के साथ छेड़खानी नहीं होनी चाहिए."
न्यूज़लॉन्ड्री ने गृह मंत्रालय के पूर्वोत्तर के सलाहकार एके मिश्रा को फ़ोन कॉल और मेसेज किया है. यदि वह हमारे सवालों का जवाब देते हैं तो इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
अनुवादक: चंदन कुमार
Also Read
-
‘Godi in Delhi, Didi media in WB’: Bengal journo Suman Chattopadhyay on Mamata, Modi, media
-
‘Defaming me’: Shiv Sena UBT’s Amol Kirtikar on ED notice, Hindutva, Sena vs Sena
-
Modi’s ‘Hindu-Muslim’ assertion amplified unchecked. Thanks to a media in coma
-
Unemployment a big issue, but will it dent Modi govt? Election charcha at Lucknow University
-
Prices, bills, and booze ban: What matters to Haryana’s women workers