NL Tippani
मणिपुर की शर्मिंदगी, एएनआई का सांप्रदायिक चेहरा और दैनिक जागरण
अपशकुन के लक्षणों और अनहोनी की आशंका के बीच बड़े दिन बाद धृतराष्ट्र का दरबार लगा. हालात को देखकर धृतराष्ट्र समझ गए कि फिर से आर्यावर्त की धरती पर कोई बड़ा पाप हुआ है. कथा कामरूप प्रदेश की है जहां तीन महीनों से बलवा मचा है. सैंकड़ों रियाया की मौत हुई है. लाखों की संख्या में लोग शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं. आगजनी अत्याचार रोजमर्रा की बात है. उसी कामरूप प्रदेश की स्त्रियों का फिर से चीरहरण हुआ, सरेआम नंगा करके उनकी नुमाइश की गई.
नेता वही है जो संकट के समय नेतृत्व करे. चुनौती दरपेश हो तो सबसे आगे खड़ा रहे. लेकिन डंकापति लापता हैं. देश के एक हिस्से में तीन महीने से आग लगी हुई है. इसी के इर्द गिर्द धृतराष्ट्र का दरबार सजा.
दूसरी तरफ हुड़कचुल्लू मीडिया रेत और पिसान को आपस में सानने में लगा रहा. दो बिल्कुल बेमेल घटनाओं का घालमेल करता रहा. जान बूझकर जिस मामले में महीनों तक चुप्पी रही, उस पर परदा डालने की कोशिश करता रहा.
पत्रकारिता में रिजाइंडर या जवाबी लेख छापने का बहुत पुराना चलन है. अगर किसी ने अपने लेख में किसी व्यक्ति, वस्तु, संस्था अथवा तथ्य के बारे में कोई दावा किया है, तो प्रभावित पक्ष उसी मंच पर जवाबी लेख के साथ अपना पक्ष रख सकता है. लेकिन हमारे देश में एक मीडिया संस्थान है दैनिक जागरण. इसके पास अपने ही एक संपादक द्वारा लिखे गए एक लेख का रिजाइंडर प्रकाशित करने का साहस नहीं है. देखिए पूरी टिप्पणी.
Also Read
-
TV Newsance 321: Delhi blast and how media lost the plot
-
Hafta 563: Decoding Bihar’s mandate
-
Bihar’s verdict: Why people chose familiar failures over unknown risks
-
On Bihar results day, the constant is Nitish: Why the maximiser shapes every verdict
-
Missed red flags, approvals: In Maharashtra’s Rs 1,800 crore land scam, a tale of power and impunity