Report
ओडिशा रेल हादसा: अब तक नहीं हुई 81 शवों की पहचान, डीएनए रिपोर्ट का इंतजार
2 जून को ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेन आपस में टकरा गईं. इस हादसे में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 291 लोगों की मौत हुई. हादसे के बाद ही कुछ लोग अपनों का शव पहचान कर ले गए.
वहीं जब शव खराब होने लगे तो 3 जून की रात 190 शव भुवनेश्वर के अलग-अलग अस्पतालों की मोर्चरी में रखवाए गए. बाद के दिनों में भी यहां कुछ और शव आए. हादसे को तीन हफ्तों से ज्यादा का वक्त बीत चुका है. जानकारी के मुताबिक, 25 जून तक एम्स की मोर्चरी में रखे 81 शव ऐसे हैं, जिनकी अभी तक पहचान स्थापित नहीं हो पाई है.
गौरतलब है कि हादसे में कई शव बुरी तरह क्षत-विक्षत हो गए थे. इन्हें पहचानना मुश्किल था. कई बार हालात यह हुए कि एक शव पर दो-दो लोगों ने दावा कर दिया. इससे निपटने के लिए प्रशासन ने फैसला किया कि जो भी शव को लेकर दावा करेगा, उनका डीएनए सैंपल लेकर टेस्ट कराया जाएगा. शव और दावेदार के डीएनए टेस्ट मिलान के बाद ही उसे सौंपा जाएगा.
इसके बाद अपनों को तलाश रहे 84 लोगों ने डीएनए सैंपल दिया. सैंपल लेने की प्रक्रिया 6 जून से शुरू हुई, जो 8-9 जून तक चली. तब एम्स की तरफ से परिजनों को बताया गया कि 5 से 6 दिन में डीएनए की रिपोर्ट आएगी, इसके बाद मृतकों के डीएनए से मिलान कर शव दे दिया जाएगा. हालांकि छह दिन का यह इंतजार 20 दिन से भी लंबा खिंच गया है.
वहीं न्यूज़लॉन्ड्री को मिली जानकारी के मुताबिक अभी तक डीएनए की रिपोर्ट ही नहीं आई है. ऐसे में सैंपल देने वाले इंतजार में बैठे हुए हैं.
गौरतलब है कि 6 जून को करीब 33 लोगों का डीएनए सैंपल लिया गया था. तब एम्स भुवनेश्वर में मौजूद अधिकारियों ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया था, ‘‘आज ही (7 जून को) हवाई जहाज के जरिए एक डॉक्टर सैंपल लेकर एम्स दिल्ली गए हैं. जैसे-जैसे सैंपल आते रहेंगे हम उन्हें भेजते रहेंगे ताकि समय पर रिपोर्ट आए. हमारी कोशिश है कि जल्द से जल्द लोगों को उनके अपनों का शव मिल जाए.’’
हालांकि, ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है. 20 दिन गुजर जाने के बाद भी डीएनए सैंपल की रिपोर्ट ही नहीं आई है. ऐसे में डीएनए सैंपल देने वाले किसी भी शख्स को उनके परिजनों का शव नहीं दिया गया है.
पहले कहा गया कि डीएनए सैंपल एम्स दिल्ली भेजा जा रहा है लेकिन न्यूज़लॉन्ड्री को मिली जानकारी के मुताबिक सैंपल सीबीआई की सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी को भेजा गया है. जो सैंपल एम्स भेजे गए थे उन्हें भी बाद में यहीं भेजा गया.
कब तक करें इंतज़ार?
न्यूज़लॉन्ड्री ने डीएनए सैंपल देने वाले 84 में से 28 लोगों से बात की. इसमें से 14 पश्चिम बंगाल से, 09 बिहार, 04 झारखंड और एक असम के रहने वाले हैं.
जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं इनकी उम्मीद खत्म हो रही कि इन्हें इनके अपनों के शव मिल पाएंगे. पहले ये लोग अपनों की तलाश में अस्पताल दर अस्पताल भटके. फिर प्रशासन ने कहा कि डीएनए सैंपल दो. वो देने के बाद पांच-छह दिनों तक एम्स का चक्कर लगाते रहे. जब कोई बात नहीं बनी तो इनमें से कुछ अपने घर लौट आए. वहीं कई अब भी भुवनेश्वर में ही किराए का कमरा लेकर रिपोर्ट आने का इंतजार कर रहे हैं.
पश्चिम बंगाल के रहने वाले 33 वर्षीय नौरुलहुदा के छोटे भाई 30 वर्षीय शम्सुल काम की तलाश में चेन्नई जा रहे थे. तभी वे इस हादसे के शिकार हो गए. शम्सुल के साथ चार और लोग भी थे. जिनमें नौरुलहुदा के मामा और उनके पड़ोसी शामिल थे. इनमें से तीन लोगों का शव तो मिल गया लेकिन दो का शव अब तक नहीं मिला है. ऐसे में दोनों के परिजनों ने अपना डीएनए सैंपल दिया.
नौरुलहुदा न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, ‘‘भुवनेश्वर के हरेक अस्पताल में गए. कटक के जिन- जिन अस्पतालों में पीड़ितों का इलाज चल रहा था वहां भी गया. कहीं भी में मेरे भाई और मामा की जानकारी नहीं मिली. उधर के अधिकारियों ने कहा कि खून (डीएनए सैंपल) दे दो. हम वो भी दे दिए, लेकिन अब तक कोई जानकारी नहीं मिली. कुछ दिन भुवनेश्वर में रुके और अब गांव लौट आए हैं. अब ऊपर वाले का सहारा है.’’
ऐसे ही देवघर, झारखंड के रहने वाले 41 वर्षीय प्रदीप यादव हैं. वे अपने छोटे भाई दिनेश यादव की तलाश में इधर-उधर ठोकर खा रहे हैं. इन्होंने भी डीएनए सैंपल दिया है, लेकिन अब तक कोई जानकारी नहीं मिली है.
यादव न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, ‘‘मेरा भाई बेंगलुरु से काम कर घर लौट रहा था. वो जनरल बोगी में था. सात बजे तक उससे बात हुई थी. उसके बाद से उसका फोन बंद हो गया. हम चार जून को भुवनेश्वर आए. यहां जहां-जहां लोगों ने बताया वहां-वहां गए, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली.’’
यादव आगे कहते हैं, ‘‘6 जून को इन्होंने (एम्स अधिकारियों ने) डीएनए का सैंपल लिया. दो दिन इंतजार कर हम घर आ गए. वहां कहां रुकते. उन्होंने कहां था पांच से छह दिन में जानकारी मिल जाएगी लेकिन अब तक कोई जानकारी नहीं मिली है. हम एम्स में फोन करते हैं तो कोई भी कुछ नहीं बताता. मैं फिर भुवनेश्वर जाऊंगा.
बाकी जिन 26 लोगों से हमने बात की, उन सबकी कहानी भी एक जैसी ही है. धीरे-धीरे उनकी उम्मीद खत्म होती जा रही है. बेगूसराय के नीतीश कुमार, अपने भाई (ताऊ के बेटे) सुजीत कुमार की तलाश में 5 जून को भुवनेश्वर आए थे. उनके साथ सुजीत का छोटा भाई अजीत भी था. अजीत ने अपना डीएनए का सैंपल दिया. अब ये लोग 25 जून को वापस बिहार आ गए हैं.
नीतीश न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, ‘‘डीएनए सैंपल लेने के बाद हमें कहा गया कि पांच दिन में रिपोर्ट आ जाएगी. हमने सोचा कि पांच दिन रुक जाते हैं. रेलवे की तरफ से रहने और खाने का इंतजाम किया गया था. पांच दिन बाद गए तो कहा गया कि 15 जून को रिपोर्ट आएगी. 15 जून को गए तो कहा गया कि 20 जून तक आएगी. 20 जून को गए तो एम्स की तरफ से कहा गया कि हमारे हाथ में कुछ नहीं है, आप सीबीआई से बात करें. सीबीआई के अधिकारी से बात हुई तो वे भी कोई एक दिन नहीं बता रहे थे. ऐसे में हम थक के बिहार आ गए हैं. अब उन्हें फोन कर जानकारी लेते रहेंगे.’’
लेकिन अब तक डीएनए सैंपल का रिजल्ट आया क्यों नहीं?
ऐसे में सवाल उठता है कि परिजनों का जब डीएनए सैंपल लिया जा रहा था तब कहा गया कि पांच दिन में रिपोर्ट आ जाएगी, प्रशासन ने भी कहा था कि जल्द से जल्द रिपोर्ट आए इसकी कोशिश की जा रही है.
चूंकि अभी तमाम सैंपल सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी के पास हैं. ऐसे में न्यूज़लॉन्ड्री ने इसकी डायरेक्टर इंचार्ज डॉ. आशा श्रीवास्तव से बात की. जब हमने उनसे सैंपल की रिपोर्ट में हुई देरी को लेकर सवाल किया तो वो कहती हैं, ‘‘हम मीडिया से जानकारी साझा नहीं करते.’’
ईस्ट कोस्ट रेलवे के सीपीआरओ विश्वजीत साहू से जब हमने पूछा कि लगभग 25 दिन से लोगों के शव रखे हुए हैं. आखिर उन्हें परिजनों को सौंपने में क्या परेशानी आ रही है? वे कहते हैं, ‘‘हम डीएनए की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. रिपोर्ट आने के बाद शव परिजनों को दे देंगे. देरी डीएनए के रिजल्ट की ही है.’’
आखिर डीएनए में इतनी देरी क्यों हो रही है? और वो कब तक आने की संभावना है? इसके जवाब में साहू कहते हैं, ‘‘इसका सही जवाब सीबीआई और एम्स के अधिकारी दे सकते हैं. आप उनसे ही बात कीजिए.’’
न्यूज़लॉन्ड्री ने एम्स भुवनेश्वर के डायरेक्टर आशुतोष विश्वास से बात करने की कोशिश की लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई. हमने उन्हें कुछ सवाल भेजे हैं. अगर उनका जवाब आता है तो उसे खबर में जोड़ दिया जाएगा.
Also Read
-
WhatsApp university blames foreign investors for the rupee’s slide – like blaming fever on a thermometer
-
Let Me Explain: How the Sangh mobilised Thiruparankundram unrest
-
TV Newsance 325 | Indigo delays, primetime 'dissent' and Vande Mataram marathon
-
The 2019 rule change that accelerated Indian aviation’s growth journey, helped fuel IndiGo’s supremacy
-
You can rebook an Indigo flight. You can’t rebook your lungs