NL Tippani
चक्रवर्ती डंकापति का राज्याभिषेक
दरबार में उल्लास का माहौल था. सुबह से ही हलवाई पूड़ी-सब्जी और लड्डू बना रहे थे. भंडारे टाइप माहौल था. चौतरफा उत्सव का माहौल देखकर धृतराष्ट्र ने संजय से पूछा आज तो लगता है आर्यावर्त में किसी का राज्याभिषेक हो रहा है. संजय ने चहकते हुए कहा- हो नहीं रहा महाराज, हो चुका है. डंकापति का राज्यभिषेक हुआ है उनके नए राजमहल में. धृतराष्ट्र की उत्सुकता सातवें आसमान पर पहुंच गई. इतनी बड़ी घटना की उन्हें खबर तक न लगी.
धृतराष्ट्र का दिल बल्लियों उछल रहा था. उन्होंने संजय से पूरी बात बताने को कहा. संजय ने गहरी सांस ली और कहा, महाराज आर्यावर्त 1947 के उस पार चला गया है. शानदार बैक गियर लगाकर डंकापति ने इसे वापस वहीं पहुंचा दिया है, जहां से यह चला था.
पहुंची वहीं पे ख़ाक, जहां का ख़मीर था. बात हुई थी कि अब अभिव्यक्ति के सारे खतरे उठाने ही होंगे. तोड़ने होंगे ही मठ और गढ़ सब. लेकिन बात पहुंची वहां पर है, जहां स्थापित हुआ है नये संसद भवन में, अधीनम मठ से स्वीकृत सेंगोल उर्फ राजदंड उर्फ धर्मदण्ड. न गढ़ टूटा न मठ खंडित हुए. देश की 565 रियासतों में हर्ष और उल्लास का माहौल है. रजवाड़ों की संततियां किलकारी मार रही हैं. अब देश में सत्ता जनता के वोट से नहीं अधीनम मठ के दंड से हस्तांतरित होगी. डंकापति अब चक्रवर्ती सम्राट बन चुके हैं.
Also Read
-
‘Worked day and night’: Odisha’s exam ‘irregularities’ are breaking the spirit of a generation
-
Kerala hijab row: How a dispute between a teen and her school became a state-wide debate
-
Toxic air, confined indoors: Delhi doesn’t let its children breathe
-
Reporting on power without proximity: What it takes to run a newsroom away from Delhi
-
Hyundai Creta EV enters a crowded ring. Can it charge ahead?