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एनएल चर्चा 261: इतिहास की मनचाही कांट-छांट और अनचाहे सवाल
इस हफ्ते चर्चा में बातचीत के मुख्य विषय एनसीईआरटी पाठ्यक्रम में बदलाव, कनाडा में हिन्दू मंदिर में तोड़फोड़, कर्नाटक में विधायक मुनिरत्ना द्वारा ईसाइयों के खिलाफ दिया नफरती भाषण, असम से भाजपा के एक और विधायक द्वारा ताजमहल और कुतुब मीनार गिराने की बात कहना, ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन का रामनवमी पर भारत में हिंसा की घटनाओं पर बयान, चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नाम बदल कर चीनी नामों की सूची जारी करना, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर आरोप तय होना, राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल, एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी का भाजपा में शामिल होना, दिल्ली यूनिवर्सिटी में छात्रों के निलंबन पर 59 विद्वानों द्वारा पत्र लिखा जाना आदि रहे.
बतौर मेहमान इस चर्चा में वरिष्ठ पत्रकार और प्रोफेसर आनंद प्रधान, पत्रकार हृदयेश जोशी, न्यूज़लॉन्ड्री के सह-संपादक शार्दूल कात्यायन जुड़े. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
चर्चा की शुरुआत करते हुए अतुल पाठ्यक्रमों में बदलती सरकारों के साथ बदलाव पर टिप्पणी करते हुए सवाल करते हैं, “आरएसएस की शुरू से मानसिकता रही है कि विकसित होते दिमाग यानी बच्चों के माइंडसेट पर कब्जा करना और अपने मनमुताबिक ढाल लेना, अब चूंकि उनकी विचारधारा की पार्टी सत्ता में है तो इस तरीके को मुख्यधारा में लाया जा रहा है, यहां सवाल यह उठता है कि यह बदलता इतिहास किसके काम आने वाला है?.
आनंद इस सवाल के जवाब में कहते हैं, “इतिहास को किस तरह से लिखा और प्रस्तुत किया जा रहा है, उस पर निर्भर करता है कि भविष्य की राजनीति क्या होगी. यहां जो एनसीईआरटी ने तर्क दिए हैं कि महामारी के दौरान बच्चे जो स्कूल नहीं आ पा रहे थे जिससे उनकी सीखने की क्षमता पर असर पड़ा है. उसे ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम का तार्किकीकरण करके पाठ्यक्रम के बोझ को हल्का किया है.”
आनंद आगे कहते हैं, “यह बात बिल्कुल ठीक है कि समय-समय पर पाठ्यक्रम में संशोधन किए जाने चाहिए और यह काम विशेषज्ञों के पास छोड़ा जाना चाहिए. साथ ही यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए. दुर्भाग्य से आज, एनसीईआरटी में जो प्रक्रिया चल रही है इसमें तर्क कुछ दिया जा रहा है, काम कुछ हो रहा है. आप बोझ हल्का नहीं कर रहे बल्कि चुनिंदा हिस्सों को निकाल रहे हैं, जिसके पीछे कोई तर्क नहीं है.”
इसी विषय पर हृदयेश अपनी बात रखते हुए कहते हैं, “सबसे पहले मैं श्रोताओं को बता दूं कि 18 राज्यों के कम से कम पांच करोड़ बच्चों को एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाई जाती हैं. यानी इन किताबों का एक लंबा प्रभाव है. इस बार जो बदलाव किए गए हैं वे काफी बड़े स्तर पर हैं, यह बात चिंताजनक है.”
शार्दूल अपने विचार रखते हुए कहते हैं, “किसी भी प्रकरण के दोनों पक्ष सही और गलत मौजूद रहते हैं, उन्हें स्वीकार करते हुए ही तार्किक क्षमता का विकास होता है. भाजपा सरकार जो कर रही है, यह एक प्रयास है, सभी असहज कर देने वाली चीजों पर पर्दा डालने का, कि इतिहास में सब अच्छा-अच्छा था.”
टाइम कोडः
00:00:00 - 00:07:50 - हेडलाइंस व जरूरी सूचनाएं
00:07:52 - 43:30 - एनसीईआरटी की किताबों में बदलाव
43:35 - 45:45 - सब्सक्राइबर के मेल
45:46 - 55:24 मनीष कश्यप पर एनएसए
55:25 - राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल पर बवाल
01:28:12- सलाह और सुझाव
पत्रकारों की राय- क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए
शार्दूल कात्यायन
न्यूज़लॉन्ड्री की पॉडकास्ट सीरीज- लेट्स टॉक अबाउट बीजेपी
द प्रॉब्लम विद जॉन स्टुअर्ट पॉडकास्ट- ट्रंप एंड हू डिज़र्व जस्टिस
हृदयेश जोशी
जॉर्ज ऑरवेल की किताब- 1984, एनीमल फार्म
फ्रांज काफ्का की किताब - कायांतरण
आनंद
हावर्ड जिन की किताब- ए पीपुल्स हिस्ट्री ऑफ यूनाइटेड स्टेट्स
गौतम भाटिया की किताब- ऑफेंड, शॉक ऑर डिस्टर्ब
द गार्डियन की सीरीज - कॉटन कैपिटल
बजरंग बिहारी तिवारी की किताब- हिंसा की जाति और जातिवादी हिंसा का सिलसिला
अतुल चौरसिया
न्यूज़लॉन्ड्री की पॉडकास्ट सीरीज- लेट्स टॉक अबाउट बीजेपी
शरद जोशी का भोपाल गैस त्रासदी पर लेख
संकर्षण ठाकुर की किताब- कागज, कलम और काल
ट्रांसक्राइब - तस्नीम फातिमा
प्रोड्यूसर - चंचल गुप्ता
एडिटिंग - उमराव सिंह
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