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एक्सक्लूसिवः मध्य प्रदेश में असली आवेदक भटकते रहे, संघ-भाजपा से जुड़े लोग भर्ती किए गए

4 फरवरी, 2022 कौशिक उइके के लिए एक अच्छा दिन था. मध्य प्रदेश की परसवाड़ा बस्ती के 30 वर्षीय कौशिक उइके को पता चला कि उनका नाम राज्य के जिला और ब्लॉक समन्वयक उम्मीदवारों की मेरिट सूची में है. कौशिक बहुत खुश हुए.

उन्होंने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, "89 पद रिक्त थे और 10,000 से अधिक उम्मीदवारों में से लगभग 890 को शॉर्टलिस्ट किया गया था. मैं उन लोगों में से था जिन्हें शॉर्टलिस्ट किया गया था और मुझे एक इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था."

8 फरवरी को कौशिक बालाघाट शहर में थे. वे इंटरव्यू के लिए भोपाल जाने वाली बस में सवार होने वाले थे कि उन्हें एक फोन कॉल आया. यह कॉल सीईडीएमएपी के कॉल सेंटर से था. मध्य प्रदेश के उद्यम विकास केंद्र (सीईडीएमएपी) का जिक्र करते हुए वे बताते हैं, "उन्होंने कहा कि इंटरव्यू कैंसल कर दिया है. मुझे विश्वास नहीं हुआ."

कौशिक बस से उतर गए. उन्होंने इसके बाद एक वर्ष के दौरान सीईडीएमएपी को फोन किया और कई ई-मेल भेजे, और हर बार उन्हें आश्वासन दिया गया कि इंटरव्यू "जल्द ही" होगा. अंत में, उइके को मार्च 2023 में पता चला कि 89 लोगों को पहले ही काम पर रखा जा चुका है; जिस इंटरव्यू का वादा किया गया था, उसके लिए उन्हें फोन ही नहीं आया.

इसके अतिरिक्त, उन्होंने पाया कि नई भर्ती किए गए लोगों को मेरिट लिस्ट में शामिल भी नहीं किया गया था. इसके बाद पड़ताल के दौरान, न्यूज़लॉन्ड्री ने पाया कि काम पर रखे गए 88 व्यक्तियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंध हैं. उन्हें नौकरी देने के लिए राज्य प्रशासन ने तय प्रक्रिया की अनदेखी की और सैकड़ों उम्मीदवारों को नजरअंदाज कर किया. मध्य प्रदेश में इस वक्त भाजपा सरकार है और शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत हैं.

ये सब कैसे हुआ?

पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए, मध्य प्रदेश सरकार ने जिला समन्वयक और ब्लॉक समन्वयक पदों की शुरुआत की. पंचायती राज विभाग द्वारा राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान कार्यक्रम के तहत इन पदों का विज्ञापन दिया गया था. सीईडीएमएपी, एक सरकारी विभाग, आधिकारिक तौर पर भर्ती का निरीक्षण करता है. इसको पीएसयू की सहायक कंपनी एमपीकॉन लिमिटेड को आउटसोर्स कर दिया गया.

नवंबर 2021 में इन पदों के लिए विज्ञापन प्रकाशित किए गए थे. ब्लॉक समन्वयक और जिला समन्वयक दोनों को क्रमशः 25,000 रुपए और 30,000 रुपए का निश्चित मासिक वेतन मिलना था. आवेदन की फीस 500 रुपए थी.

4 फरवरी को प्रकाशित एक मेरिट लिस्ट में, उम्मीदवारों को उनके ग्रेड और शैक्षिक प्रमाण-पत्रों के आधार पर चुना गया था. इंटरव्यू की तारीख 9, 10 और 11 फरवरी निर्धारित की गई थी.

मेरिट लिस्ट में शामिल, कम से कम 12 आवेदकों ने दावा किया कि उनका इंटरव्यू रद्द कर दिया गया.

तो उनकी जगह लेने के लिए वास्तव में किसे चुना गया था?

नियुक्त किए गए उम्मीदवारों की सूची और इंटरव्यू के लिए बुलाए गए आवेदकों की मेरिट लिस्ट की एक प्रति न्यूज़लॉन्ड्री के पास है. आप दोनों सूची यहां देख सकते हैं.

भगवा कनेक्शन

पीईएसए ब्लॉक समन्वयकों की संख्या 74 और जिला समन्वयकों की संख्या 14 है. उनके नाम मेरिट सूची में नहीं हैं. ये सभी बड़वानी, डिंडोरी, अलीराजपुर, धार, खरगोन, शाहडोल, रतलाम, नर्मदापुरम, मंडला, अनूपपुर, बैतूल, छिंदवाड़ा और खंडवा सहित आदिवासी बहुलता वाले क्षेत्रों से आते हैं.

13 से 15 फरवरी तक भोपाल में तीन दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम में भर्ती किए गए लोगों ने भाग लिया. उपस्थित लोगों में मुख्यमंत्री चौहान और उनके कार्यालय में अधिकारी लक्ष्मण सिंह मरकाम शामिल थे. मरकाम, भारतीय नौसेना आयुध सेवा में एक सेवारत अधिकारी हैं, जिन्हें अक्सर भाजपा और आरएसएस द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में देखा जाता है.

न्यूज़लॉन्ड्री द्वारा स्वतंत्र रूप से सभी 88 उम्मीदवारों के संघ परिवार से संबद्धता की पुष्टि की गई है. कई लोगों ने कहा कि यह सच है, जबकि कुछ ने फोन काट दिया और एक ने तो रिपोर्टर को धमकी भी दी.

प्रीतम राज बडोले से शुरू करते हैं, जिन्हें पीईएसए के लिए बड़वानी जिला समन्वयक के रूप में सेवा देने के लिए चुना गया था. बडोले, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आदिवासी कल्याण विंग द्वारा समर्थित एक समूह, जनजाति सुरक्षा मंच का प्रचार प्रमुख है. 

हाल के दिनों में इनका ध्यान ‘धर्म परिवर्तन करने वाले’ आदिवासियों की पहचान करके उन्हें अनुसूचित जनजातियों की सूची से "हटाने" को लेकर है. बडोले अक्सर लक्ष्मण सिंह मरकाम के बारे में सोशल मीडिया पर बात करते हैं और उनकी तस्वीरें पोस्ट करते हैं.

बडोले ने न्यूज़लॉन्ड्री से कहा कि उसने "अपना बायोडाटा" भोपाल में एमपीकॉन लिमिटेड को भेजा है. उन्होंने कहा "मुझे उसी के आधार पर प्रशिक्षण के लिए बुलावा आया."

लेकिन क्या उसने नौकरी के लिए आवेदन करने के लिए उचित माध्यमों का इस्तेमाल किया? क्या उनका इंटरव्यू हुआ था? जब इन सवालों के लिए कहा गया तो बडोले ने अचानक फोन काट दिया. इसके बाद उसने फोन नहीं उठाया.

ये भी जानना चाहिए कि बडोले ने एक बार एक्टिविस्ट मेधा पाटकर और अन्य के खिलाफ पुलिस में शिकायत करके "धन का दुरुपयोग" करने का आरोप लगाया था, जिसके बाद एक एफआईआर दर्ज की गई थी. न्यूज़लॉन्ड्री ने पाया कि नियुक्ति पाने वाले बाकी लोगों की तरह, बडोले का नाम मेरिट सूची में नहीं है.

धार जिले की दही तहसील में महेंद्र सिंह भाभर को ब्लॉक समन्वयक नियुक्त किया गया था. वह धार में भारतीय जनता युवा मोर्चा के सोशल मीडिया समन्वयक हैं.

अपनी नियुक्ति के बारे में पूछे जाने पर भाभर ने हिंदी में जवाब दिया, "पहले यह बताओ कि तुम्हें मेरा नंबर किसने दिया? हमारे किससे क्या संबंध हैं तुम्हें इसकी क्या चिंता है? किसके इशारे पर ये सब कर रहे हो? बस ध्यान रहे…हमारे साथ मत भिड़ना नहीं तो इस पत्रकारिता का खात्मा कर देंगे."

फिर भाभर ने कॉल काट दिया.

अलीराजपुर जिले की भाबरा तहसील के प्रखंड समन्वयक जीतेंद्र सिंह जमरा हैं. वह आरएसएस के स्वयंसेवक हैं और उसकी गतिविधियों में शामिल होते रहते हैं. जिसमें जुलूस और रैलियां शामिल हैं. इसके अतिरिक्त, वह इंदौर के एक भाजपा नेता निशांत खरे और मरकाम की प्रशंसा करते रहते हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री चौहान का करीबी माना जाता है.

जमरा ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि उन्हें जैसे नियुक्त किया गया था उस "प्रक्रिया को समझाने में बहुत लंबा समय लगेगा". उन्होंने कहा, "मैं आपको पांच मिनट में वापस कॉल करूंगा." उन्होंने कभी वापस कॉल नहीं किया, और उसके बाद हमारी किसी भी कॉल का जवाब नहीं दिया.

बडोले की तरह ही भाभर और जमरा भी अक्सर मरकाम से जुड़े पोस्ट सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं.

मंडला जिले में बिछिया तहसील के ब्लॉक समन्वयक के रूप में सेवा करने के लिए सोनू लाल मरावी को चुना गया. वह आरएसएस की छात्र शाखा, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के विभाग सहकार्य प्रमुख हैं. धार तहसील में ब्लॉक समन्वयक नियुक्त किए गए कीर्तिमान पटेल जनजाति सुरक्षा मंच के सक्रिय सदस्य और आरएसएस के स्वयंसेवक हैं.

रेवसिंह भंवर को धार जिले में तिरला तहसील के ब्लॉक समन्वयक के रूप में सेवा देने के लिए चुना गया. वह एबीवीपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य थे और आरएसएस के स्वयंसेवक हैं. धार में नए नालचा तहसील ब्लॉक समन्वयक, जितेंद्र निनामा भी एक आरएसएस कार्यकर्ता हैं. धार में निसरपुर तहसील के ब्लॉक समन्वयक और आरएसएस से संबद्ध जनजाति विकास मंच के सदस्य, सचिन भंवर आरएसएस के स्वयंसेवक हैं.

उसी जिले की कुच्ची तहसील के ब्लॉक समन्वयक विजय बघेल और धार की गंधवानी तहसील के नए ब्लॉक समन्वयक संदीप कुमार सिसोदिया दोनों आरएसएस के स्वयंसेवक हैं. बघेल क्षेत्र में भाजपा और आरएसएस के पदाधिकारियों के भी करीबी हैं. दिलीप माछार, धार के नए जिला समन्वयक और आरएसएस के स्वयंसेवक भी हैं.

रतलाम के जिला समन्वयक दिनेश वननैया और शहडोल की जयसिंहनगर तहसील के नवनियुक्त ब्लॉक समन्वयक शारदा मौर्य दोनों आरएसएस के स्वयंसेवक हैं. वननैया जनजाति सुरक्षा मंच में भी सक्रिय रूप से भाग लेते हैं. भाजपा कार्यकर्ता अरविंद धुर्वे नर्मदापुरम के जिला समन्वयक के रूप में कार्यरत हैं.

अनूपपुर जिले की अनूपपुर तहसील के प्रखंड समन्वयक बलराम बैगा हैं. उन्होंने समय-समय पर एबीवीपी, बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के साथ सहयोग किया है. नीलमणि सिंह मध्य प्रदेश में भाजपा की आदिवासी शाखा के सदस्य और अनूपपुर में जैतहरी तहसील के नए ब्लॉक समन्वयक हैं.

बैतूल के नए जिला समन्वयक सुखदेव उइके जनजाति सुरक्षा मंच के कर्मचारी और आरएसएस के सदस्य हैं. जयप्रकाश सिंह गोंड नाम के एक आरएसएस सदस्य को उमरिया की पाली तहसील में ब्लॉक समन्वयक की भूमिका सौंपी गई है. सीधी में कुसमी तहसील के नए ब्लॉक समन्वयक सूर्य प्रताप सिंह गोंड संघ परिवार समूह के एकल विद्यालय में काम करते हैं.

झाबुआ जिले की झाबुआ तहसील ने एबीवीपी सदस्य मान सिंह बारिया को अपने ब्लॉक समन्वयक के रूप में चुना है. झाबुआ की राणापुर तहसील के लिए भाजपा के इंदर सिंघाड़ नए ब्लॉक समन्वयक हैं. बड़वानी जिले की बड़वानी तहसील में आरएसएस से जुड़े वनवासी कल्याण आश्रम के ब्लॉक समन्वयक सतीश भूरिया हैं. खंडवा के जिला समन्वयक आशुतोष सिंगला आरएसएस के सदस्य और एबीवीपी के पूर्व सदस्य हैं.

रवि सोलंकी को खरगोन जिले में भगवानपुरा तहसील के ब्लॉक समन्वयक के रूप में सेवा देने के लिए चुना गया था. भगवानपुरा से भाजपा के पूर्व विधायक दल सिंह सोलंकी उनके पिता हैं. 2014 में उनके भाई नानू गोदा की गैंगरेप के जुर्म में गिरफ्तारी हुई.

झाबुआ में पेटलावद तहसील ने कैलाश निनामा को अपना ब्लॉक समन्वयक नामित किया है. वह जनजाति सुरक्षा मंच के लिए राज्य समन्वयक के रूप में कार्य करता है, जो आदिवासी कल्याण के लिए समर्पित आरएसएस की शाखा द्वारा समर्थित समूह है. अपनी नियुक्ति के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने रिपोर्टर को अपने जिला समन्वयक से संपर्क करने की सलाह दी.

उन्होंने यह कहकर फोन काट दिया, "मैं तुम्हें उसका नंबर दूंगा." उन्होंने हमें कभी नंबर नहीं दिया, और न ही इसके बाद हमारे कॉल का जवाब दिया.

विडंबना यह है कि जिस जिला समन्वयक निनामा का जिक्र किया जा रहा है, वह भी मेरिट सूची के बिना चुने गए व्यक्तियों में से एक था. वह झाबुआ के जिला समन्वयक हैं और गौर सिंह कटारा के नाम से जाने जाते हैं. कटारा आरएसएस के स्वयंसेवक हैं और उन्होंने आरएसएस संगठनों सेवा भारती और जनजाति विकास मंच के लिए एक पदाधिकारी के रूप में काम किया है.

कटारा ने खुले तौर पर स्वीकार किया कि कानून का पालन नहीं किया गया. उन्होंने समझाया, "कई ऐसे समय होते हैं जब सरकार को जनशक्ति की आवश्यकता होती है. इस कारण से, उन्होंने हमें भर्ती किया. हम एक साल के लिए नियोजित थे क्योंकि पंचायत निदेशालय का एमपीकॉन के साथ एक अनुबंध था. नौकरी के विज्ञापनों के माध्यम से भर्ती करने और आवेदन आमंत्रित करने में काफी समय लगता है."

उसे कैसे चुना गया?

कटारा के अनुसार, एक ठेकेदार किसी को भी नियुक्त करने के लिए स्वतंत्र है. किसी पद के लिए आवेदकों को आमंत्रित करना आवश्यक नहीं है. एमपीकॉन ने हमें तीन दिवसीय प्रशिक्षण सत्र में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया. उन्होंने किसी स्रोत से हमारा डेटा प्राप्त करने के बाद हमें कॉल किया. उस स्त्रोत के बारे में मुझे जानकारी नहीं है. भर्ती को लेकर गलत जानकारी शेयर की जा रही है. हर प्रक्रिया खुली थी और सही ढंग से पालन की गई थी.

हमारी इस खोजी रिपोर्ट में शामिल भर्तियां तो अंशमात्र हैं. 

उम्मीदवारों का कहना, ''उन्होंने हम सबको बरगलाया.'' इंटरव्यू से रिजेक्ट हुए लेकिन मेरिट लिस्ट में पहुंचे अभ्यर्थी अब मायूस हैं.

31 वर्षीया रीना अवचारे ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि जब उन्हें इंटरव्यू रद्द करने वाला फोन आया, तो वह अपने दो महीने के बच्चे के साथ भोपाल जा रही थीं. बाद में, उन्हें एक मैसेज प्राप्त हुआ जिसमें कहा गया था कि इंटरव्यू रद्द कर दिया गया है.

"मुझे काम से बहुत उम्मीदें थीं, इसलिए मैं बहुत निराश थी," उसने कहा. "अगर इंटरव्यू के बाद मुझे ठुकरा दिया जाता तो वह एक अलग स्थिति होती. लेकिन उन्होंने जो किया, वह पूरी तरह से अस्वीकार्य था."

रीना ने दावा किया कि इंटरव्यू में जाने की उम्मीद में उन्होंने एक साल तक तैयारी की. "राजनीतिक उद्देश्यों के लिए उन्होंने हमारे हाथों से रोटी छीन ली और अपने लोगों को सौंप दी." उन्होंने कहा.

मेरिट लिस्ट में जगह बनाने वाले खरगोन निवासी 38 वर्षीय संजय भालसे को भी इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया गया. "उन्होंने हमें एक साल तक बेवकूफ बनाया और फिर भाजपा-आरएसएस से जुड़े लोगों को काम पर रखा." उन्होंने कहा. "मैंने इंटरव्यू की तैयारी के लिए बहुत मेहनत की. मैं समझ सकता था कि अगर वह इंटरव्यू के बाद मुझे अस्वीकार कर देते, लेकिन यह पक्षपात का घटिया उदाहरण है."

खरगोन निवासी विजय कवाचे मेरिट लिस्ट में थे, लेकिन उनका इंटरव्यू नहीं हुआ, उन्होंने माना "इनमें से अधिकांश लोग भाजपा के लिए काम करते हैं. कितने बड़े-बड़े लोगों की संलिप्तता है, ये समझने की कोशिश करें. उन्होंने प्रक्रिया पूरी भी नहीं की. इसके बजाय, उन्होंने संघ परिवार से जुड़े लोगों को नियुक्त किया. हम कुछ नहीं कर पाएंगें क्योंकि कोई भी हमारी शिकायतों पर ध्यान नहीं देगा."

मायाराम आवेया, जो खुद भी इस धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं, ने पिछले हफ्ते ओएसडी मरकाम से मुलाकात की. वे बताते हैं, “उन्होंने (मरकाम ने) कहा कि वह उस राशि का भुगतान करेंगे जो हमने आवेदन के लिए खर्च की थी और उन्होंने मुझे भोपाल आने को कहा. उन्होंने (मरकाम ने) आश्वासन दिया है कि वे मेरे लिए ‘कुछ इंतजाम’ कर देंगे. पर ये सिर्फ मेरे बारे में नहीं है. सरकार ने सैंकड़ों की तादाद उम्मीदवारों को ठगा है.”

एमपीकॉन के डिप्टी मैनेजर सुनील श्रीवास्तव से न्यूज़लॉन्ड्री ने संपर्क किया. उन्होंने कहा "पंचायत निदेशालय ने भर्ती प्रक्रिया को आउटसोर्स किया, हमारे पास मौजूद डेटा का उपयोग करते हुए, क्या हमने उम्मीदवारों को नियुक्त किया?".

कैसे सभी आवेदक प्रक्रिया को नजरअंदाज कर आरएसएस की पृष्ठभूमि से आए? "मैं इसके बारे में नहीं जानता," श्रीवास्तव ने उत्तर दिया.

न्यूज़लॉन्ड्री ने जब इस मामले पर मरकाम से संपर्क किया तो उन्होंने कहा, “मैं इस विषय पर चर्चा करने के लिए अधिकृत व्यक्ति नहीं हूं और किसी भी चीज पर टिप्पणी नहीं कर सकता.”

वहीं, पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने इस मामले पर हमारे किसी अनुरोध का जवाब नहीं दिया. न्यूज़लॉन्ड्री ने सीईडीएमएपी को एक सवालों का पर्चा भेजा, जो इन पदों पर नियुक्तियों का प्रभारी संगठन है. अगर हमें कोई प्रतिक्रिया मिलती है, तो हम इस रिपोर्ट को अपडेट करेंगे.

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