Saransh
एनएल सारांश: असम में बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई पर क्यों मचा है घमासान?
बीती 23 जनवरी को असम सरकार ने 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वाले पुरुषों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत सख्त कानूनी कार्रवाई करने का फैसला किया. इसके बाद बाल विवाह करने और कराने वालों के खिलाफ सरकार की ओर से शुरू किए गए इस व्यापक अभियान और इसके तहत हजारों लोगों की गिरफ्तारियों पर विवाद बढ़ता जा रहा है.
असम सरकार का कहना है कि राज्य में बाल विवाह के कारण मातृ और शिशु मृत्यु दर बढ़ रही है. सरकार ने मांओं और शिशुओं की मृत्यु दर को कम करने और ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह को रोकने के लिए सभी 2,197 ग्राम पंचायत सचिवों को बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत 'बाल विवाह रोकथाम (निषेध) अधिकारी' के रूप में नामित करने का फ़ैसला किया है.
राज्य सरकार ने निचले असम के जिन जिलों में बाल विवाह के ज्यादा मामले होने के आंकड़े दिए हैं, उन इलाकों में बंगाली मूल के मुसलमानों की आबादी ज्यादा है. इसके अलावा चाय जनजाति और कुछ अन्य जनजातियों में भी बाल विवाह के मामले अधिक हैं. वहीं अब इस मुद्दे पर सियासत भी लगातार गरमा रही है.
बता दें कि इससे पहले कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी की राज्य सरकार ने भी बाल विवाह के खिलाफ इस तरह की कानूनी कार्रवाई के प्रावधान किए थे.
सारांश के इस एपिसोड में हम जानेंगे कि बाल विवाह के आंकड़ों, इसको लेकर क्या कानून है और असम सरकार का यह फैसला क्यों अलग है, और फैसले पर इतना विवाद क्यों हो रहा है, इस पर बात करेंगे.
Also Read
-
Kutch: Struggle for water in ‘har ghar jal’ Gujarat, salt workers fight for livelihoods
-
Hafta 483: Prajwal Revanna controversy, Modi’s speeches, Bihar politics
-
Can Amit Shah win with a margin of 10 lakh votes in Gandhinagar?
-
Reporter’s diary: Assam is better off than 2014, but can’t say the same for its citizens
-
समाचार चैनल अल जज़ीरा को इज़रायल ने अपने यहां किया बंद, सभी उपकरण किए जब्त