Media
बीबीसी: ‘‘हमारी डॉक्यूमेंट्री पुख्ता शोध और तथ्यों पर आधारित है’’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊपर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री इंडिया: द मोदी क्वेश्चन को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में विवाद जारी है. सरकार ने इसे दिखाने पर प्रतिबंध लगा दिया. यूट्यूब और ट्विटर पर इसे ब्लॉक करने का निर्देश जारी किया है. वहीं कई जगहों पर लोग इसे प्रदर्शित करने पर अड़े हुए हैं. इन सबके बीच बीबीसी के ऊपर ऑनलाइन हमले भी देखने को मिल रहे हैं.
हमें मिली अपुष्ट जानकारी के मुताबिक भारत में कार्यरत बीबीसी के कर्मचारियों को एहतियात बरतने की सलाह दी गई है. कैब और टैक्सियों से बीबीसी के स्टीकर और लोगो भी हटाने की बात कही जा रही है. इसी तरह रिपोर्टर्स को भी बीबीसी माइक वाली आईडी का इस्तेमाल करने से बचने को कहा गया है. रिपोर्टर्स को सुरक्षा के नजरिए से ऐसा करने को कहा गया है.
हमने इस बाबत बीबीसी के लंदन स्थित अनोष्का रसेल से सवाल पूछा. मेल पर आए जवाब में उन्होंने कहा कि हम सुरक्षा से संबंधी मामलों में कोई टिप्पणी नहीं करते हैं.
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री इंडिया: द मोदी क्वेश्चन भारत में रिलीज नहीं हुई. इसके बावजूद भारत के ही कई हिस्सों में इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की जा रही है. बीते दिनों दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी और जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में छात्रों ने डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करने का ऐलान किया था. इसको लेकर दोनों जगहों पर बवाल हो गया. इस सबके बीच यह सवाल उठना लाज़मी है कि बीबीसी की प्रधानमंत्री मोदी पर आधारित डॉक्यूमेंट्री भारत में क्यों रिलीज नहीं हुई?
डॉक्यूमेंट्री से जुड़े ऐसे कई सवालों के जवाब जानने के लिए हमने बीबीसी से संपर्क किया. हमने बीबीसी के दिल्ली ऑफिस को कुछ सवाल भेजे थे. हमारा यह मेल बीबीसी के लंदन स्थित मुख्यालय को फॉरवर्ड कर दिया गया. इसके बाद बीबीसी ने हमें अपना पक्ष बताया है. हम अपने सवाल और बीबीसी के जवाब जस के तस यहां रख रहे हैं.
1- बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री इंडिया: द मोदी क्वेश्चन भारत में क्यों रिलीज नहीं हुई, जबकि यह भारत के बारे में है?
बीबीसी- इसे बीबीसी-2 कमीशन के हिस्से के रूप में कमीशन किया गया था. इसलिए इसे वर्तमान में केवल यूके में प्रसारित किया जा रहा है.
2- भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने इस डॉक्यूमेंट्री को प्रोपेगेंडा और भारत को बदनाम करने की साजिश बताया है. बीबीसी का इस बारे में क्या कहना है?
बीबीसी- इस डॉक्यूमेंट्री को उच्चतम संपादकीय मानकों के अनुरूप गहन शोध के बाद बनाया गया है. इसमें कई लोगों के पक्ष शामिल हैं, कई गवाह और विशेषज्ञों से बातचीत कर उनके विचार लिए गए हैं. इनमें कई लोग बीजेपी के भी हैं. हमने भारत सरकार को भी इस डॉक्यूमेंट्री के संदर्भ में अपना पक्ष रखने हेतु संपर्क किया था, किंतु उन्होंने इस बारे में कुछ भी कहने से मना कर दिया.
3- क्या डॉक्यूमेंट्री रिलीज होने के बाद बीबीसी के भारत में स्थित कर्मचारियों को किसी तरह का खतरा या धमकी का सामना करना पड़ा है.
बीबीसी- हमारे लिए अपने कर्मचारियों और कंट्रीब्यूटर्स की सुरक्षा सर्वोपरि है. हम सुरक्षा कारणों से इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते. डॉक्यूमेंट्री को बनाते समय इसमें बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के किसी भी भारतीय कर्मचारी का योगदान नहीं लिया गया है.
4- बीबीसी के भारत स्थित ऑपरेशन में किसी तरह की कटौती या एहतियात बरती जा रही है? या रिपोर्टर्स को फील्ड से दूर रखा जा रहा है?
बीबीसी- इसका जवाब नहीं मिला.
5- यह भी सुनने में आ रहा है कि बीबीसी ने अपनी गाड़ियों से स्टीकर हटा दिए हैं और रिपोर्टर्स बीबीसी के लोगो वाला माइक प्रयोग नहीं कर रहे हैं. क्या यह सच है?
बीबीसी- सुरक्षा कारणों से इस मामले पर हम कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते.
6- बीबीसी की अपनी ही डॉक्यूमेंट्री पर बीबीसी हिंदी पर कोई खास रिपोर्ट या लेख नहीं दिख रहे हैं. ऐसा क्यों?
बीबीसी- इसका जवाब नहीं मिला.
7- क्या बीबीसी इस डॉक्यूमेंट्री के सिलसिले में किसी भी तरह से भारत सरकार के संपर्क में है? अगर है तो किस तरह की बातचीत चल रही है?
बीबीसी- हमने डॉक्यूमेंट्री में उठाए गए मामलों पर भारत सरकार को जवाब देने की पेशकश की थी लेकिन उन्होंने अपना पक्ष रखने से इनकार कर दिया.
बीबीसी ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए कुछ सवालों का कोई जवाब नहीं दिया.
Also Read
-
‘Media is behaving like BJP puppet’: Inside Ladakh’s mistrust and demand for dignity
-
In coastal Odisha, climate change is disrupting a generation’s education
-
Bogus law firm and fake Google notices: The murky online campaign to suppress stories on Vantara
-
Happy Deepavali from Team NL-TNM! Thanks for lighting the way
-
Bearing witness in Leh: How do you report a story when everyone’s scared to talk?