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एनएल चर्चा 245: भारत-चीन सेना के बीच झड़प और ईडी कार्रवाइयों पर सरकार का जवाब
एनएल चर्चा के इस अंक में चीन और भारत की सेनाओं के बीच झड़प, केंद्रीय कानून मंत्री के संसद में एक बार फिर एनजेएसी का मुद्दा दोहराने, द्वारका में छात्रा पर हुआ एसिड अटैक, सीपीजे द्वारा जेल में बंद पत्रकार को लेकर जारी की रिपोर्ट, मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह के पत्रकार अर्णब गोस्वामी के खिलाफ दायर मानहानि केस को वापस लेने, बिलकिस बानो केस से जज बेला त्रिवेदी के अलग होने, क़तर में जारी फीफा विश्व कप, दिल्ली के टी3 टर्निमल पर भारी भीड़ और लोकसभा में सरकार के बयान कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ ईडी द्वारा की गई कार्रवाई का कोई रिकार्ड नहीं है समेत कई अन्य विषयों का जिक्र हुआ.
चर्चा में इस हफ्ते रिटायर्ड ब्रिगेडियर संदीप थापर, एएफपी के पत्रकार भुवन बग्गा, वरिष्ठ पत्रकार ह्रदयेश जोशी और न्यूज़लॉन्ड्री के स्तंभकार आनंद वर्धन शामिल हुए. संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
अतुल चर्चा की शुरुआत अरुणाचल प्रदेश में चीन और भारत के बीच हुई झड़प के विषय से की. वह कहते हैं, “गलवान की घटना हुई, भूटान के इलाके में निर्माण के दौरान घटना हुई. हर साल-दो साल में चीन के साथ झड़प की खबरें आती रहती हैं. दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर संधि भी है, लेकिन इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं.”
ब्रिगेडियर संदीप कहते हैं, “दोनों देशों के बीच शांति को लेकर समझौता है. एलएसी की लाइन अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में कुछ जगहों पर दोनों देश स्वीकार नहीं करते हैं. 1962 के बाद हमारी लड़ाई नहीं हुई क्योंकि दोनों देशों के बीच समझौता है. पेट्रोलिंग के दौरान आमने-सामने आने पर दोनों देशों के सैनिक फ्लैग दिखाते हैं. यह जो झड़प की खबर सामने आई है, वह विवादित क्षेत्र है. साल 2009 तक इस जगह पर हमारे सैनिकों की डिप्लायमेंट नहीं थी. साल 2009-10 में हमने सैनिकों को तैनात किया. जिसके बाद दोनों देशों के बीच झड़प की शुरुआत हुई. साल दर साल यह झड़प अलग-अलग स्तर की होती है.”
भुवन कहते हैं, “इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में चीन हमसे बहुत आगे है. चीन के तरफ रोड या पुल बनना आसान है, लेकिन भारत के तरफ वह बहुत मुश्किल है. इस वजह से चीन को बढ़त हासिल है. यह झड़प हम इसलिए भी देख पा रहे हैं कि भारत ने अपनी सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर को काफी बढ़ा दिया है. चीन का रवैया भारत को लेकर जो साल 2000 के आसपास था वह अब साल 2020 में बदल गया है. भारत अब पहले से ज्यादा चीन को मुंहतोड़ जवाब दे रहा है. इसलिए चीन का रवैया भारत को लेकर बदला है.”
हृदयेश कहते हैं, “चीन जैसे देश को कोई इग्नोर नहीं कर सकता, जिसकी सोच विस्तारवाद की है. लेकिन कुछ वर्षों में चौड़ी सड़कों के निर्माण के नाम पर पहाड़ी इलाकों में बड़े स्तर पर तोड़फोड़ किया जा रहा है. सस्टेनेबल सड़कें जो हमें सीमावर्ती इलाकों तक ले जाए उन्हें बनाने की बजाय हम फोर लेन सड़कों पर ज्यादा ध्यान देते हैं.”
आनंद कहते हैं, “हाल ही में भारत- अमेरिका की सेना ने अभ्यास किया है. चीन की पॉलिसी उसकी सेना को लेकर बहुत अलग है. विश्व में अपनी धमक बनाने के लिए चीन को अपने पड़ोसी देशों से मित्रतापूर्ण संबंध बनाने होंगे. विश्व में अपनी धमक बनाने के लिए चीन भारत को एक कमजोर देश दिखाने की कोशिश करता है. वहीं जियोग्राफी नजरिए से देखें तो भारत के लिए सीमा पर चुनौतियां है. दोनों देशों के बीच बातचीत तो होती है लेकिन चीन उसमें ज्यादा रुचि लेता नहीं दिखता है.”
इस विषय के विभिन्न पहलुओं के अलावा ईडी द्वारा सांसद और विधायकों के खिलाफ की गई कार्रवाइयों पर सरकार के जवाब पर भी विस्तृत बात हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए हमारा यह पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
टाइम कोड
00:00:00 - 00:08:28 - इंट्रो, हेडलाइंस और जरूरी सूचना
00:08:28 - 00:19:20 - दिल्ली एयरपोर्ट के टी3 टर्मिनल पर भीड़ की समस्या
00:19:20 - 00:50:35 - भारत-चीन सीमा विवाद
00:50:35 - 01:11:05 - ईडी द्वारा सांसद-विधायकों के खिलाफ की गई कार्रवाई
1:11:05 - सलाह और सुझाव
पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए
हृदयेश जोशी
जितनी मिट्टी उतना सोना - अशोक पाण्डेय की किताब
भुवन बग्गा
मेकिंग मेरिटोग्रेसी किताब - अमेजन किंडल
विजय गोखले का चीन को लेकर लेख
संदीप थापर
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन को पढ़े
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल पीआर शंकर को पढ़े
आनंद वर्धन
श्याम शरण की किताब - हाउ चीन सी इंडिया एंड द वर्ल्ड
परशुराम की प्रतीक्षा - रामधारी सिंह दिनकर की कविता
टाइम्स ऑफ इंडिया की शी जिनपिंग की राजनीति पर आधारित विजय गोखले का लेख
अतुल चौरसिया
विलियम डेलरिम्पल और अनीता आनंद का पॉडकास्ट - एम्पायर
रिटायर्ड जनरल मनोज मुकुंद नरवणे के साथ स्मिता प्रकाश का पॉडकास्ट
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प्रोड्यूसर- चंचल गुप्ता
एडिटिंग - उमराव सिंह
ट्रांसक्राइब - अश्वनी कुमार सिंह
Also Read: चीन में तीसरी संतान की अनुमति के मायने
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