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समाजवादी पार्टी के मीडिया सेल ट्विटर हैंडल पर कौन कर रहा गालीबाजी
‘समाजवादी पार्टी मीडिया सेल’ ट्विटर हैंडल इन दिनों अपने ट्वीट्स के कारण चर्चाओं में है. इस हैंडल से पत्रकारों और विपक्षी नेताओं को अभद्र भाषा का उपयोग करके निशाना बनाया जा रहा है.
ट्विटर हैंडल ने बायो में खुद को समाजवादी पार्टी का आधिकारिक मीडिया सेल बताया है. साथ ही एक ट्वीट पिन किया गया है, जिसमें महाभारत की विदुर नीति का एक श्लोक लिखा गया है, “शठे शाठ्यम समाचरेत”, जो ‘जैसे को तैसा’ नीति की बात करता है.
इस ट्विटर हैंडल के खिलाफ लखनऊ में दो एफआईआर दर्ज हुई हैं. हालांकि दोनों ही मामलों में पुलिस अभी जांच कर रही है. पहले केस में न्यूज़ वन इंडिया के लखनऊ स्थित रेजिडेंट एडिटर मनीष पांडे ने 24 नवंबर को हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी. इसमें पत्रकार ने कहा था कि ट्विटर हैंडल से उन पर गंदी टिप्पणी और निजी हमले किए जा रहे थे. जिसके आधार पर पुलिस ने न्यूज़ नेशन के पूर्व पत्रकार अनिल यादव को गिरफ्तार कर लिया था.
ट्विटर हैंडल से पत्रकार का जुड़ाव कैसे है, और इस मामले में समाजवादी पार्टी के खिलाफ क्या भूमिका है? इस पर हजरतगंज थाने के एसीपी अरविंद कुमार वर्मा न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, “प्रारंभिक जांच में पत्रकार की संलिप्तता पाई गई, इसलिए गिरफ्तारी की गई. अभी इस मामले की जांच चल रही है.”
वह आगे कहते हैं कि अभी ज्यादा जानकारी नहीं दे सकते क्योंकि अभी जांच चल रही है.
एक ओर जहां पुलिस इस मामले में कुछ भी बताने से इंकार करती है. वहीं शिकायतकर्ता और पत्रकार मनीष पांडे बताते हैं कि ट्विटर हैंडल को लेकर पुलिस ने दो बार ट्विटर को पत्र लिखा है. अब जवाब मिलने के बाद ही पता चल पाएगा कि इस हैंडल को कौन चला रहा है.
समाजवादी पार्टी मीडिया सेल के खिलाफ दूसरी एफआईआर एक दिसंबर को विभूति खंड थाने में दर्ज की गई. इसे इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील और आरएसएस कार्यकर्ता प्रमोद कुमार पांडेय ने दर्ज कराया है. इसमें आरएसएस को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया है.
इस मामले को लेकर विभूति खंड थाने के इंस्पेक्टर आनंद वर्मा न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं कि वह, “अभी-अभी इस थाने में ट्रांसफर होकर आए हैं. इस केस के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है.”
अभद्रता का पर्याय बना ट्विटर हैंडल
इस ट्विटर हैंडल को लेकर लखनऊ में पत्रकारों के बीच कौतूहल बना हुआ है कि कौन है जो इसे चला रहा है? कुछ लोग मान रहे हैं कि इसको चलाने वाला कोई लखनऊ का पत्रकार हो सकता है, क्योंकि भाजपा के समर्थन करने वाले पत्रकारों और भाजपा के प्रवक्ताओं को यह हैंडल जमकर टारगेट कर रहा है. वहीं जो पत्रकार भाजपा सरकार को लेकर कोई सवाल उठाते हैं, उन्हें यह हैंडल अपने अकाउंट से शेयर कर रहा है.
लखनऊ के एक पत्रकार नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं, “हम सब यह जानना चाहते हैं कि कौन इस अकाउंट को चला रहा है. जो भी है उसे स्थानीय पत्रकारों के बारे में अच्छे से पता है. जिस तरह के शब्दों का उपयोग इसमें हो रहा है, उससे लगता है कि इसे कोई पढ़ा-लिखा व्यक्ति ही चला रहा है कोई आईटी सेल वाला नहीं.”
गाली-गलौज भरी भाषा का पहला उदाहरण है यह ट्वीट. कन्नौज में बनी फॉरेंसिक लैब को लेकर समाजवादी पार्टी मीडिया सेल ने पहले ट्वीट करते हुए लिखा, “तोतले और खैनीचन्द सूर्तीबाज सुब्रत पाठक ये कन्नौज के तालग्राम की फोरेंसिक लैब है कोई पान बीड़ी की दुकान नहीं? अब ये बताओ कि इसके समेत पूरे यूपी में बनी फोरेंसिक लैब्स कब से पूरी तरह शुरू होंगी? लेकिन ये बोलने के लिए मुंह भी तो खुलना चाहिए खैनीबाज का?”
जिस फोटो का इस ट्वीट में उपयोग किया गया है, वही फोटो समाजवादी पार्टी के आधिकारिक अकाउंट से भी ट्वीट किया गया है. लेकिन उसमें भाषा का स्तर गाली-गलौज वाला नहीं है.
भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने मैनपुरी उपचुनावों के दौरान अखिलेश यादव का एक गली से प्रचार करते हुए गुजरने का एक फोटो शेयर करते हुए लिखा, “सचमुच #पत्नी सभी रिश्तों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है.. जिसके लिए गांव गलियों की खाक छानी जा सकती है....”
त्रिपाठी के इस ट्वीट पर मीडिया सेल ने ट्वीट करते हुए लिखा, “आपके दल का एक नेता बीवी छोड़कर भाग खड़ा हुआ, दूसरे की शादी हुई ही नहीं क्योंकि वो लायक नहीं था, तीसरा एक था जो कहता था मैं कुंवारा हूं ब्रह्मचारी नहीं. तुम अपनी बीवी का ख्याल रखो राकेश त्रिपाठी, ऐसा ना हो तुम इधर मंत्रियों के घर चक्कर लगाओ, उधर तुम्हारे घर तुम्हारा पड़ोसी चक्कर मारे.”
भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने मैनपुरी उपचुनावों के दौरान अखिलेश यादव का एक गली से प्रचार करते हुए गुजरने का एक फोटो शेयर करते हुए लिखा, “सचमुच #पत्नी सभी रिश्तों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है.. जिसके लिए गांव गलियों की खाक छानी जा सकती है....”
त्रिपाठी के इस ट्वीट पर मीडिया सेल ने ट्वीट करते हुए लिखा, “आपके दल का एक नेता बीवी छोड़कर भाग खड़ा हुआ, दूसरे की शादी हुई ही नहीं क्योंकि वो लायक नहीं था, तीसरा एक था जो कहता था मैं कुंवारा हूं ब्रह्मचारी नहीं तुम अपनी बीवी का ख्याल रखो राकेश त्रिपाठी, ऐसा ना हो तुम इधर मंत्रियों के घर चक्कर लगाओ, उधर तुम्हारे घर तुम्हारा पड़ोसी चक्कर मारे.”
राकेश त्रिपाठी ने एक अन्य ट्वीट में आजम खान का एक पुराना वीडियो शेयर किया जिसमें वह मुलायम सिंह यादव के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए नजर आ रहे हैं.
जिसके जवाब में मीडिया सेल ने ट्वीट करते हुए लिखा, “हे किन्नरपुत्र राकेश त्रिपाठी! तुम्हें दलाली का ये गुण जन्मना मिला है या बाद में सीखे हो? या घर से ही बचपन से ही शुरू कर दिए थे? हे संघ की शाखाओं के सच्चे स्वयंसेवक! संघ की शाखाओं में तुम्हारी मासूमियत 377 वाले तरीके से कैसे कैसे लुटी इसका प्रत्यक्ष उदाहरण तुम हो!”
पत्रकार मनीष पांडे ने एक ट्वीट किया. जिसमें उन्होंने लिखा कि आईटी मंत्रालय ने साल 2013-22 के बीच 30000 से अधिक वेबसाइटों, सोशल मीडिया पोस्ट/खातों को ब्लॉक कर दिया....अब इनकी बारी है.
पांडे के इस ट्वीट पर मीडिया सेल ने सारी हदें पार करते हुए लिखा, “लखनऊ के गोमतीनगर विस्तार क्षेत्र में एक बार एक पत्तलकार की उसकी अर्धांगिनी जी ने डंडे से स्विफ्ट कार तोड़ी थी और पत्तलकार महोदय की जमकर घर में पिटाई की थी, बूझो तो जानें? जितने पन्ने पलटोगे, जितने आगे बढ़ोगे, उतनी कहानियां निकलेंगी और बात निकलेगी तो बहुत दूर तलक जायेगी!”
सिर्फ इन प्रवक्ताओं पर ही नहीं बल्कि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या को लेकर भी कई अभद्र टिप्पणियां की गई हैं. इस तरह की भाषा का उपयोग करने पर जब न्यूज़ 18 की एक पत्रकार ने शो किया और ट्वीट किया तो उस पर मीडिया सेल ने लिखा, “जब एक एंकर खुद ट्रोल की तरह ट्वीट करेगा और डिबेट में भाजपा प्रवक्ता की तरह तर्क वितर्क और कुतर्क करेगा, तो अंतर तो खत्म हो ही जायेगा ना आस्था कौशिक जी! एक एंकर वो जिसने रिजाइन किया तो देश भर ने सर आंखों पर उठा लिया, एक एंकर वो जिसे रोज गालियां पड़ती हैं, अंतर स्पष्ट है ना!”
इसी तरह जब आजतक के एंकर आशुतोष चतुर्वेदी ने मीडिया सेल की भाषा को लेकर ट्वीट किया. तो उस पर मीडिया सेल ने उन्हें जवाब देते हुए कहा कि भाजपा ने भी कई बार भाषा की मर्यादा तोड़ी है. अब ‘शठे शाठ्यम समाचरेत’ वाली भाषा में जवाब दिया जा रहा है.
पार्टी का पक्ष
इस मामले में जहां अभी तक पुलिस के हाथ खाली हैं. वहीं पार्टी भी इस ट्विटर हैंडल को लेकर कशमकश में है. पार्टी के नेता यह तो स्वीकार कर रहे हैं कि ये हैंडल पार्टी का है, लेकिन इसे कौन चला रहा है इसको लेकर कोई जानकारी नहीं है. समाजवादी पार्टी का मीडिया सेल देखने वाले आशीष यादव न्यूज़लॉन्ड्री से बात करने पर कहते हैं कि वह इस पर बात करने के लिए अधिकृत नहीं हैं. इसके लिए प्रवक्ता से बात करिए.
सपा के सोशल मीडिया और आईटी सेल से जुड़े एक कर्मचारी नाम न छापने पर कहते हैं, “जिस अकाउंट से ट्वीट हो रहा है वह वेरिफाइड अकाउंट है. इसका मतलब है कि वह पार्टी का ही है. लेकिन इसे कौन चला रहा है इसकी जानकारी नहीं है. इसके बारे में जानकारी जुटाई जा रही है.”
ट्विटर हैंडल कौन चला रहा है इसके बारे में सपा के नेताओं को भी नहीं पता है. इसको लेकर न्यूज़लॉन्ड्री ने पार्टी के कई प्रवक्ताओं से बात की.
पार्टी प्रवक्ता अब्बास हैदर ट्विटर हैंडल को लेकर कहते हैं, “उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं है.”
घनश्याम तिवारी कहते हैं, “हम इसे आधिकारिक हैंडल नहीं मानते. हमें इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है.”
समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी भी कहते हैं, “उन्हें नहीं पता है कि यह ट्विटर हैंडल कौन चलता है.”
पार्टी के अन्य प्रवक्ता उदयवीर सिंह कहते हैं, “न मैं तो उस हैंडल को जानता हूं और न ही मैं उसको तवज्जो देता हूं.”
आगे वह जिस तरह की भाषा का उपयोग ट्विटर हैंडल पर हो रही है उसको लेकर कहते हैं, “अगर मैं इस तरह की भाषा का समर्थक होता तो मैं भी ऐसा लिख सकता था या बोल सकता था.” क्या पार्टी बैठक के अंदर इस ट्विटर हैंडल को लेकर चर्चा हुई है इस पर वह कहते है, “बैठक में क्या बात हुई है इसको लेकर मैं नहीं बता सकता.”
वह आगे कहते है कि अगर हमें सवाल करना है तो वहां से करे जहां से यह शुरू हुआ है. यहां ‘जहां से शुरू’ से उनका इशारा भाजपा की तरफ है. वह ट्विटर हैंडल को लेकर कहते हैं, “बहुत से लोग हैं जो उस भाषा का समर्थन कर रहे हैं. जिनको उसने गाली दी उन्होंने केस दर्ज कराया है. एफआईआर दर्ज हो गई. वह लोग अपना-अपना डील कर रहे हैं.”
एक तरफ जहां प्रवक्ताओं को ही नहीं पता कि यह हैंडल कौन चल रहा है और न ही वह यह बात स्वीकार कर रहे हैं कि यह उनका आधिकारिक ट्विटर हैंडल है. वहीं इस ट्विटर हैंडल को लेकर पार्टी ने अभी तक कोई बयान जारी नहीं किया है.
भाजपा के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी समाजवादी पार्टी मीडिया सेल की भाषा को लेकर कहते हैं, “इस तरह की भाषा सपा का निम्न स्तर दिखाती है.”
वह आगे कहते है कि समाजवादी मीडिया सेल की भाषा को लेकर पत्रकारों ने अखिलेश यादव से भी सवाल किया लेकिन वह चुप्पी साध लेते हैं. इसका मतलब है कि इस तरह की भाषा पर उनकी मूक सहमति है.
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