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क्या दिल्ली एमसीडी चुनाव में ओवैसी की एंट्री से बदल गए समीकरण?

दिल्ली एमसीडी चुनावों में असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री से ये चुनाव कहीं ज्यादा दिलचस्प हो गए हैं. जहां अभी तक कूड़ा और भ्रष्टाचार एमसीडी चुनाव के मुख्य मुद्दे थे, वहीं रविवार को असदुद्दीन ओवैसी ने दिल्ली में जनसभा के दौरान उन मुद्दों को उठाया जिनसे आम आदमी पार्टी अब तक बचती रही है. 

ओवैसी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सीएए, दिल्ली दंगों, बिलकिस बानो, बुर्का और यूनिफॉर्म सिविल कोड पर घेरा. उन्होंने मुस्तफाबाद और सीलमपुर में दिल्ली दंगों के जख्मों को ताज़ा करने के साथ-साथ, केजरीवाल द्वारा कोविड के दौरान मुसलमानों को बदनाम करने की साजिश रचने का आरोप लगाया. उन्होंने यहां तक कह दिया कि केजरीवाल छोटा रिचार्ज हैं और 2013 के मोदी हैं.

दिल्ली एमसीडी चुनावों में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम, 16 सीटों पर चुनाव लड़ रही है जिसके चलते ओवैसी ने रविवार को दिल्ली के मुस्तफाबाद, सीलमपुर, श्री राम कॉलोनी, ओखला और शाहीन बाग में जनसभाओं को संबोधित किया और मुसलमानों से एआईएमआईएम के पक्ष में वोट डालने की अपील की. अपनी जनसभाओं के दौरान ओवैसी ने केंद्र सरकार, आम आदमी पार्टी और केजरीवाल की जमकर आलोचना की.

श्री राम कॉलोनी में केजरीवाल पर दिल्ली दंगों को न रोकने का आरोप लगाते हुए ओवैसी ने कहा, "जब दिल्ली में हिंदू और मुसलमानों में नफरत की आग भड़क गई, मुख्यमंत्री का काम था कि वह हिंदू और मुसलमानों के दिलों को मिलाता. जाकर लोगों से अपील करता कि नफरत की आग मत उठाइए, इससे हमारा नुकसान होगा देश का नुकसान होगा. मगर दिल्ली का मुख्यमंत्री क्या करता है? अपने मंत्रियों को लेकर राजघाट पर जाकर अपनी जबान और आंखों को बंद करके बैठ जाता है."

ओवैसी ने कोविड-19 के दौरान केजरीवाल पर तबलीगी जमात और मुसलमानों को बदनाम करने का आरोप भी लगाया. ओवैसी ने कहा, "जब मुल्क में कोविड-19 हुआ था तो पूरे मुल्क में सबसे पहले अगर किसी ने मुसलमानों को बदनाम करने की साजिश की और उसकी शुरुआत की, तो उस शख्स का नाम दिल्ली का मुख्यमंत्री केजरीवाल था. तबलीगी जमात को सुपर स्प्रेडर कहा.”

ओवैसी ने आगे कहा कि केजरीवाल की वजह से पूरे मुल्क में दाढ़ी रखने वालों और बुर्का पहनने वालों को शक की निगाह से देखा गया. यहां तक कि दिल्ली दंगों के दौरान इन्हीं की पार्टी का एक शख्स, जो बीजेपी में चला गया, उसने नारा लगाया देश के गद्दारों को गोली मारो... लेकिन उसके खिलाफ दिल्ली के मुख्यमंत्री एफआईआर दर्ज नहीं करवाते, लेकिन तबलीगी जमात के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाते हैं.”

बता दें कि यहां ओवैसी कपिल मिश्रा की बात कर रहे थे. जो पहले आम आदमी पार्टी में थे. पार्टी में विवाद के चलते वह भाजपा में शामिल हो गए थे.

हालांकि बीच-बीच में वे दिल्ली के मुस्लिम मोहल्लों में गंदगी व शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं के अभाव की भी बात करते रहे. जाफराबाद की जनसभा में काफी भीड़ थी, लोग घरों की बालकनी और छतों से ओवैसी को सुन रहे थे. केजरीवाल पर इस अंदाज में हमले कर रहे थे, जैसे केजरीवाल ही उनके लिए सबसे बड़ा खतरा हों.

वहीं शाहीन बाग में ओवैसी ने सीएए विरोधी आंदोलन और खालिद सैफी का मुद्दा उठाया. हालांकि यहां भी वह केजरीवाल पर हमला बोलने से नहीं चूके. उन्होंने कहा, "जब शाहीन बाग में सीए के खिलाफ आंदोलन चल रहा था तो केजरीवाल ने कहा था अगर मुझे मौका मिलता तो मैं शाहीन बाग को आधे घंटे में हटा देता."

खालिद सैफी का जिक्र करते हुए ओवैसी ने कहा, "खालिद सैफी जेल में है उसकी पत्नी रोते हुए वीडियो जारी करती है कि मेरा पति बीमार है उसका इलाज नहीं हो पा रहा है वह मर जाएगा. वहीं दूसरी तरफ दिल्ली के मुख्यमंत्री का एक मंत्री जेल में है जो खालिद सैफी से बड़ा आरोपी है उसके पैरों में तेल लगाया जा रहा है और खालिद को जेल जाने से पहले लाठियों से मारा गया था."

ओवैसी ने मुस्तफाबाद में मुसलमानों से अपील की कि कांग्रेस और आप को वोट देने के बजाय अपनी लीडरशिप तैयार करें. उन्होंने कहा, "बीजेपी को फायदा मुझसे नहीं हो रहा है बीजेपी को फायदा इनसे हो रहा है. चाहे कांग्रेस हो या केजरीवाल की पार्टी हो इनमें इतनी ताकत नहीं की है बीजेपी को हरा सकें और गले में सांप हमारे डालते हैं कि तुम रोको बीजेपी को. कांग्रेस और केजरीवाल के वोट से मोदी दो मर्तबा प्रधानमंत्री बन गए."

दिल्ली में करीब 12 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं, जिसके चलते हर आठवां वोटर मुसलमान है. दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 8 और नगर निगम की 250 सीटों में से करीब 50 सीटों पर मुस्लिम मतदाता अहम भूमिका निभाते हैं.

मुस्तफाबाद मुस्लिम बाहुल्य इलाका है. यहां मुस्लिम समुदाय की आबादी करीब 98 प्रतिशत है. मुस्तफाबाद कांग्रेस का गढ़ भी रहा है. पिछली दो बार से लगातार पार्षद परवीन बेगम इस बार मुस्तफाबाद वार्ड नंबर 243 से चुनावी मैदान में हैं. 

असदुद्दीन ओवैसी के भाषण पर प्रतिक्रिया देते हुए वह कहती हैं, “असदुद्दीन ओवैसी बहुत बड़े नेता हैं. इतने बड़े नेता हैं कि वो कभी-कभी घूमने आ जाते हैं. इस बार चुनाव में भी वह घूमने आ गए थे. इसी तरह उनके मुद्दे भी हैं जिनका जमीन से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने दिल्ली दंगों की बात की, लेकिन आप जनता से जाकर पूछिए कि दंगों के दौरान मैं और मेरे पति मोहम्मद मारूफ जनता के लिए खड़े थे तब ओवैसी साहब कहां थे. वह आज आम आदमी पार्टी को हराने के बात कर रहे हैं लेकिन पिछले 10 सालों में मुस्तफाबाद में मैंने आम आदमी पार्टी को लगातार दो बार हराया है. इस बार भी हम आम आदमी पार्टी को हराने जा रहे हैं क्योंकि यहां जनता का मसला हो या फिर कोई परेशानी हम उनके साथ दिन-रात खड़े रहते हैं. ओवैसी साहब सिर्फ वो पॉलिटिक्स करते हैं जिससे भाजपा का फायदा हो और सिर्फ इसलिए वहां पर आए थे."

जाफराबाद के रहने वाले 50 वर्षीय शमशाद बताते हैं, “मैं भी सदर साहब (ओवैसी) को सुनने गया था. उनकी बात में दम है लेकिन सच बताऊं तो यहां लड़ाई कांग्रेस और आप के बीच है. इतने दिन से चुनाव प्रचार चल रहा है सभी पार्टियां नुक्कड़ सभा, पदयात्रा और रैलियां कर रही हैं, लेकिन एआईएमआईएम ने न तो पदयात्रा क और न नुक्कड़ सभा की बस एक जनसभा की है. उससे क्या होगा? भाई जब तक आम जनता से मिलेंगे नहीं तो जनता आपके साथ कैसे आएगी? मुस्तफाबाद में 70 प्रतिशत मुसलमान हैं और सारे कैंडिडेट भी मुसलमान हैं, ऐसे में जनता तो उसे ही वोट करेगी न जो जनता के ज्यादा करीब होगा?”

वहीं जाफराबाद के कांग्रेसी नेता अब्दुल रहमान कहते हैं, “देखो जी यह कोई लोकसभा या विधानसभा का चुनाव तो है नहीं, गली मोहल्ले का चुनाव है. इसके मुद्दे भी गली मोहल्ले वाले होते हैं. गली मोहल्ले के लोग लड़ते हैं और वही जीतता है जिसके लोगों से व्यक्तिगत संबंध और काम अच्छे होते हैं. दंगे में नुकसान मुसलमानों का भी हुआ था और हिंदुओं का भी हुआ था, वो वक्त बीत गया. अब लोग शांति से मिलजुल कर रह रहे हैं तो पुराने जख्म कुरेदना अच्छी बात थोड़ी न है, इससे जनता का ही घाटा है.”

सीलमपुर भी मुस्लिम बाहुल्य इलाका है. यहां से आम आदमी पार्टी के विधायक अब्दुल रहमान कहते हैं, "ओवैसी जिन मुद्दों पर राजनीति कर रहे हैं, आम आदमी पार्टी उन मुद्दों पर राजनीति नहीं करती. आम आदमी पार्टी विकास पर राजनीति करती है. स्कूल, अस्पताल और काम की बात करती है. जनता वह नहीं चाहती जो ओवैसी कह रहे हैं बल्कि जनता चाहती है कि उनके यहां अस्पताल और स्कूल सही हों, नालियां साफ हों, दिल्ली से कूड़े के पहाड़ साफ हों."

वहीं मौजपुर वार्ड नंबर 228 से भाजपा प्रत्याशी अनिल कुमार शर्मा कहते हैं" “जनता मोदी जी के साथ है. जनता को मोदी जी पर भरोसा है. हमारे इलाके में हिंदू मुस्लिम सब मिलकर रहते हैं और सब मोदी जी को पसंद करते हैं. ओवैसी क्या बोलते हैं उससे जनता को कोई फर्क नहीं पड़ता. बस इतना जान लीजिए केजरीवाल या ओवैसी कुछ भी बोले एमसीडी में इस बार जनता फिर से भाजपा को लाने वाली है.

हालांकि यह साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि एमसीडी चुनावों में ओवैसी, जीत का समीकरण किस हद तक प्रभावित कर सकते हैं. लेकिन जिस लहजे और आक्रामकता के साथ वह केजरीवाल पर आक्रमण कर रहे हैं और जिन मुद्दों को लेकर केजरीवाल को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं, उससे यह साफ पता चलता है कि ओवैसी बड़ी पारी खेलने की तैयारी में हैं.

इस चुनाव में भाजपा ने केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और स्टार प्रचारकों की फौज उतार दी है. वहीं आम आदमी पार्टी की तरफ से केजरीवाल और मनीष सिसोदिया आम आदमी पार्टी के नेता और मंत्रियों के साथ लगातार जनसभाएं और रोड शो कर रहे हैं.

एमसीडी चुनाव में जहां भाजपा अपना किला बचाने की लड़ाई लड़ रही है, तो वहीं आम आदमी पार्टी दिल्ली की पूरी सत्ता को अपने हाथों में लेने की लड़ाई लड़ रही है. वहीं कांग्रेस दिल्ली में फिर से वापसी करने की जद्दोजहद में है. चाहे मुस्तफाबाद हो, सीलमपुर या फिर शाहीन बाग, रविवार को ओवैसी की सभी जनसभाओं में भारी भीड़ देखने को मिली.

इस चुनाव में ओवैसी ने उन मुद्दों को छेड़ दिया है जिस पर इस पूरे इलेक्शन में चुप्पी थी. हालांकि अभी आम आदमी पार्टी और केजरीवाल की तरफ से ओवैसी के बयानों को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. दिल्ली के 250 एमसीडी वार्डों के लिए 4 दिसंबर को वोटिंग होनी है.

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