NL Charcha
एनएल चर्चा 241: श्रद्धा हत्या केस, जी 20 वार्ता और टेक-जगत में जाती नौकरियां
एनएल चर्चा के इस अंक में जी 20 देशों की बैठक, दिल्ली के श्रद्धा वॉकर हत्याकांड, सुप्रीम कोर्ट द्वारा जबरन धर्म परिवर्तन पर व्यक्त की गई चिंता, गुजरात में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी के नामांकन वापस लेने के बवाल, आठ अरब हुई दुनिया की आबादी, कॉप 27 की बैठक और 20 नवंबर से कतर में शुरू हो रहा फीफा विश्व कप समेत कई अन्य विषयों का जिक्र हुआ.
चर्चा में इस हफ्ते महिला अधिकार कार्यकर्ता कविता कृष्णन, पत्रकार हृदयेश जोशी और न्यूज़लॉन्ड्री के सह-संपादक शार्दूल कात्यायन शामिल हुए. संचालन कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
अतुल चर्चा की शुरुआत श्रद्धा हत्याकांड से करते है. वह बताते हैं कि पुलिस के हवाले से ही अभी तक सारी जानकारियां आ रही हैं. आरोपी आफताब पूनावाला ने श्रद्धा की हत्या के बाद उसके शव के 35 टुकड़े कर दिए. वे कविता से सवाल करते हुए पूछते हैं, “जब रिश्ते खराब हो जाते है तो वहां से बाहर निकलने पर क्या दिक्कतें होती है?”
कविता जवाब देते हुए कहती हैं, “श्रद्धा हत्याकांड के मामले के बीच दिल्ली में ऐसे ही दो और मामले सामने आए. हत्या के कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है घरेलू उत्पीड़न के मामले क्योंकि यहीं से सब चीजें शुरू होती है. दुनिया भर में यह कहा जाता है कि आमतौर पर महिलाएं सात बार कोशिश करती हैं, उसके बाद ही वह रिश्ते को छोड़ पाती है. इसमें कोई दूसरा फैक्टर महत्व नहीं रखता. जब कोई शारीरिक और मानसिक तौर पर कैद रहे तो उसकी खुद की पहचान नहीं होती. यह सबसे बड़ी वजह है रिश्ते से बाहर न आ पाने की.”
इस विषय पर शार्दूल कहते हैं, “हमारे व्यक्तिगत रिश्ते बहुत पेचीदा होते हैं. आपका परिवार आपको अनेक वजहों से छोड़ सकता है लेकिन आत्मसम्मान की लड़ाई सबको अकेले ही लड़नी पड़ती है. शारीरिक बल के तौर पर हमेशा महिलाएं दबाई गईं, लेकिन अब चीजें धीरे-धीरे बदल रही हैं. अगर कोई महिला अकेले अपने दम पर खड़ी होना चाहती है तो हमारे समाज में कोई सपोर्ट सिस्टम नहीं है. उसे समाज के 100 सवालों का जवाब देना होगा, वहीं पुरुष को शायद 10 ही सवालों के जवाब देने पड़ें.”
हृदयेश अपनी टिप्पणी करते हुए कहते हैं, “हमारा जो समाज हमेशा कहता है कि हम शांति प्रिय लोग हैं, लेकिन हम बहुत हिंसक लोग हैं. बहुत सारी लड़कियां ऐसी हैं जो दिल्ली नहीं आ सकतीं, या आगे नहीं पढ़ पाती. तो वह अपने बच्चों को बताती हैं कि अगर उन्हें मौका मिलता तो वह बहुत कुछ कर पाती. दूसरा, एक पैरेंट के नजरिए से जो सीख मिली, वह ये कि बच्चों के साथ कम्युनिकेशन करने की बहुत जरूरत है.”
इस विषय के विभिन्न पहलुओं के अलावा चर्चा में जी 20 बैठक और बढ़ती जनसंख्या और उससे जुड़े पहलुओं पर बात हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए हमारा यह पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
टाइम कोड
00:00:00 - 00:10:32 - इंट्रो, हेडलाइंस और जरूरी सूचना
00:10:32 - 00:23:50 - विश्व की बढ़ती जनसंख्या
00:23:50 - 00:47:10 - श्रद्धा हत्याकांड
00:47:10 - 01:09:10 - जी 20 और कॉप 27 की बैठक
01:09:10 - 1:20:00 - टेक कंपनियों में हो रही छंटनी
1:20:00 - सलाह और सुझाव
पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए
शार्दूल कात्यायन
कतर को कैसे मिली विश्वकप की मेजबानी
वैश्वीकृत दुनिया में पहला आधुनिक वित्तीय संकट
न्यूज़लॉन्ड्री पर प्रकाशित हंसल मेहता का इंटरव्यू
कविता कृष्णन
फ्लाविया एग्नेस की किताब - माय स्टोरी आवर स्टोरी
ह्रदयेश जोशी
जोसेफ स्टिग्लिट्ज़ की किताब - प्राइज ऑफ इनईक्वैलिटी
शोशना जुबॉफ़ की किताब - एज ऑफ सर्विलांस कैपलिटिजम
अतुल चौरसिया
गुजरात और हिमाचल प्रदेश को लेकर चल रहे एनएल सेना प्रोजेक्ट को सपोर्ट करें
कतर में हो रहे विश्व कप को लेकर इंडियन एक्सप्रेस पर प्रकाशित लेख
***
***
प्रोड्यूसर- चंचल गुप्ता
एडिटिंग - उमराव सिंह
ट्रांसक्राइब - अश्वनी कुमार सिंह
Also Read
-
The unbearable uselessness of India’s Environment Minister
-
‘Why can’t playtime be equal?’: A champion’s homecoming rewrites what Agra’s girls can be
-
After Sindoor, a new threat emerges: How ‘educated terror’ slipped past India’s security grid
-
Pixel 10 Review: The AI obsession is leading Google astray
-
Do you live on the coast in India? You may need to move away sooner than you think