Video
दैनिक जागरण की "लव-जिहाद" खबरों का फैक्ट-चेक
3 अक्टूबर 2022 को गाज़ियाबाद पुलिस ने एक तहरीर के आधार पर आस मोहम्मद को गिरफ्तार कर लिया. घटना के दो हफ्तों के भीतर ही दैनिक जागरण में तीन एक्सक्लूसिव खबरें प्रकाशित हुईं, जिनमें कथित तौर पर लव-जिहाद का ज़िक्र किया गया.
11 अक्टूबर को प्रकाशित खबर में ये दावा किया गया की आस मोहम्मद ने “15 युवतियों को लव-जिहाद में फंसाया है.” उसे गाजियाबाद के एकला गांव से गिरफ्तार किया गया था. मंदिर के सेवादारों द्वारा आरोप लगाया गया कि वह मंदिर में समीर शर्मा के नाम से आया था, और उसकी मंशा हमला करने की थी.
इस कथानक के आधार पर दैनिक जागरण में 14 व 15 अक्टूबर को प्रकाशित हुई अन्य दो खबरों में दावा किया गया कि आस मोहम्मद "जिहाद के खिलाफ बोलने वालों पर नजर रखना चाहता था", तथा "उसके जम्मू कश्मीर में एक कट्टर संगठन से संबंध हैं."
न्यूज़लॉन्ड्री ने आस मोहम्मद के घर, ग्रेटर नोएडा स्थित पल्ला गांव में जाकर उसके पड़ोसियों व रिश्तेदारों से बात की. इन सभी ने उसकी 2-3 शादियों की पुष्टि की. धर्मांतरण की बात को लेकर सबका कहना था कि ये सभी शादियां मुस्लिम महिलाओं के साथ थीं.
एक अन्य महिला की तहरीर के आधार पर आस मोहम्मद के खिलाफ पहली एफआईआर धारा 376 (बलात्कार) और दूसरी एफआईआर धारा 419 (असली पहचान छुपाने) के लिए 4 अक्टूबर को दर्ज की गयी. पीड़िता की माँ ने बातचीत में बताया कि उनकी बेटी आस मोहम्मद को जानती नहीं थी, बस उसके साथ कोचिंग में पढ़ती थी. उन्होंने कहा कि वे उससे न कभी मिलीं और न ही उसे पहचानती हैं, और उनकी बेटी की शादी मनीष नाम के व्यक्ति से हुई है.
न्यूज़लॉन्ड्री ने दैनिक जागरण की एडिटोरियल टीम को इस खबर से जुड़े कुछ सवाल भेजे हैं. जवाब मिलने पर रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
तीनों खबरों को रिपोर्ट करने वाले पत्रकार आशुतोष गुप्ता ने न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में अपने सूत्रों का हवाला देते हुए कहा कि खबरों से जुड़ी तस्वीरें, जो आस मोहम्मद के संबंध अन्य लड़कियों से साबित करती हैं, वे उनके पास मौजूद हैं. हमने उनसे पूछा कि फिर इसमें लव-जिहाद की बात कहां से आ गयी? तो उन्होंने यह भी बताया कि आस मोहम्मद हमेशा अपना नाम बदलकर इन युवतियों से मिलता था. कट्टर संगठन से संबंधों के बारे में पूछने पर वे बताते हैं कि कुछ तस्वीरें जम्मू-कश्मीर के नंबर पर भेजी गयी थीं, इसलिए ये लिंक भी साबित होता है.
गाजियाबाद स्थित मसूरी थाने पर तैनात एक पुलिस अधिकारी ने अपना नाम न बताने की शर्त पर न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि खबरों में प्रकाशित तथ्य, फिलहाल विवेचना में नही पाये गये हैं.
Also Read
-
TV Newsance 326: A Very Curly Tale, or how taxpayers’ money was used for govt PR
-
From J&K statehood to BHU polls: 699 Parliamentary assurances the government never delivered
-
Let Me Explain: How the Sangh mobilised Thiruparankundram unrest
-
TV Newsance 325 | Indigo delays, primetime 'dissent' and Vande Mataram marathon
-
The 2019 rule change that accelerated Indian aviation’s growth journey, helped fuel IndiGo’s supremacy