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जामिया में चयन के बाद भी क्यों नहीं लिया जा रहा छात्रों का पीएचडी में एडमिशन?

सैकड़ों छात्रों ने जामिया मिलिया इस्लामिया में पीएचडी में प्रवेश के लिए आवेदन किया. प्रवेश प्रक्रिया से गुजरने के बाद चयनित छात्रों की सूची जामिया प्रशासन ने अपनी वेबसाइट पर जारी की. भूगोल विभाग के लिए चयनित छात्रों की सूची में बिहार से भूगोल में स्नातकोत्तर कर के आए हाशिम का नाम भी शामिल है. 12 सितंबर को जब हाशिम फैकल्टी ऑफ नेचुरल साइंस के डीन कार्यालय में दाखिले के लिए पहुंचे, तो वहां उनको लेने से मना कर दिया गया.

ये कहानी महज़ हाशिम की नहीं है. जामिया के अलग-अलग विभागों में पीएचडी के लिए चयनित होने वाले छात्रों में कई छात्र ऐसे हैं, जिन्हें इसी तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. कुछ विभागों ने दाखिला न देने की वजह विशेषज्ञ का न होना बताया, तो वहीं कुछ ने बिना कोई कारण बताए ही छात्रों को लौटा दिया.

इसके बाद से छात्र अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं और किसी तरह दाखिला लेने की राह तलाश रहे हैं.

दरअस्ल 11 अगस्त को जामिया की वेबसाइट पर परीक्षा नियंत्रक की ओर से सभी विभागों में पीएचडी (सत्र 2021-22) के लिए चयनित हुए छात्रों की सूची जारी की गई. इसके साथ जारी किए गए नोटिस में लिखा है, “निम्नलिखित उम्मीदवारों का उक्त विभाग में पीएचडी में प्रवेश के लिए प्रावधिक चयन किया गया है. चयनित उम्मीदवारों को दस्तावेजों के सत्यापन/जमा करने और ऑफर लेटर लेने के लिए 24 अगस्त 2022 से 26 अगस्त 2022 तक डीन/डायरेक्टर के कार्यालय में रिपोर्ट करना आवश्यक है.”

16 अगस्त को परीक्षा नियंत्रक द्वारा एक अन्य नोटिस जारी कर, दाखिला प्रक्रिया की तारीखों को 24 अगस्त से बढ़ाकर 7 से 9 सितंबर 2022 कर दिया गया. वहीं 27 अगस्त को पीएचडी समन्वयक और परीक्षा नियंत्रक की ओर से संयुक्त रूप से जारी की गई सूचना में, दाखिले की तारिख एक बार फिर बढ़ाकर 12 से 14 सितंबर कर दी गई.

इस तरह कुल मिलाकर दाखिला लेने की तारीख को दो बार बढ़ाया गया.

हाशिम बताते हैं, “प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद मेरी सिनोप्सिस और रिसर्च प्रपोजल के आधार पर मुझे इंटरव्यू और प्रेजेंटेशन के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया. मैंने अपनी प्रेजेंटेशन दी जिसके बाद फाइनल सिलेक्शन लिस्ट आई और उसमें मेरा नाम भी था. मैं अपने तमाम डाक्यूमेंट्स जो लिस्ट में लिखे थे लेकर जब एडमिशन लेने पहुंचा, तो उन्होंने एडमिशन लेने से मना कर दिया.”

हाशिम से कहा गया कि उन्होंने शोध का जो विषय चुना है, उसके लिए विभाग के पास कोई विशेषज्ञ नहीं है. इस बात पर हाशिम तर्क देते हैं, “यह सभी बातें इंटरव्यू के समय तय हो जाती हैं. जब मैंने अपना सिनोप्सिस जमा किया, उसी समय से अथॉरिटीज को पता था मेरे विषय के बारे में, और उसी आधार पर मेरा फाइनल सूची में नाम आया है. तो फिर अब किस आधार पर मेरा एडमिशन रोका गया है?”

बता दें कि हाशिम के अलावा, भूगोल विभाग के लिए चयनित 20 में से 7 अन्य छात्रों को प्रवेश देने से इनकार कर दिया गया है.

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद से हमने इस बारे में बात की. पीएचडी में दाखिले की प्रक्रिया के बारे में वे बताते हैं कि इसके तीन चरण होते हैं. पहला चरण लिखित परीक्षा का होता है और दूसरा इंटरव्यू का. जो छात्र नेट/जेआरएफ अर्हता प्राप्त होते हैं, उन्हें लिखित परीक्षा नहीं देनी पड़ती.

अपूर्वानंद कहते हैं, “जो इंटरव्यू का चरण होता है, उसी में आपकी रूचि किस क्षेत्र में है इस पर चर्चा हो जाती है. विभाग को भी यह मालूम होता है कि उसके पास उक्त विषय पर रिसर्च के लिए रिसोर्सेज़ हैं या नहीं, और वो उसे गाइड कर सकते हैं या नहीं. वे ऐसा नहीं कर सकते कि एडमिशन ले लें और उसके बाद बताएं कि हमारे पास आपके विषय के लिए एक्सपर्ट नहीं है.”

वहीं जामिया के एजेके मास कम्युनिकेशन रिसर्च सेंटर (एमसीआरसी) में भी वेबसाइट पर उपलब्ध सूची के अनुसार पीएचडी के लिए 19 छात्रों का चयन हुआ था. जबकि सेंटर द्वारा जारी की गई सूची में केवल 11 छात्रों को स्थान दिया गया है. 8 छात्रों को किस आधार पर निकाला गया, इसका सेंटर ने कोई जवाब नहीं दिया.

कंट्रोलर ऑफ एग्जामिनेशन की ओर से जारी की गई सूची, जिसमें कुल 19 छात्रों का चयन हुआ.
एजेके एमसीआरसी द्वारा जारी की गई ऑफलाइन सूची, जिसमें 11 छात्रों का चयन किया गया.

एमसीआरसी में पीएचडी के लिए चयनित हुई एक छात्रा नाम नहीं बताने की शर्त पर कहती हैं, “12 सितंबर को जब हम एडमिशन के लिए गए तो हमें कहा गया कि 3 बजे से प्रक्रिया शुरू होगी. हालांकि 4 बजे भी प्रवेश प्रक्रिया शुरू नहीं की गई थी. 4.30 बजे सेंटर की ओर से एक ऑफलाइन लिस्ट जारी की गई और हमें बताया गया कि इस लिस्ट में जिन छात्रों का नाम है, केवल उन्हीं छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा. अन्य छात्रों का नाम क्यों लिस्ट से हटाया गया है इसका कोई जवाब हमें नहीं दिया गया.”

इसी क्रम में गणित विभाग में भी पीएचडी के लिए चुने गए 17 छात्रों की सूची जामिया की वेबसाइट पर जारी की गई. 12 से 14 सितंबर के बीच हुई प्रवेश प्रक्रिया में इस सूची में से केवल 3 छात्रों को ही प्रवेश मिल पाया, जबकि 13 छात्रों को विभाग ने प्रवेश देने से मना कर दिया. विभाग ने ऑफलाइन जारी किए नोटिस में इन छात्रों को प्रवेश न देने की वजह संबंधित विषय में जगह खाली न होना, और चुने गए विषय के लिए विशेषज्ञ उपलब्ध न होना बताई है.

गणित विभाग द्वारा ऑफलाइन जारी किया गया नोटिस, जिसमें छात्रों का एडमिशन नहीं लेने का कारण बताया गया है.

हमने गणित विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शहज़ाद से इस बारे में सवाल किए लेकिन उन्होंने कोई भी जवाब देने से इनकार कर दिया.

दाखिला न दिए जाने के लिए बताए गए इन कारणों से छात्र संतुष्ट नहीं हैं, और उनका यही सवाल है कि चयनित सूची में नाम होने के बाद भी उन्हें दाखिला क्यों नहीं दिया जा रहा.

एक अन्य छात्र ने न्यूज़लांड्री से बातचीत में कहा कि जिसे भी उन्होंने अपनी समस्या बताई, चाहे वह प्रोफेसर हो या प्रशासन, सभी उन्हें कहते हैं, “बेटा बहुत गलत हुआ है, आपके साथ ऐसा नहीं होना चाहिए. पता नहीं यह लोग ऐसा क्यों कर रहे हैं.”

वह आगे कहते हैं कि ऐसा कोई ज़िम्मेदारी नहीं ले रहा, जो उन्हें उनके सवालों का जवाब दे.

बता दें कि जामिया में पीएचडी के प्रवेश के लिए यह छात्र देश के अलग-अलग हिस्सों से आए हैं. वे इस समस्या का सामना व्यक्तिगत तौर पर कर रहे हैं और प्रशासन के पास अपनी-अपनी शिकायतें लेकर जा रहे हैं. चूंकि जामिया में न तो कोई छात्र संघ है और न ही अब तक कोई अन्य छात्र संगठन सामने आया है. ऐसे में छात्र यह लड़ाई बिना किसी नेतृत्व के लड़ रहे हैं.

एमसीआरसी में ही पीएचडी में दाखिला लेने आई एक छात्रा हमें बताती हैं, “जब मेरा नाम चयनित छात्रों की लिस्ट में आ गया तो मैंने अपनी जॉब छोड़ दी. कई अन्य संस्थानों में जहां मैंने पीएचडी एडमिशन के लिए आवेदन किया था, वह छोड़कर मैं जामिया आ गई और यहां बिना किसी ठोस वजह के मेरा एडमिशन नहीं लिया जा रहा.”

वह बताती हैं, “इस मामले को लेकर हमने यूजीसी को भी एप्लीकेशन दी है, क्योंकि हमें लगता है कि प्रशासनिक तौर पर ही इस समस्या को सुलझाया जा सकता है.”

इस बारे में हमने जामिया के जन संपर्क अधिकारी अहमद अज़ीम से भी बात की. उन्होंने कहा कि वे प्रशासन का पक्ष हमें बताएंगे, हालांकि दोबारा संपर्क किए जाने पर उन्होंने कोई साफ़ जवाब नहीं दिया. हमने उन्हें कुछ सवाल भेजे हैं. यदि वे जवाब देते हैं तो वह इस खबर में जोड़ दिए जाएंगे.

इस खबर में छात्रों के अनुरोध पर उनकी पहचान को गुप्त रखा गया है और काल्पनिक नाम का प्रयोग किया गया है.

21 सितंबर को अपडेट किया गया.

जामिया के रजिस्ट्रार प्रोफेसर नाजिम हुसैन जाफरी ने फोन पर बातचीत में बताया, “यहां एडमिशन को लेकर कोई मुद्दा नहीं है, जिन छात्रों का नाम सूची में आया है उनके दाखिले हो रहे हैं.”

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