Media
विपक्ष विरोधी और सांप्रदायिक खबरों की होड़ लगाता पब्लिक ब्रॉडकास्टर दूरदर्शन
4 अगस्त को राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, ‘‘दूरदर्शन गुणवत्तापूर्ण कंटेंट के लिए प्रतिबद्ध है.’’
ठाकुर ने शिवसेना के सांसद संजय राउत के सवालों का लिखित में जवाब दिया था. निजी चैनलों की तुलना में डीडी न्यूज़ की लोकप्रियता के सवाल पर ठाकुर कहते हैं, ‘‘बार्क की रेटिंग के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में निजी चैनलों की तुलना में कुल मिलाकर डीडी चैनलों ने अपनी शैली में लगभग समान स्तर बरकरार रखा है.’’
राउत ने दूरदर्शन के कंटेंट की समीक्षा को लेकर सवाल किया था. इसके जवाब में ठाकुर ने बताया, ‘‘दूरदर्शन गुणवत्तापूर्ण सामग्री के लिए प्रतिबद्ध है और इसी के मुताबिक इसने अपने नेटवर्क के लिए उच्च गुणवत्ता वाले कार्यक्रमों के निर्माण और अधिग्रहण हेतु कई कदम उठाए हैं.’’
क्या सच में दूरदर्शन गुणवत्तापूर्ण सामग्री के लिए प्रतिबद्ध है? ठाकुर के दावे को परखने के लिए न्यूज़लॉन्ड्री ने डीडी न्यूज़ के कार्यक्रम ‘दो टूक’ को चुना. ‘दो टूक’ डीडी न्यूज़ का चर्चित शो है. इसके एंकर अशोक श्रीवास्तव हैं जो डीडी में वरिष्ठ सलाहकार संपादक हैं.
न्यूज़लॉन्ड्री ने पाया कि ‘दो टूक’ कार्यक्रम मुस्लिम और विपक्ष विरोधी खबरें दिखाने में निजी चैनलों से तेजी से कदम मिला रहा है. जैसे निजी चैनलों में प्रश्नवाचक (?) और विस्मयादिबोधक (!) चिन्हों का इस्तेमाल भ्रम फैलाने के लिए होता है, वही हथकंडा डीडी में भी इस्तेमाल हो रहा है. मसलन ठाकुर के जवाब के चार दिन बाद ‘दो टूक’ कार्यक्रम की हेडलाइन थी- झारखंड का इस्लामीकरण?
इसके अलावा ऐसी ही कुछ हेडलाइंस दो टूक कार्यक्रम समेत कुछ दूसरे कार्यक्रमों की भी थीं.
भारत को इस्लामी देश बनाने की साजिश
जिन्ना पर तकरार, पाकिस्तान पर प्यार
‘जिन्ना जिताएंगे?’ और ‘जिन्ना पर तकरार, पाकिस्तान पर प्यार’ कार्यक्रम उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान किया गया. उस दौरान निजी टीवी चैनल क्या कर रहे थे. उसे भी देख लेते हैं. आज तक ने इस दौरान कई कार्यक्रम किए जिसमें से एक था, जिन्ना के सहारे यूपी में करेंगे राज? इसी तरह न्यूज़ 18 ने यूपी चुनाव में ‘जिन्ना’ वाला दांव!, नाम से शो चलाया था. ऐसे ही इंडिया टीवी ने भी कई शो किए जिसमें से एक था, जो करे जिन्ना से प्यार, वो कैसे करे पकिस्तान से इनकार?
निजी चैनलों और डीडी की हेडिंग में कोई खास अंतर नजर नहीं आता है. जिस चालाकी से निजी चैनल वाले हेडिंग देते हैं वही चालाकी डीडी में भी नजर आती है.
यही स्थिति झारखंड में कथित इस्लामीकरण वाली खबर की है. यह पूरा कार्यक्रम भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के बयान के बाद शुरू हुआ. जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि झारखंड की सोरेन सरकार प्रदेश का इस्लामीकरण कर रही है. एक तरफ जहां डीडी न्यूज़ ने झारखंड का इस्लामीरकण? शीर्षक से खबर चलाई वहीं ज़ी न्यूज़ ‘झारखंड के स्कूलों में ‘इस्लामिक रूल’! तो इंडिया टीवी ने, झारखंड के स्कूलों में शुक्रवार की छुट्टी पर बवाल, निशिकांत दुबे ने बताया इस्लामीकरण की साजिश हेडिंग के साथ कार्यक्रम किया था. यहां भी डीडी और निजी चैनलों में कोई खास अंतर नजर नहीं आता है.
अपने शो में श्रीवास्तव बार-बार निशिकांत दुबे के आरोप को पढ़कर सुनाते हैं. इस खबर के दौरान टीवी स्क्रीन पर दुबे का बयान दिखाया जाता है. मसलन- ‘झारखंड का तेजी से हो रहा इस्लामीकरण’, ‘बांग्लादेश से बड़ी संख्या में मुस्लिम घुसपैठ कर रहे हैं.’
श्रीवास्तव कहते हैं आज का मेरा सवाल है, ‘‘रविवार को नहीं, शुक्रवार को छुट्टी, झारखंड को कौन पिला रहा इस्लामीकरण को घुट्टी? अगर हम इंडिया टीवी के कार्यकम को देखें तो उसमें सवाल किया जाता है, "1800 स्कूलों में मजहबी मनमानी क्यों?", "स्कूलों को मजहबी अड्डा किसने बनाया?"
दो टूक के इस कार्यक्रम में बहस के लिए वरिष्ठ पत्रकार इंदुकान्त दीक्षित, राजनीतिक विश्लेषक शिवम त्यागी, कांग्रेस नेता विजय कौशिक और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के प्रमुख प्रियांक कानूनगो भी जुड़े थे.
आगे बढ़ने से पहले कार्यक्रम में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार इंदुकान्त दीक्षित और शिवम त्यागी को जान लेते हैं. इंदुकान्त दीक्षित उदयपुर में हुई घटना के बाद 29 जून को अपने फेसबुक पोस्ट में लिखते हैं, ‘‘देश में लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात करने वाले चैंपियंस ऐसा सिर्फ सनातन धर्मियों से ही क्यों उम्मीद करते हैं? आखिर यह भाव समस्त देशवासियों एवं सभी धर्मावलंबियों में क्यों नहीं होना चाहिए?
वहीं शिवम त्यागी अलग-अलग टीवी चैनलों पर अक्सर राजनीतिक विश्लेषक बनकर आते रहते हैं. शिवम त्यागी की फेसबुक डीपी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ है. वे अपने एक फेसबुक पोस्ट में लिखते हैं, "बड़ा कहते हैं लोग कि विश्लेषक कम बीजेपी के प्रवक्ता ज्यादा लगते हो, तो ठीक है. राष्ट्रवादियों का राष्ट्रीय प्रवक्ता- शिवम."
भारत का लोक सेवा प्रसारक प्रसार भारती एक स्वायत्त निकाय है. इसका उद्देश्य देश की एकता और अखंडता और संविधान में दिए गए मूल्यों के मुताबिक बर्ताव करना है. डीडी न्यूज़ इसी का एक घटक है. प्रसार भारती ने डीडी न्यूज़ पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों का एक मानक कोड भी जारी किया है. इसमें बताया गया है कि चैनल पर क्या दिखा सकते हैं और क्या नहीं दिखा सकते.
मई 2022 में प्रसार भारती ने, ऑल इंडिया रेडियो, डीडी न्यूज़ और इसके डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए प्रोग्राम कोड जारी किया. प्रसार भारती के डीडीजी प्रकाश वीर द्वारा जारी प्रोग्राम कोड 20 पॉइंट का है. इसके तीसरे पॉइंट में लिखा है, ‘‘धर्मों या समुदायों पर हमला या धार्मिक समूहों के प्रति अवमानना करने वाले दृश्य या शब्दों, जो सांप्रदायिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देते हैं, को नहीं दिखाना है.”
इसके बावजूद डीडी न्यूज़ भाजपा के एक सांसद के बयान की आड़ में झारखंड के कथित इस्लामीकरण के दुष्प्रचार को जमकर फैला रहा है.
विपक्ष की सरकारों पर निशाना
हिन्दू-मुस्लिम के अलावा दो टूक शो में विपक्षी दलों को भी निशाना बनाया जा रहा है. हाल ही में बिहार में भाजपा और जदयू का गठबंधन टूट गया. इसके बाद जदयू ने राजद के साथ मिलकर नई सरकार बना ली. नई सरकार बनते ही नेशनल मीडिया पर बिहार में बेकाबू अपराध की खबरें सुर्खियों में आ गई. तथाकथित जंगलराज की टेलीविज़न डिबेट में वापसी हो गई. डीडी भी कीचड़ में कूद पड़ा. बिहार में जंगल राज की कथित वापसी को लेकर डीडी ने ताबड़तोड़ कई शो किए.
विपक्ष को लेकर कुछ अन्य कार्यक्रम जो दो टूक में किए गए,
ममता का जंगलराज !
बिहार - फिर जंगल राज की ओर?
जो करे कानून पर चोट, अखिलेश क्यों मांगें उनके लिए वोट?
मैदान में अखिलेश, घर में कलेश क्या रंग लायेगा?
केजरीवाल मॉडल वर्ल्ड क्लास झूठ का मॉडल?
10 अगस्त को बिहार में नई सरकार का गठन हुआ और एक दिन बाद श्रीवास्तव ने ‘बिहार- फिर जंगल राज की ओर?’ शो किया. यह कार्यक्रम भी भाजपा के आरोप पर ही किया गया. इसी बीच एबीपी न्यूज़ पर भी रुबिका लियाकत ने शो किया जिसका शीर्षक था, ‘बिहार में 'जंगलराज' की वापसी?’. इंडिया टीवी, ने चलाया Bihar में लौट आया 'जंगलराज'? Patna में अपराधियों के हौंसले बुलंद, दिनदहाड़े छात्रा को मारी गोली’. यहां निजी चैनलों और डीडी में कोई खास अंतर नज़र नहीं आता है.
ऐसे ही पश्चिम बंगाल में कथित तौर पर जब भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा पर हमला हुआ तो निजी चैनलों ने भाजपा नेताओं के बयानों के आधार पर पश्चिम बंगाल में जंगलराज की घोषणा कर दी. डीडी भी इसमें पीछे नहीं रहा. उसने भी ममता का जंगलराज! नाम से कार्यक्रम प्रसारित किया.
यूपी चुनाव के समय डीडी न्यूज़ का रवैया पूरी तरह से सत्ता के अंग की तरह रहा. इस पर न्यूज़लॉन्ड्री ने एक रिपोर्ट भी किया था. दरअसल डीडी न्यूज़ यूपी चुनाव को लेकर बनाए गए अपने कार्यक्रम ‘क्या बोले यूपी’ कार्यक्रम में में बीजेपी, आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं को आम नागरिक के रूप में पेश कर रहा था. यह साफ झूठ डीडी के कार्यक्रमों पर चलाया गया.
प्रसार भारती की वेबसाइट पर ऑल इंडिया रेडियो के प्रसारण का एक पुराना कोड मौजूद हैं. इसके मुताबिक ‘नाम लेकर किसी राजनीतिक दल पर हमला’ करने की मनाही है. जानकार बताते हैं कि पहले यह नियम डीडी न्यूज़ पर भी लागू था. लेकिन मई 2022 में जारी हुए डीडी न्यूज़ के नए प्रसारण कोड में इसका जिक्र नहीं है. इससे एक जरूरी सवाल खड़ा होता है कि क्या विपक्षी दलों पर निशाना साधने की नीयत से यह प्रसारण कोड बदला गया? लेकिन इसका पालन 'दो टूक' में पहले भी नहीं हुआ और अब जब प्रसारण कोड से हट गया तो धड़ल्ले से विपक्ष को निशाना बनाया जाने लगा. ठीक वैसे ही जैसे ज्यादातर निजी चैनल भाजपा के किसी नेता के बयान या प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद करते हैं.
अप्रैल महीने में दो टूक में दिल्ली सरकार को लेकर एक शो हुआ. जिसमें आम आदमी पार्टी द्वारा प्रचारित ‘केजरीवाल मॉडल’ को झूठ का मॉडल बताया गया. इन सब का आधार था, भाजपा के नेताओं द्वारा दिल्ली के अलग-अलग खराब हाल में मौजूद स्कूलों और मोहल्ला क्लिनिक में बनाया गया वीडियो. कार्यक्रम के दौरान श्रीवास्तव अपने पूरे कार्यक्रम में एक कुर्सी खाली रखते हैं और कहते हैं कि केजरीवाल और आप के प्रवक्ता हमारे सवालों से डरकर भाग गए हैं.
डीडी न्यूज़ में लम्बें समय तक काम चुके एक पत्रकार न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, ‘हिंदू-मुस्लिम डिबेट तो डीडी न्यूज़ पर पहले कभी नहीं हुई. यह यहां नई चीज है. दो टूक को छोड़ दें तो शायद ही किसी दूसरे कार्यक्रम में ऐसा आपको नज़र आए. विपक्ष और विपक्ष वाली सरकार को सीधे तौर पर कभी निशाना नहीं बनाया जाता था.’’
न्यूज़लॉन्ड्री ने डीडी न्यूज़ के सलाहकार संपादक और इस कार्यक्रम के होस्ट अशोक श्रीवास्तव से इसको लेकर बात करने की कोशिश की. लेकिन उन्होंने व्यस्तता का हवाला देकर बात करने से टालमटोल किया. हमने उन्हें लिखित में कुछ सवाल भेजे हैं. अभी तक उनका जवाब नहीं मिला है.
डीडी न्यूज़ में कंटेंट गुणवत्ता तय करने की जिम्मेदारी डायरेक्टर जनरल की होती है. वर्तमान में डायरेक्टर जनरल मयंक कुमार अग्रवाल हैं. न्यूज़लॉन्ड्री ने उन्हें भी कुछ सवाल भेजे हैं. खबर प्रकाशित किए जाने तक उनका भी जवाब नहीं आया है.
Also Read
-
A day in the life of an ex-IIT professor crusading for Gaza, against hate in Delhi
-
‘Total foreign policy failure’: SP’s Chandauli MP on Op Sindoor, monsoon session
-
Crossing rivers, climbing mountains: The story behind the Dharali stories
-
On the ground in Bihar: How a booth-by-booth check revealed what the Election Commission missed
-
Kalli Purie just gave the most honest definition of Godi Media yet